प्राकृतिक नियमों का करें पालन
प्राकृतिक नियमों का पालन कर स्वस्थ और लंबी आयु पाई जा सकती है। आहार-विहार, आचार-विचार को संतुलित करके स्वस्थ व लंबा जीवन जीया जा सकता है।
अध्ययन में पाया गया
मनोवैज्ञानिकों ने विश्व के कई स्थानों में रहने वाले लोगों की आदतों का अध्ययन किया।
इससे पाया कि अनेक अभ्यासी एवं संयमी मनुष्य प्राकृतिक नियमों का कड़ाई से पालन करते हैं।
ऐसे लोग अपने आहार-विहार, आचार-विचार को संतुलित करके लंबी आयु तक जीवित रहते हैं।
ये दीर्घायु में भी स्वस्थ, चंचल व जवान प्रतीत होते हैं।
अल्पायु का कारण
संसार के अधिकांश मनुष्य जो प्राकृतिक नियमों का पालन नहीं करते, वे अपने मन को नियंत्रित नहीं कर सकते।
वे मन की इन्द्रियों तथा आहार-विहार एवं आचार-विचार में सामंजस्य नहीं बिठा सकते।
ऐसे मनुष्य अल्पायु में ही नाना प्रकार के रोगों से ग्रस्त होकर अपने आपको वृद्ध महसूस करते हैं।
और कुछ ही दिनों में इस संसार से कूच कर जाते हैं।

अनुभूत सिद्धांत
अच्छे स्वास्थ्य एवं दीर्घायु प्राप्त करने के लिए विश्व के अनेक स्थानों के अभ्यासी, संयमी एवं दृढ़ निश्चयी व्यक्तियों के जीवन से निकले सिद्धांत प्रस्तुत हैं।
इन सिद्धांतों को अपने व्यवहार में ढालकर आप भी लंबी आयु प्राप्त कर सकते हैं –
- सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय विश्राम नहीं करना चाहिए।
- इससे शरीर में आलस्य उत्पन्न होता है।
- अपने शरीर की आवश्यकतानुसार 6 से 8 घण्टे की गहरी नींद अवश्य लीजिए।
- रात्रि में जल्दी सो जाएं एवं जल्दी जाग जाएं।
- सुबह शाम कम से कम दो बार शौच अवश्य जाएं।
- सप्ताह में कम से कम एक बार उपवास अवश्य रखें ताकि कब्ज़ न हो।
- भूख लगने पर ही भोजन करें।
- संतुलित आहार से अधिक भोजन न करें और न ही कम। दोनों से शारीरिक हानि होती है।
- भोजन को खूब चबा-चबाकर एवं धीरे-धीरे खाएं।
- सुबह-शाम खुली हवा में भ्रमण अवश्य करें।
- यदि संभव हो सके, तो नियमित योगासन करें।
- लड़कियों का विवाह 20 वर्ष से कम में न करें।
- लड़कों का विवाह 24 वर्ष के बाद ही करना अच्छे स्वास्थ्य का द्योतक है।
- काम को नियंत्रित करना ही श्रेयस्कर है।
- अत्यधिक सेक्स नाना प्रकार की बीमारियों को जन्म देता है।
- वासनात्मक प्रवृत्ति को व्यस्तता द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है, इसलिए हमेशा व्यस्त रहें व मस्त रहें।
- भूलकर भी क्रोध न करें। क्रोध करने से मानसिक तनाव के कारण शारीरिक रोग उत्पन्न होते हैं।
- नशीले पदार्थों का सेवन न करें। स्नायु ढीले पड़ जाते हैं, शरीर कमजोर हो जाता है।
- अत्यधिक मादक पदार्थों के सेवन से अल्पायु में जीवन समाप्त हो जाता है।
- मांस-मछली एवं मिर्च-मसाले का सेवन बहुत कम करें।
- बैठने और पढ़ने के समय कमर न झुकाएं।
- चलने के समय भी कमर सीधी रखें।
- पढ़ने के समय गर्दन सीधी रखें।
- चिंता से दूर रहें और हमेशा हंसमुख एवं प्रसन्नचित रहें।
- अश्लील फिल्में न देखें और न ही अश्लील साहित्य पढ़ें, क्योंकि मन में बुरे विचार उत्पन्न हो जाते हैं।
- बुरे विचारों से मन में स्नायु कमजोर हो जाते हैं, जो शारीरिक रोगों को जन्म देते हैं।
- मन में भय उत्पन्न करने वाले कार्यों को भूल कर भी न करें, क्योंकि भय से बीमारी उत्पन्न होती है।
- घर-आंगन को साफ, स्वच्छ, रोशनदार तथा हवादार रखें।