
मनुष्य जीवन सीमित है, फिर भी अक्सर हम अपनी इच्छाओं और महत्वाकांक्षाओं की मृगतृष्णा के पीछे भागते रहते हैं। यह दौड़ ऐसी है, जिसका कोई अंत दिखाई नहीं देता। अपने सुख-चैन को खोकर भी जब मनुष्य शांति पाने में असफल रहता है, तब समझना चाहिए कि वह माया के जाल में फंसा हुआ है। इस लेख में हम इस भटकाव के कारणों, प्रभावों और इससे बचने के उपायों पर विचार करेंगे।
मृगतृष्णा क्या है? | What is Mirage (Mrigtrishna)?
मृगतृष्णा का अर्थ है ऐसा भ्रम या झूठी उम्मीद जो वास्तविकता से बहुत दूर हो। मनुष्य जब अनंत इच्छाओं और उम्मीदों के पीछे भागता है, तो वह असल में मृगतृष्णा का शिकार होता है। यह मायाजाल भले ही आकर्षक लगे, लेकिन यह अंततः हमारे जीवन को असंतुष्ट और दुखी बनाता है।
मानव जीवन और आंतरिक शांति का संघर्ष | Human Life and the Struggle for Inner Peace

मानव को समय दिया गया है, जो सीमित है। फिर भी हम इस समय को दौड़-भाग में बिता देते हैं। जितनी मेहनत कोशिशें करते हैं, उसकी तुलना में शांति, संतोष नहीं मिल पाता। जीवन का सार तभी स्पष्ट होता है जब हम भौतिक आकांक्षाओं से उपर उठकर अपने भीतर की शांति महसूस करें।
“जिसने यह जीवन दिया है, भोजन की व्यवस्था भी वही करेगा।”
- ज्ञानी जनों की यही सीख है जो मनुष्य को ईश्वर पर भरोसा रखने की प्रेरणा देती है।
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मृगतृष्णा के पीछे भागने के कारण | Reasons for Chasing Illusions
1. असीम महत्वाकांक्षाएं | Unlimited Ambitions
मनुष्य की इच्छाएं कभी पूरी नहीं होतीं। हर पूरी हुई इच्छा के बाद एक नई इच्छा जन्म लेती है। यह लगातार बढ़ती जरूरतें ही हमें असली खुशी से दूर करती हैं।
2. सामाजिक अपेक्षाएं और दबाव | Social Expectations and Pressure
परिवार, समाज और समकालीन जीवन की अपेक्षाएं व्यक्ति के ऊपर भारी बोझ बन जाती हैं। इन्हें पूरा करने के लिए वह अपनी खुशी और आराम को तज देता है।
3. असुरक्षा और भय | Insecurity and Fear
असफलता का डर और सामाजिक प्रतिष्ठा बचाए रखने की चाह भी मृगतृष्णा के पीछे भागने का एक कारण है।
4. वर्तमान क्षण की अनदेखी | Ignoring the Present Moment
मनुष्य भविष्य की चिंता में इतना व्यस्त हो जाता है कि वर्तमान का आनंद खो देता है, जिससे जीवन अधूरा और दुखी हो जाता है।
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मृगतृष्णा का मनुष्य पर प्रभाव | Effects of Chasing Illusions on Humans
- मानसिक तनाव: निरंतर दौड़ में व्यक्ति तनाव और चिंता का शिकार होता है।
- अकेलापन: भौतिक वस्तुओं के पीछे भागते हुए वह अपने असली रिश्तों से दूर चला जाता है।
- संबंधों का टूटना: अपनों का साथ छूटना और पारिवारिक रिश्तों का कमजोर होना।
- संतोष और शांति का अभाव: भले ही व्यक्ति बड़ा और सम्पन्न हो, पर मन में सुकून नहीं मिलता।
- असफलता का भाव: दूसरों की अपेक्षाओं पर खरा न उतर पाने का तनाव और आत्मग्लानि।
भटकाव से बाहर आने के उपाय | Ways to Escape the Illusion

1. इच्छाओं को सीमित करें | Limit Your Desires
हर इच्छा को पूरा करना संभव नहीं। इसलिए अपने मन को नियंत्रित करें और केवल आवश्यक चीजों की प्रयाप्तता को स्वीकारें।
2. वर्तमान में जियें | Live in the Present
पिछले अपराध या भविष्य की चिंता से बाहर निकलें। वर्तमान समय में सचेत होकर जीवन बिताएं।
3. आत्मचिंतन करें | Practice Self-Reflection
अपने जीवन के लक्ष्य और मूल्य निर्धारित करें। समझें कि क्या वास्तव में आपको संतुष्टि देता है।
4. सादगी और संतोष अपनाएं | Embrace Simplicity and Contentment
अधिक से अधिक वस्तुएं इकट्ठा करने की बजाय जीवन में सरलता अपनाएं और जो कुछ है उसी में खुश रहना सीखें।
5. आध्यात्मिकता की ओर रुख करें | Turn Towards Spirituality
ध्यान, योग, प्रार्थना या किसी धार्मिक साधना से मन की शांति प्राप्त करें। आंतरिक संतोष से ही असली सुख मिलता है।
6. सामाजिक और पारिवारिक संबंधों को महत्व दें | Value Social and Family Relationships
अपनों के साथ समय बिताएं और स्नेहपूर्ण संबंधों को पोषित करें।
7. मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें | Take Care of Mental Health
तनाव प्रबंधन, योग और उचित आराम से मानसिक संतुलन बनाए रखें।
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निष्कर्ष | Conclusion
मृगतृष्णा के पीछे भागते हुए मनुष्य अपने जीवन की असली सुंदरता और आनंद से दूर होता जाता है। सीमित जीवन में अनावश्यक आकांक्षाओं को अपने मन पर हावी न होने दें। धैर्य, संतोष और आत्मचिंतन के साथ जीवन जियें ताकि स्थायी शांति और खुशहाली प्राप्त हो सके। सर्वोपरि, समझें कि वास्तविक सुख भौतिक वस्तुओं में नहीं, बल्कि मन की शांति में निहित है।
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