अर्जुन की छाल बचाए हृदय रोग से

अर्जुन की छाल को दूध में उबालकर पीने से आप हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या से बच सकते हैं। इसके अलावा भी अर्जुन की छाल के कई फायदे हैं। आइए जानते हैं विस्तार से-
परिचय (Introduction of Arjun)
- प्राचीन काल से आयुर्वेद में सदाबहार वृक्ष अर्जुन को औषधि के रुप में ही इस्तेमाल किया जाता रहा है।
- सामान्यत: अर्जुन की छाल और रस का औषधि के रुप में इस्तेमाल किया जाता रहा है।
- अर्जुन का प्रयोग हृदय संबंधी बीमारियों के लिए मुख्य रूप से किया जाता है।
- यह फाइटोकेमिकल्स से भरपूर है जो कि कई बीमारियों ये बचाव में मददगार है।
- अर्जुन की छाल में फ्लेवोनोइड्स, ग्लाइकोसाइड्स, फेनोलिक एसिड होते हैं।
- इसमें ट्राइटरपेनोइड्स जैसे एंटीऑक्सीडेंट भी मौजूद हैं।
- जो कि फ्री रेडिकल के नुकसानों से बचाव में मददगार है।
- लेकिन, आपको यह जान कर हैरानी हो सकती है कि अर्जुन की छाल को दूध में उबालकर पीने से आप हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या से बच सकते हैं।
- इसके अलावा भी हाई कोलेस्ट्रॉल में अर्जुन की छाल के कई फायदे हैं। कैसे, जानते हैं विस्तार से।
कोलेस्ट्रॉल के लिए अर्जुन छाल का उपयोग कैसे करें- Use of arjun chhal for cholestrol
- अर्जुन एक हृदय टॉनिक है और कार्डियोप्रोटेक्टिव जड़ी-बूटी है।
- यह हृदय की मांसपेशियों को मजबूत करने और कोरोनरी धमनियों के संचालन में सुधार करने में मददगार है।
- लेकिन, खास बात ये है कि ये धमनियों में जमा कोलेस्ट्रॉल को करने में मदद कर सकता है।
- ये पहले खून में मिलकर फैट का मेटाबोलिक रेट बढ़ाता है।
- और अपने ताप से बैड फैट को कम करने में मददगार है।
- लेकिन, पहले जानते हैं इसके सेवन का तरीका और फायदे।
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दूध के साथ अर्जुन की छाल से बनाएं कार्डियक टॉनिक- Heart tonic

- पहले तो अर्जुन की छाल को दूध में उबाल (arjun bark with milk) लें।
- इसे ऐसे उबालें कि ये थोड़ा गाढ़ा हो जाएं। अब इसे पिएं।
- ये दिल की गतिविधियों को बेहतर करता है।
- साथ ही हाई कोलेस्ट्रॉल और हाई बीपी की समस्या को कम करने में मददगार है।
इसके अन्य फायदे-Arjun ki chaal benefits
- अर्जुन की छाल हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मददगार है।
- यह रक्त वाहिकाओं को फैलाने और आराम देने में मदद करता है।
- जिससे ब्लड प्रेशर में कमी आती है।
- साथ ही ये ब्लड सर्कुलेशन को सही करने में मददगार है।
- जिससे दिल पर अचानक से प्रेशर नहीं पड़ता है।
- इस तरह से ये दिल के कामकाज को बेहतर बनाने में मददगार है।
- क्षय रोग यानि टीबी जैसे बीमारी के साथ सामान्य कान दर्द, सूजन, बुखार के उपचार के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है।
- अर्जुन कौन सी बीमारियों के लिए फायदेमंद है, आइए, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
अर्जुन क्या है? (What is Arjuna)

