Sunday, December 7, 2025
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राष्ट्र के प्रकाश स्तम्भ होते हैं शिक्षक

राष्ट्र के प्रकाश स्तम्भ होते हैं शिक्षक
राष्ट्र के प्रकाश स्तम्भ होते हैं शिक्षक

शिक्षक दिवस हर साल 5 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन हम अपने शिक्षकों को समर्पण और आभार दिखाते हैं। शिक्षक हमारे जीवन के महत्वपूर्ण हिस्से होते हैं, वे हमें ज्ञान और मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। जीवन में ज्ञान पाकर महान बनने तक की यात्रा तभी संभव हो पाती है, जब मानव गुरु के सानिध्य में रहकर अपना बौद्धिक विकास करता है। वह जो आपको अहंकार के अंधकार से बाहर निकालकर ज्ञान के प्रकाश तक ले जाते है, वही सही मायनों में गुरु कहलाते हैं।

जिन्होंने सही मार्ग पर चलना सिखाया/ Who taught us to follow the right path

शिक्षक हर व्यत्ति के जीवन की रीढ़ होते हैं। शिक्षक ही है जो छात्रों को जीवन का नया अर्थ सिखाता है। वे हमें सही रास्ता दिखाते हैं और कुछ भी गलत करने से रोकते हैं। वे बाहर से देख सकते हैं। वे प्रत्येक छात्र की देखभाल करते हैं और उनके विकास की कामना करते हैं। उस छात्र को मत भूलो जो छात्र अपने शिक्षकों का सम्मान नहीं करता है। वह जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ता है। शिक्षक छात्र के व्यत्तित्व को ढालते हैं। वे एकमात्र निःस्वार्थ व्यत्ति हैं जो खुशी -खुशी बच्चों को अपना सारा ज्ञान देते हैं। शिक्षक विद्याार्थियो  के जीवन के वास्तविक निर्माता होते हैं जो न सिर्फ हमारे जीवन को आकार देते हैं। बल्कि हमें इस काबिल बनाते हैं कि हम पूरी  दुनिया में अंधकार होने के बाद भी प्रकाश की तरह जलते रहें। शिक्षक समाज में प्रकाश स्तम्भ की तरह होता है। जो अपने शिष्यों को सही राह दिखाकर अंधेरे से प्रकाश की और ले जाता है। शिक्षकों के ज्ञान से फैलने वाली रोशनी दूर  से ही नजर आने लगती है।  इस वजह से हमारा राष्ट्र ढ़ेर सारे प्रकाश स्तम्भों से रोशन हो रहा है। इसलिये देश में शिक्षकों को सम्मान दिया जाता है। शिक्षक और विद्यार्थी के बीच के रिश्तों को सुदृढ़ करने को शिक्षक दिवस एक बड़ा अवसर होता है। दुनियां के एक सौ से अधिक देशों में अलग-अलग समय पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है।

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आदरनीय शिक्षकगण आप सभी को नमन/ Respected teachers salute to all of you

भारत में भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपर्वल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस पांच सितम्बर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। डॉक्टर सर्वपर्वल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस को 1962 से शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने अपने छात्रों से अपने जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की इच्छा जताई थी। कहा जाता है कि गुरु के बिना ज्ञान अधूरा रहता है। यह बात बिल्कुल सत्य है।

हमारे जीवन में सबसे पहली गुरु तो मां होती है जो हमें जन्म लेते ही हर बातों का ज्ञान कराती है।  मगर विद्यार्थी काल में बालक के जीवन में शिक्षक एक ऐसा गुरु होता है जो उसे शिक्षित तो करता ही है साथ ही उसे अच्छे बुरे का ज्ञान भी कराता है। पहले के समय में तो छात्र गुरुकुल में शिक्षक के पास रहकर वर्षों विद्या अध्ययन करते थे। उस दौरान गुरु अपने शिष्यों को विद्या अध्ययन करवाने के साथ ही स्वावलंबी बनने का पाठ भी पढ़ाते थे।

