Saturday, December 6, 2025
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वाइब्रेशन : एक मौन भाषा/Vibration : A silent language

 

वाइब्रेशन : एक मौन भाषा/Vibration : A silent language
वाइब्रेशन : एक मौन भाषा/Vibration : A silent language

क्या आपने बिना किसी स्पष्ट कारण के कभी किसी अजनबी से पहली बार मिलते ही, एक अपनापन या गहराई से जुड़ाव महसूस किया है — जैसे कोई बहुत पुराना दोस्त मिल गया हो? या फिर कभी किसी जगह पर प्रवेश करते ही एक अजीब सा बोझिलपन महसूस हुआ हो, जैसे कोई अदृश्य चीज़ आपको बेचैन कर रही हो?

बिल्कुल वैसा ही है जैसे एक फूल खामोशी से लगातार अपनी खुशबू फैलाता रहता है, वैसे ही हम भी निरंतर अपने वाइब्रेशंस रेडिएट करते हैं। और हमारे यही वाइब्रेशन हमारे चारों ओर एक वायुमंडल और ऑरा बनाते हैं। चाहे हमें पता हो या नहीं, लेकिन सिर्फ हमारे होने से ही हर इंसान, जगह और माहौल पर असर पड़ता है।

अगर मन में बेचैनी है, तो दुनिया डरावनी लगती है। अगर हमारे अंदर संतोष है, तो अन्य सभी के लिए रुकावटें होने के बाद भी हमें रास्ता दिखता है। अगर हमारे मन के किसी कोने में किसी के प्रति आलोचना हो, तो हर किसी में कमियाँ ही दिखाई देंगीं। लेकिन जब हमारा मन स्थिर होता है, तब चीज़ें साफ़ दिखती हैं और हम शांत रहकर प्रतिक्रिया देते हैं।

मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर प्रभाव/Effects on mental and emotional health

हमारे वाइब्रेशन हमारे विचारों की क्वॉलिटी को दर्शाते हैं। नेगेटिव, भयमुक्त व आलोचनात्मक सोच हमारे अंदर की एनर्जी को कम करके भावनात्मक शक्तियों को कम कर देती है। लेकिन इसके विपरीत, जब हमारी सोच में प्यार, कृतज्ञता और पवित्रता होती है, तो यही सकारात्मक और श्रेष्ठ सोच, हमें शांति और शक्ति से भर देती है।

फिर चाहे हम मेडिटेशन करें, सात्विक और शुद्ध भोजन करें, सकारात्मक बातें सुनें… लेकिन अगर हमारे मन में निरंतर विचारों का शोर है, तो मन थका-थका ही महसूस करता है।

अगर एक गलत या नकारात्मक विचार, बार-बार आता रहे, तो वो हमारा बिलिफ सिस्टम बन जाता है। और हमारा यही बिलिफ़ सिस्टम धीरे-धीरे हमारी जिंदगी की दिशा तय कर लगता है।

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रिश्तों पर प्रभाव/Impact on relationships

हमारे रिश्तों की शुरुआत शब्दों से नहीं, बल्कि वाइब्रेशन से होती है। “गुड मॉर्निंग” कहने से पहले, हमारी एनर्जी दूसरों तक पहुँच जाती है।

अगर हमारे मन में गुस्सा है, तो वह बातों में झलक जाएगा। अगर मन में उम्मीदें हैं, तो सामने वाला बिना कुछ कहे भी दबाव महसूस करेगा। लेकिन, अगर मन में स्वीकृति है, तो सामने वाला खुद को सुरक्षित महसूस करेगा – बिना कुछ कहे भी।

हमारे किसी पुराने झगड़े या बातचीत के वाइब्रेशन भी इतने शक्तिशाली होते हैं कि वे बाद तक असर डालते रहते हैं। ऐसे में, अगर हम अपने मन को साफ़ नहीं करते, तो बिना कुछ जानेसमझे हम बार-बार उन्हीं पुराने तनाव को महसूस करते रहते हैं।

कामकाज और पढ़ाई में वाइब्रेशन का प्रभाव/Effects of vibration in work and studies

वाइब्रेशन का हमारी एकाग्रता, स्पष्ट ढंग से सोचने में और साथ मिलकर काम करने पर गहरा असर होता है। अगर माहौल में तनाव है और मन परेशान है, तो सही से सोचना मुश्किल हो जाता है। लेकिन जब वातावरण शांत और एकाग्र होता है, तो काम अपने आप सहज होने लगते हैं।

सिर्फ एक शांत और योगयुक्त व्यक्ति भी एक पूरे कमरे की ऊर्जा बदल सकता है — बिना कुछ बोले। हमें हर बार लोगों को शांत रहने के लिए कहना नहीं पड़ता, बल्कि हमारे वाइब्रेशन ही वो काम कर देते हैं।

एनर्जी का कम होना: वजह है सूक्ष्म वाइब्रेशन लीकेज/micro vibration leakage

हम दिन की शुरुआत योग व किसी अच्छे संकल्प के साथ करते हैं… लेकिन दोपहर तक थकावट या हल्कापन महसूस होने लगता है। क्यों?

बार-बार नेगेटिव सोच आना कि “उसने ऐसा क्यों कहा?”, “अगर सब खराब हो गया तो?”

दूसरों का तनाव, शिकायतें व दुख दर्द अपने अंदर लेना।

ज़्यादा डिजिटल एक्सपोज़र – खबरें, नोटिफिकेशन व सोशल मीडिया।

पुरानी बीती हुई बातों, या भविष्य की बातों से चिंताग्रस्त होना आदि।

ये सभी बहुत हल्के तौर पर लेकिन लगातार हमारी ऊर्जा को कम करने वाले कारण हैं। जैसे पानी की टंकी से धीरे-धीरे बूंदें टपकती रहे, तो एक समय के बाद टंकी खाली हो जाती है – वैसे ही समय के साथ-साथ हमारी ऊर्जा भी धीरे-धीरे कम होने लगती है।

यहाँ तक कि जब हम चुपचाप बैठे होते हैं, तब भी हमारे वाइब्रेशन चारों ओर फैल रहे होते हैं। अगर हमारा मन अंदर से साफ़ और शांत नहीं है, तो हमारी मौन उपस्थिति भी सामने वाले को थका सकती है और ऊर्जावान नहीं बना सकती।

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पॉवरफुल वाइब्रेशन: बनाएं भी और बचाएं भी/Powerful Vibration: Create and save

शक्तिशाली वाइब्रेशन बनाना मतलब कुछ नया जोड़ना नहीं है – बल्कि अपने असली स्वरूप में लौटना।

हम सभी आत्माएं स्वाभाविक रूप से शांत, पवित्र और शक्तिशाली हैं। लेकिन समय के साथ हमने डर, सोच-विचार, शिकायतों, ग्लानि और बेवजह की टेंशन अपने ऊपर ले ली है।

 

ये सब हमारी सच्चाई नहीं हैं। हमारा असली स्वभाव है – मौन और हल्कापन जैसे ही हम इस बात को याद करते हैं, हमारीएनर्जी फिर से स्पष्ट, हल्की और शक्तिशाली हो जाती है।

 

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– सारिका असाटी
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