- इसका नामकरण केवल इसके स्वच्छ सफेद रंग के आधार पर किया गया है।
- अर्जुन शब्द का संस्कृत में यौगिक अर्थ सफेद, स्वच्छ, होता है।
- महाभारत के अर्जुन से इस पेड़ का कोई खास सम्बन्ध नजर नहीं आता।
- अर्जुन की प्रकृति (Nature of Arjun)
- सदाबहार अर्जुन प्रकृति से शीतल व हृदय के लिए हितकारी होता है।
- यह स्वाद में कसैला होता है जो छोटे-मोटे कटने-छिलने पर, विष, रक्त संबंधी रोग में फायदेमंद होता है।
- इससे मेद या मोटापा, प्रमेह या डायबिटीज, व्रण या अल्सर, कफ तथा पित्त कम होता है।
- अर्जुन से हृदय की मांसपेशियों को बल मिलता है, हृदय की पोषण-क्रिया अच्छी होती है।
- मांसपेशियों को बल मिलने से हृदय की धड़कन ठीक और सबल होती है।
- सूक्ष्म रक्तवाहिनियों (artery) का संकोच होता है।
- इस प्रकार इससे हृदय सशक्त और उत्तेजित होता है।
- रक्त वाहिनियों के द्वारा होने वाले रक्त का स्राव भी कम होता है, जिससे सूजन कम होती है।
वनस्पति शास्त्रमें अर्जुन ( Arjuna in Botany)
- इसका वानास्पतिक नाम Terminalia arjuna (Roxb. ex DC.) W. & A. (टर्मिनेलिया अर्जुन) Syn-Pentaptera arjuna Roxb. ex. DC. है।
- अर्जुन Combretaceae (कॉम्ब्रेटेसी) कुल का है।
- अंग्रेजी में इसको Arjuna myrobalan (अर्जुन मायरोबलान) कहते हैं।
- लेकिन भारत के अन्य प्रांतों में अर्जुन अनेक नामों से जाना जाता है।
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विभिन्न भाषाओं में अर्जुन
- Sanskrit – अर्जुन, नदीसर्ज:, वीरवृक्ष, वीर, धनंजय, कौंतेय, पार्थ, धवल;
- Hindi – अर्जुन, काहू, कोह, अरजान, अंजनी, मट्टी, होलेमट्ट;
- Odia – ओर्जुनो (Orjuno);
- Urdu – अर्जन (Arjan);
- Assamese – ओर्जुन (Orjun);
- Konkani – होलेमट्टी (Holematti);
- Kannada – मड्डी (Maddi), बिल्लीमड्डी (Billimaddi), निरमथी (Nirmathi) होलेमट्टी (Holematti);
- Gujrati – अर्जुन (Arjun), सादादो (Sadado), अर्जुनसदारा (Arjunsadara);
- Tamil – मरुदु (Marudu), अट्टूमारूतू (Attumarutu), निरमारूदु (Nirmarudu), वेल्लईमरुदु (Vellaimarudu);
- Telegu – तैललामद्दि (Tellamadi), इरमअददी (Erumdadi), येरमददी (Yermaddi);
- Bengali – अर्जुन गाछ (Arjun Gach), अरझान (Arjhan);
- Nepali – काहू (Kaahu);
- Panjabi – अरजन (Arjan);
- Marathi – अंजन (Anjan), सावीमदात (Savimadat);
- Malayalam – वेल्लामरुटु (Velamarutu)।
- English – व्हाइट मुर्दाह (White murdah);
- Arbi – अर्जुन पोस्त (Arjun post)।
अर्जुन के फायदे (Benefits of Arjuna)

- आयुर्वेद में अर्जुन के फल और छाल का प्रयोग औषध के रूप में होता है।
- अर्जुन की छाल में मौजूद टैनिन सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है।
- इसके साथ ही इसमें पोटैशियम, मैग्निशियम और कैल्शियम जैसे लाभकारी तत्व भी मौजूद होते हैं।
कान का दर्द (Arjun Benefits in Ear Pain)

3-4 बूँद अर्जुन के पत्ते का रस कान में डालने से कान का दर्द कम होता है।
मुखपाक ( Arjuna helps for Stomatitis)
- अर्जुन मूल चूर्ण में मीठा तैल (तिल तैल) मिलाकर मुँह के अंदर लेप कर लें।
- इसके पश्चात् गुनगुने पानी का कुल्ला करने से मुखपाक में लाभ होता है।
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हृदय (Arjun Benefits for Healthy Heart)