राष्ट्र के प्रकाश स्तम्भ होते हैं शिक्षक

गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए।

 गुरु का स्थान ईश्वर से भी बड़ा माना गया है, क्योंकि गुरु के माध्यम से ही व्यत्ति ईश्वर को भी पIप्त करता है। हमारे जीवन को संवारने में शिक्षक एक बड़ी और महत्वपूर्ण भूमि का निभाते है। सफलता पIप्ति के लिये वो हमें कई प्रकार से मदद करते है। जैसे से हमारे ज्ञान, कौशल के स्तर, विश्वास आदि को बढ़ाते है तथा हमारे जीवन को सही आकार में ढ़ालते है।

कबीर दास ने शिक्षक के कार्य को इन पंत्तियो में समझाया है

शिक्षक कुम्हार शिष कुंभ है, गढ़ि गढ़ि काढ़ै खोट, अंतर हाथ सहार दै, बाहर बाहै

कबीर दास जी कहते है कि शिक्षक एक कुम्हार की तरह है और छात्र पानी के घड़े की तरह। जो उनके द्वारा बनाया जाता है और इसके निर्माण के दौरान वह बाहर से घड़े पर ड़े चोट करता है। इसके साथ ही सहारा देने के लिए अपना एक हाथ अंदर भी रखता है।

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 जिन्होंने सही मार्ग पर चलना सिखाया/ Who taught us to follow the right path

देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ राधाकृष्णन का जन्म पांच सितम्बर 1888 को तमिलनाडु के तिरुमनी गांव में एक बह्मण परिवार में हुआ था। वे बचपन से ही किताबें पढ़ने के शौकीन थे और स्वामी विवेकानंद से काफी प्रभावित थे। डॉ सर्वपर्वल्ली राधाकृष्णन एक महान शिक्षक थे। जिन्होंने अपने जीवन के 40 वर्ष अध्यापन पेशे को दिया है। वो विद्याार्थियों के जीवन में शिक्षकों के योगदान और भूमिका के लिये प्रसिद्ध थे। इसलिये वो पहले व्यत्ति थे जिन्होंने शिक्षकों के बारे में सोचा और हर वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रुप में मनाने का अनुरोध किया।

उनका निधन 17 अप्रैल प्रै 1975 को चेन्नई में हुआ था। डॉ सर्वपर्वल्ली राधाकृष्णन ने 1909 में चेन्नई के प्रेसिडेंसी कॉलेज में अध्यापन पेशे में प्रवेश करने के साथ ही दर्शन शास्त्र शिक्षक के रुप में अपने करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने बनारस, चेन्नई, कोलकाता,मैसूर जैसे से कई प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों तथा विदेशों में लंदन के ऑक्सफोर्ड जैसे से विश्वविद्यालयों में दर्शन शास्त्र पढ़ाया था। अध्यापन पेशे के प्रति अपने समर्पण की वजह से उन्हें 1949 में विश्वविद्यालय छात्रवृत्ति कमीशन का अध्यक्ष नियुत्त किया गया था।

शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं/ Happy teachers day

पुराने समय में शिक्षकों को चरण स्पर्श कर सम्मान दिया जाता था। परन्तु आज के समय में शिक्षक और छात्र दोनो ही बदल गये है। पहले शिक्षण एक पेशा ना होकर एक उत्साह और एक शौक का कार्य था। पर अब यह मात्र एक आजीविका चलाने का साधन बनकर रह गया है। शिक्षक एक व्यत्ति के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमि का निभाते है। शिक्षक एक मार्गदर्र्शक , गुरु, मित्र होने के साथ ही और कई भूमिकाएं निभाते है। यह विद्यार्थी के उपर निर्भर करर्ता है कि वह अपने शिक्षक को कैसे परिभाषित करता है।

 संत तुलसीदास

रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन

संत तुलसीदास ने बताया है कि भगवान, गुरु एक व्यक्ति को वैसे से ही नजर आयेंगे जैसा कि वह सोचेगा। उदहारण के लिए अर्जुन भगवान श्रीकृष्ण को अपना मित्र मानते थे। वही मीरा बाई भगवान श्रीकृष्ण को अपना प्रेमी। ठीक इसी प्रकार से यह शिक्षक के ऊपर भी लागू होता है। इसीलिए कहते हैं कि शिक्षक समाज का पथ प्रदर्शक होता है। शिक्षक दिवस को स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय और शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षक और विद्याार्थियों  के द्वारा बहुत ही खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन विद्यार्थियों से शिक्षकों को ढ़ेर सारी बधाईयां मिलती है। भारत में शिक्षक दिवस शिक्षको के सम्मान में मनाया जाता है। शिक्षक पूरे वर्ष मेहनत करते है और चाहते है कि उनके छात्र विद्यालय और अन्य गतिविधियों में अच्छा प्रदर्शन करें।

