पीएम विश्वकर्मा योजना की शुरुआत बीते 17 सितंबर, 2023 को की गई थी। इस साल 17 सितंबर पीएम मोदी की यह योजना एक साल की हो जाएगी। कि पीएम विश्वकर्मा योजना का मकसद अपने हाथों और औजारों की मदद से काम करने वाले कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता प्रदान करना है।
15 अगस्त 2022 को प्रधानमंत्री मोदी ने योजना अर्थिक जागरूकता से 13,000 से 15,000 करोड़ रुपये की `विश्वकर्मा योजना’ की घोषणा की है, उसे आगामी 17 सितंबर 2023 को विश्वकर्मा जयंती से शुरू किया जाना है। दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी को इस योजना का आइडिया उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चलायी जा रही विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना से आया है। उत्तर प्रदेश सरकार की विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के पैटर्न को ही केंद्र सरकार अपनी विश्वकर्मा योजना में अपनाने जा रहा है, जिसकी एक झलक प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण के दौरान दिया भी है और जिसे चुनाव विशेषज्ञ दबी जुबान अभी से `गेम चेंजर’ योजना कहने लगे हैं। बहरहाल यह योजना जिस योजना के प्रभाव से जन्मी हैं, आइये उस बारे में विस्तार से जानते हैं।
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विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना का उद्देश्य/Vishwakarma shram saman yojna ‘s objective:
इसी अगस्त माह में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के उन दस्तकारों और कारीगरों के विकास के लिए उन्हें एक सप्ताह की उच्चस्तरीय फ्री ट्रेनिंग देने की योजना शुरु की है, जिससे न सिर्फ उनके हुनर में निखार आयेगा बल्कि इस ट्रेनिंग के दौरान उन्हें अपना रोजगार शुरु करने की तमाम महत्वपूर्ण जानकारियां भी उपलब्ध करायी जायेंगी । इसका लक्ष्य है कि हुनरमंद लोग अपना खुद का रोजगार भी कर सकें और न सिर्फ अपनी रोजी रोटी सही से चलाएं बल्कि कुछ दूसरे लोगों को भी रोजगार दें,साथ ही उनके हुनर को भी निखारें।
एक नज़र में योजना/Plan at a glance:
योजना का नाम – विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना
कहां शुरू हुई – उत्तर प्रदेश
योजना का उद्देश्य- कारीगरों के हुनर को निखारना
आवेदन प्रक्रिया- ऑनलाइन
योजना का कार्यक्रर्म/Planning the schedule:
यह योजना उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रवासी मजदूरों एवं पारंपरिक कामगारों के लिए शुरु की गई है। इस योजना के तहत खुद का रोजगार शुरु करने के लिए सरकार इन्हें 6 दिन की एक सघन ट्रेनिंग देती है, साथ ही इनके अपने रोजगार को स्थापित करने के लिए 10 हजार से 10 लाख रुपये तक की आार्थिक सहायता भी प्रदान करती है। इसके लिए उम्मीदवारों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा। यह योजना 4 जून और 5 जून 2023 को सुबह 11 बजे से शुरु की गई थी। अब इस योजना के तहत बैच दर बैच लोग आते रहेंगे।
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योजना के लाभार्थी/Beneficiaries of the Plan:
पारंपरिक कारीगरों व दस्तकारों को विशेष रूप से इस योजना का फायदा मिलेगा। योजना का लाभ पाने वालों में शामिल हैं, दर्जी, बढ़ई, लोहार, कुम्हार, हलवाई, मोची, सोनार, टोकरी बुनने वाले तथा और भी कई तरह के हस्तशिल्प और दस्तकारी के काम में दक्ष लोगों को। इन्हें छह दिनों की एक वैज्ञानिक ट्रेनिंग मिलेगी और इसके बाद उनकी दक्षता के हिसाब से रोजगार शुरु करने के लिए आार्थिक सहायता दी जायेगी। हर साल 15,000 लोगों को इसका लाभ दिया जाएगा। ट्रेनिंग का सारा खर्च राज्य सरकार उठायेगी।
जरूरी दस्तावेज/Necessary documents
उम्र सीमा- कम से कम 18 साल या उससे ज्यादा आवेदक उत्तर प्रदेश का स्थायी निवासी हो। आवेदक के पास आधार कार्ड, मोबाइल फोन, अपनी पहचान का प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, बैंक अकाउंट और पासपोर्ट साइज के दो फोटो होने चाहिए।