अर्जुन की छाल के फायदे हृदय रोग में सबसे ज्यादा होते हैं।
लेकिन इसके प्रयोग के बारे में सही जानकारी होनी चाहिए-
- उच्च रक्तचाप में एक गिलास टमाटर के रस में 1 चम्मच अर्जुन की छाल का चूर्ण मिलाकर नियमित सेवन करें।
- इसके 1 चम्मच महीन चूर्ण को मलाई रहित 1 कप दूध के साथ सुबह-शाम नियमित सेवन करें।
- हृदय के समस्त रोगों में लाभ मिलता है, हृदय को बल मिलता है।
- कमजोरी दूर होती है। इससे हृदय की बढ़ी हुई धड़कन सामान्य होती है।
- 50 ग्राम गेहूँ के आटे को 20 ग्राम गाय के घी में गुलाबी भून लें।
- 3 ग्राम अर्जुन की छाल का चूर्ण और 40 ग्राम मिश्री तथा 100 मिली खौलता हुआ जल डालकर पकाएं।
- जब हलुवा तैयार हो जाए तब प्रात: सेवन करें।
- इसका नित्य सेवन करने से हृदय की पीड़ा, घबराहट, धड़कन बढ़ जाना आदि विकारों में लाभ होता है।
- 6-10 ग्राम अर्जुन छाल चूर्ण में स्वादानुसार गुड़ मिलाकर 200 मिली दूध के साथ पकाकर छानकर पीने से हृदयशोथ ठीक होता है।
- हृदय रोगों में अर्जुन की छाल के कपड़छन चूर्ण का प्रभाव इन्जेक्शन से भी अधिक होता है।
- जीभ पर रखकर चूसते ही रोग कम होने लगता है। इसे सारबिट्रेट गोली के स्थान पर प्रयोग करने पर उतना ही लाभकारी पाया गया।
- हृदय की धड़कन बढ़ जाने पर, नाड़ी की गति कमजोर हो जाने पर इसे रोगी की जीभ पर रखने मात्र से नाड़ी में तुरंत लाभ होता है।
- इस दवा का लाभ स्थायी होता है और यह दवा किसी प्रकार की हानि नहीं पहुंचाती तथा एलोपैथिक की प्रसिद्ध दवा डिजीटेलिस से भी अधिक लाभप्रद है।
- यह उच्च रक्तचाप में भी लाभप्रद है।
- उच्च रक्तचाप के कारण यदि हृदय में शोथ (सूजन) उत्पन्न हो गयी हो तो उसको भी दूर करता है।
एसिडिटी (Arjuna for acidity )

- अर्जुन की छाल एसिडिटी से राहत दिलाने में भी बहुत मददगार होती है।
- 10-20 मिली अर्जुन छाल के काढ़े का नियमित सेवन करने से एसिडिटी से राहत मिलती है।
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रक्तातिसार या पेचिश (Arjuna Benefits in Dysentery)

- 5 ग्राम अर्जुन छाल चूर्ण को 250 मिली गोदुग्ध और लगभग समभाग पानी डालकर मंद आंच पर पकाएं।
- इसमें 10 ग्राम मिश्री या शक्कर मिलाकर, नित्य प्रात पीने से हृदय संबंधी विकारों का शमन होता है।
- यह पेय जीर्ण ज्वरयुक्त रक्तज-अतिसार और रक्तपित्त में भी लाभदायक है।
डायबिटीज (Arjun Benefits Diabetes )