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शिक्षक दिवस पर कार्यक्रम/ Program on teachers day

राष्ट्र के प्रकाश स्तम्भ होते हैं शिक्षक

विभिन्न प्रकार के कार्यक्रर्मों का आयोजन किया जाता है। हर देश में इस दिवस को मनाने की तारीख अलग-अलग है। चीन में 10 सितम्बर तो अमेरिका में छह मई,  ऑस्ट्रेलिया में अक्तूबर  का अंतिम शुक्रवार, ब्राजील में 15 अक्तूबर और  पाकिस्तान में पांच अक्तूबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। इसके अलावा ओमान, सीरिया, मिस्त्र, लीबिया, संयुत्त अरब अमीरात, यमन, सऊदी अरब, अल्जीरिया, मोरक्को और कई इस्लामी देशों में 28 फरवरी को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।

शिक्षक दिवस पर धन्यवाद/ Thanks on teacher day

किसी देश का भविष्य उसके बच्चों के हाथों में होता है और शिक्षक, मार्गदर्शक के रूप में, छात्रों को भविष्य के नेताओं के रूप में ढाल सकते हैं जो भारत के भाग्य को आकार देते हैं। वे हमारे जीवन में हमारे करियर और व्यवसायों में सफल होने में हमारी मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे हमें अच्छे इंसान, समाज के बेहतर सदस्य और देश के आदर्श नागरिक बनने में मदद करते हैं। शिक्षक दिवस हमारे जीवन में शिक्षकों द्वारा निभाई जाने वाली चुनौतियों, कठिनाइयों और विशेष भूमिकाओं को स्वीकार करने के लिए मनाया जाता है। वर्तमान समय में शिक्षकों का समाज में सम्मान कम होने लगा है। बहुत से शिक्षकों की घटिया हरकतों ने उनको समाज की नजरों से गिरा दिया है। स्कूल, कालेजों में छात्र, छात्राओं के साथ शिक्षकों द्धारा नीच हरकते करने के चलते शिक्षण जैसा पवित्र कार्य बदनाम होता जा रहा है। मौजूदा दौर में शिष्य भी कुछ कम नहीं हैं। छात्रों की अनुशासनहीना के चलते स्कूल, कालेजों में शिक्षा का वातावरण समाप्त होता जा रहा है। गुरू शिष्य को एक दूसरे की भावनाओं को समझ कर मिलजुल कर ज्ञान की ज्योति जलानी होगी। शिक्षक दिवस मनाने के साथ हमें शिक्षण कार्य की पवित्रता को फिर से बहाल करने की प्रतिज्ञा भी लेनी होगी। तभी हमारा शिक्षक दिवस मनाना सार्थक हो पाये।

हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार भी “ शिक्षण एक पेशा नहीं, बल्कि जीवन जीने का एक तरीका है ”। शिक्षण एक पेशा नहीं बल्कि “ जीवन धर्म ” (जीवन जीने का एक तरीका) है और उन्होंने शिक्षकों से दुनिया भर में हो रहे बदलावों को समझने के लिए कहा ताकि वे नई पीढ़ी को उनका सामना करने के लिए तैयार कर सकें। वास्तव में, मार्गदर्शन और ज्ञान देना एक दिव्य जिम्मेदारी है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत को शिक्षकों को उच्च सम्मान देकर ‘ विश्वगुरु ’ (शिक्षा में अग्रणी) का दर्जा फिर से हासिल करना चाहिए , जिन्हें उन्होंने छात्रों को राष्ट्र से संबंधित मुद्दों के बारे में गंभीरता से सोचने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कहा। “ शिक्षकों का दृढ़ संकल्प और ईमानदारी राष्ट्र की नियति को आकार देगी क्योंकि वे समाज की नींव और निर्माण खंड रखते हैं

क्या दूं गुरुदक्षिणा मन ही मन मैं सोचूं,चुका पाऊं ऋण मैं आपका, अगर जीवन भी अपना दे दूं। शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं!

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सारिका असाटी

 

 

 

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