ऐसे करें आवेदन/ How to apply
ऑफिशियल वेबसाइट पर जाएं। होम पेज पर विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना का ऑप्शन दिखाई देगा। इस पर क्लिक करें। क्लिक करते ही अगला पेज खुलेगा। इस पेज के यूजर रजिस्ट्रेशन मिलेगा। यूजर रजिस्ट्रेशन ऑप्शन पर क्लिक करने के बाद सामने फार्म मिल जायेगा, जिसे उसी तरह भरना है जैसे ऊपर बताया गया है। रजिस्ट्रेशन के बाद जैसे ही आपका नंबर आयेगा, आपको नियरेस्ट ट्रेनिंग सेंटर पर सें बुलाया जायेगा।
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सहायता और सामाजिक सुरक्षा/Aid and social security
मुख्य उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों की आजीविका को बढ़ाना है। सरकार ने उनके कौशल विकास, वित्तीय सहायता और सामाजिक सुरक्षा के लिए इसलिए कई कार्य कर रही है।
वित्तीय सहायता: कारीगरों को कच्चे माल और उपकरणों के लिए पैसों की परेशानी का सामना करना पड़ता है। योजना से कारीगरों को कच्चा माल, उपकरण और अन्य आवश्यक उपकरण खरीदने में सहायता के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
कौशल विकास: हमारे देश में कारीगरों के पास बहुत कौशल है लेकिन लेकिन उनके पास काम करने का अनुभव नहीं है। इस योजना के माध्यम से ऐसे कारीगरों को काम करने का अनुभव दिया जाएगा तथा उनकी तकनीक को बेहतर बनाने और आधुनिक उपकरणों का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
सामाजिक सुरक्षा: इस योजना का उद्देश्य समाज और अर्थव्यवस्था में कारीगरों और शिल्पकारों के योगदान को पहचानना और सम्मान देना। और कारीगरों को सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करना भी है। इसमें सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करने के लिए बीमा और पेंशन योजनाएं शामिल हैं।
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बाज़ार तक पहुंच: कारीगरों को अपने उत्पादों के लिए बाजार ढूंढने में बहुत तकलीफों का सामना करना पड़ता है। इस योजना के माध्यम से कारीगरों को उनके उत्पादों के लिए नए बाज़ार ढूंढने में मदद की जाएगी। व्यापक बाज़ारों से जोड़कर उनकी बिक्री में सुधार करके मदद की जाएगी। इसके लिए उन्हें मेलों, प्रदर्शनियों का आयोजन करके और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म बनाकर उन्हें व्यापक दर्शकों तक पहुंचाया जाएगा।
रोजगार बढ़ाना: शिल्पा क्षेत्र में कार्य करने वाले कारीगर और शिल्पकारों के लिए पारंपरिक शिल्प क्षेत्र में अधिक रोजगार के अवसर पैदा करना है जिससे और लोग लोग शिल्पा के क्षेत्र में रुचि दिखाकर इस व्यवसाय में आना चाहेंगे।
सांस्कृतिक संरक्षण: उत्तर प्रदेश के पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लिए आशा की किरण है। इस योजना से उत्तर प्रदेश के पारंपरिक कला को संरक्षित किया जा सकेगा और बढ़ावा मिलेगा।
भारत सरकार देश के नागरिकों के लिए बहुत सारी योजना चलाती रहती है। राज्य सरकार अभी अपने राज्य के नागरिकों के लिए और उनके विकास के लिए अनेकों योजना चलाती रहती है। उत्तर प्रदेश की सरकार द्वारा शुरू की गई है। जिसे राज्य के कुशल कारीगरों और शिल्पकारों के लिए शुरू किया गया है।
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भारत परंपरा और संस्कृति से समृद्ध देश है जिसमें शिल्पकार और कुशल कारीगर पीढ़ियों से चले आ रहे पारंपरिक तरीकों का उपयोग करके सुंदर कला कृतियाँ और उपयोगी वस्तुएँ बनाते हैं। इनमें से कई कारीगरों को बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। जिस वजह से वह अपने शिल्पकारी के व्यापार को आगे नहीं बढ़ा पाते हैं।इस योजना का नाम हिंदू पौराणिक कथाओं में दिव्य वास्तुकार विश्वकर्मा के नाम पर रखा गया है। जिन्हें शिल्पकारों और कारीगरों का देवता माना जाता है।
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