- अर्जुन की छाल, नीम की छाल, आमलकी छाल, हल्दी तथा नीलकमल के समभाग चूर्ण को पानी में पकाकर शेष काढ़ा बनायें।
- 10-20 मिली काढ़े में मधु मिलाकर रोज सुबह सेवन करने से पित्तज-प्रमेह में लाभ होता है।
शुक्रमेह (Arjun chal benefits in Spermatorrhoea )
- शुक्रमेह बीमारी पुरुषों को होती है।
- इस रोग में अत्यधिक मात्रा में सिमेन निकल जाता है।
- अर्जुन की छाल या सफेद चंदन से बने 10-20 मिली काढ़े को नियमित सुबह शाम पिलाने से शुक्रमेह में लाभ होता है।
मूत्राघात (Arjuna Chal Benefits in Anuria)
- मूत्र करते समय दर्द या जलन होना मूत्राघात के मूल लक्षण होते हैं।
- अर्जुन छाल का काढ़ा बनाकर 20 मिली मात्रा में पिलाने से मूत्राघात में लाभ होता है।
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रक्तप्रदर (अत्यधिक रक्तस्राव) (Arjuna to Get Relief in Metrorrhagia)
- यह महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव को रोकने में बहुत मदद करते हैं। 1 चम्मच अर्जुन छाल चूर्ण को 1 कप दूध में उबालकर पकाएं।
- आधा शेष रहने पर थोड़ी मात्रा में मिश्री मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करें।
- इसके सेवन से रक्तप्रदर में लाभ होता है।
हड्डी जोड़ने में मदद (Arjuna Chal Benefi in Bone Fracture)

अगर किसी कारण हड्डी टूट गई है या हड्डियां कमजोर हो गई हैं तो अर्जुन छाल बहुत फायदा करता है।
अर्जुन छाल का प्रयोग करने से हड्डी के दर्द से न सिर्फ आराम मिलता है बल्कि हड्डी जुड़ने में भी सहायता मिलती है।
- एक चम्मच अर्जुन छाल चूर्ण को दिन में 3 बार एक कप दूध के साथ कुछ हफ्ते तक सेवन करने से हड्डी मजबूत होती जाती है।
- भग्न अस्थि या टूटी हुई हड्डी के स्थान पर इसकी छाल को घी में पीसकर लेप करें और पट्टी बाँधकर रखें, इससे भी हड्डी शीघ्र जुड़ जाती है।
- अर्जुन की छाल से बने 20-40 मिली क्षीरपाक में 5 ग्राम घी एवं मिश्री मिलाकर पीने से अस्थि भंग (टूटी हड्डी) में लाभ होता है।
- लाक्षा तथा अर्जुन की त्वचा को समान मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। 2-4 ग्राम में गुग्गुलु तथा घी मिलाकर सेवन करने से तथा भोजन में घी व दूध का प्रयोग करने से शीघ्र भग्न संधान होता है।
- समान मात्रा में हड़जोड़, लाक्षा, गेहूँ तथा अर्जुन का पेस्ट (1-2 ग्राम) अथवा चूर्ण (2-4 ग्राम) में घी मिलाकर दूध के साथ पीने से अस्थिभग्न एवं जोड़ो से हड्डियों के छुट जाने में लाभ होता है।
कुष्ठ (Arjun Chal Powder to Treat Leprosy)
- अर्जुन छाल के एक चम्मच चूर्ण को जल या दूध के साथ सेवन करने से कुष्ठ में लाभ होता है।
- इसकी छाल को जल में घिसकर त्वचा पर लेप करने से कुष्ठ में तथा व्रण में लाभ होता है।
- अर्जुन छाल का काढ़ा बनाकर पीने से भी कुष्ठ में लाभ होता है।
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अल्सर का घाव (Arjuna Chal Heals Ulcer)
- कभी-कभी अल्सर का घाव सूखने में बहुत देर लगता है या फिर सूखने पर पास ही दूसरा घाव निकल आता है।
- ऐसे में अर्जुन का सेवन बहुत ही फायदेमंद होता है।
- अर्जुन छाल को कुटकर काढ़ा बनाकर अल्सर के घाव को धोने से लाभ होता है।
पिंपल्स (Arjuna Tree to Treat Pimples)
- अर्जुन की छाल न सिर्फ मुँहासों से छुटकारा दिलाने में मददगार है, बल्कि चेहरे की कांति भी बढ़ाता है।
- इसके चूर्ण को मधु में मिलाकर लेप करने से मुँहासों तथा व्यंग में फायदा मिलता है।
सूजन की समस्या (Arjuna to Treat Inflammation)
- अर्जुन का काढ़ा या अर्जुन की छाल की चाय बनाकर पीने से सूजन कम होता है।
- गुर्दों पर इसका प्रभाव मूत्रल अर्थात् अधिक मूत्र लाने वाला है।
- हृदय रोगों के अतिरिक्त शरीर के विभिन्न अंगों में पानी पड़ जाने और शरीर के किसी अंग में सूजन आ जाने पर भी अर्जुन का प्रयोग किया जा सकता है।
- अर्जुन के जड़ के छाल का चूर्ण और गंगेरन की जड़ के छाल के चूर्ण को बराबर मात्रा में मिला लें।
- इसे 2-2 ग्राम की मात्रा में नियमित सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से दर्द तथा सूजन कम होती है।
रक्तपित्त (कान-नाक से खून बहना) (Arjuna Chhal Benefits Haemoptysis ya Raktpitta)
- अगर रक्तपित्त की समस्या से ग्रस्त हैं तो अर्जुन का सेवन करने से जल्दी आराम मिलेगा।
- 2 चम्मच अर्जुन छाल को रात भर जल में भिगोकर रखें, सबेरे उसको मसल-छानकर या उसको उबालकर काढ़ा बना लें।
- इसे अर्जुन की छाल की चाय की तरह से पीने से रक्तपित्त में लाभ होता है।
बुखार (Arjun Chhal Benefits in Fever)
मौसम के बदलने की वजह से या किसी संक्रमण के कारण हुए बुखार में अर्जुन राहत देता है।
- अर्जुन छाल का काढ़ा या अर्जुन की छाल की चाय बनाकर 20 मिली मात्रा में पिलाने से बुखार से राहत मिलती है।
- 1 चम्मच अर्जुन छाल चूर्ण को गुड़ के साथ सेवन करने से बुखार का कष्ट कम होता है।
- 2 ग्राम अर्जुन छाल के चूर्ण में समान मात्रा में चंदन मिलाकर, चीनी और चावल से बने लड्डू के साथ सेवन करने से रक्तपित्त में लाभ होता है।
- अथवा अर्जुन छाल से बना हिम, काढ़ा, पेस्ट या रस का सेवन करने से रक्तपित्त में लाभ होता है।
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क्षय रोग या टीबी (Arjuna Benefits in Tuberculosis)
- क्षय रोग या तपेदिक के लक्षणों से आराम दिलाने में अर्जुन का औषधीय गुण काम करता है।
- अर्जुन की त्वचा, नागबला तथा केवाँच बीज चूर्ण (2-4 ग्राम) में मधु, घी तथा मिश्री मिलाकर दूध साथ पीने से क्षय, खांसी रोगों से जल्दी राहत मिलती है।
अर्जुन के उपयोगी भाग (Useful Parts of Arjuna)
आयुर्वेद में अर्जुन के तने की छाल, जड़, पत्ता तथा फल का प्रयोग औषधि के लिए किया जाता है।
कैसे करें प्रयोग
(How to Use Arjun)
- बीमारी के लिए अर्जुन के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है।
- अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए अर्जुन का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।
चिकित्सक के परामर्श के अनुसार-
- 5-10 मिली अर्जुन का रस ,
- 20-40 मिली पत्ते का काढ़ा ,
- 2-4 ग्राम अर्जुन के चूर्ण का सेवन कर सकते हैं।
ऐसे बनाएँ अर्जुन छाल क्षीरपाक (Prepare Arjun Chhal Khirpak)

- अर्जुन की ताजा छाल को छाया में सुखाकर चूर्ण बनाकर रख लें।
- 250 मिली दूध में 250 मिली पानी मिलाकर हल्की आंच पर रख दें और उसमें तीन ग्राम अर्जुन छाल का चूर्ण मिलाकर उबालें।
- जब उबलते-उबलते पानी सूखकर दूध मात्र अर्थात् आधा रह जाए तब उतार लें।
- पीने योग्य होने पर उसको छान लें और उसका सेवन करें।
- इससे हृदय रोग होने की संभावना कम होती है तथा हार्ट अटैक से बचाव होता है।
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अर्जुन कहां पाया जाता है? (Where is Arjuna Found)
- पहाड़ी क्षेत्रों में नदी, नालों के किनारे 18-25 मी तक ऊँचे पंक्तिबद्ध हरे पल्लवों के छाल से ढके अर्जुन आपको देखने मिल जाएंगे।
- अर्जुन का वृक्ष जंगलों में पाया जाता है।

