
नकली चांदी वर्क घातक सोने-चांदी के वर्क का उपयोग कभी आयुर्वेद और यूनानी दवाओं व नवाबों के विशेष हकीम उनके लिए भस्में बनाने में प्रयोग करते थे| लेकिन आजकल सोना-चांदी युक्त च्यवनप्राश व मिठाइयों पर लगे वर्क आम लोगों की सेहत से खिलवाड़ ही कर रहे हैं| या यूं कहिये कि सरेआम वर्क के नाम पर जहर ही बांटा जा रहा है।
स्वास्थ्य पर वर्क के प्रभाव/EFFECTS OF WORK ON HEALTH

- प्राचीन काल में वर्क बनाने वाले पुश्तैनी कारीगरों के दिन तो पूरी तरह से लद चुके हैं। वर्क बनाने का कारोबार मशीनों से होने लगा है |
- जिससे शुद्ध चांदी में आसानी से मिलावट की जा रही है।
- भारतीय विश्व विज्ञान अनुसंधान के खाद्य एवं विषाक्ता जांच प्रयोगशाला में इन वर्को की जांच के बाद चौंकाने वाले तथ्य सामने आ चुके हैं|
- आज जिस वर्क का प्रचलन मिठाइयों या अन्य पदार्थों में किया जा रहा है वह पूरी तरह से सेहत का साथी नहीं है।
- साढ़े आठ सौ वर्ष पूर्ववर्क बनाने की कला लखनऊ में ईजाद की गई थी|
- इसे लखनऊ के नवाब वाजिद अलीशाह ने फलने-फूलन के अवसर दिये थे।
- तब इसका उपयोग बादशाह व नवाबों के अलावा राजा- महाराजा आयुर्वेदिक दवाओं में करते थे।
- सोने चांदी के वर्क का प्रयोग उस समय विशेष रूप से पान, हलवा व तंबाकू तथा विभिन्न व्यंजनों का स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता था।
- उस वक्त वर्क हाथों से हथौड़े से पीट-पीट कर बनाये जाते थे।
- सोने-चांदी के टुकड़ों को जानवर की खाल में रख कर कूटा जाता था।
- खाल की झिल्ली उतार कर उसे साफ कर जाफरान, लौंग, इलायची इत्यादि ढेरों मसालों का मिश्रण बना घोल डालकर सुखाया जाता था।
- इसी से महक और स्वाद बढ़ता था चाहे वे मिठाइयां हो अथवा व्यंजन।
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नकली चांदी वर्क में विषैले तत्वों की मौजूदगी/PRESENCE OF TOXIC ELEMENTS IN FAKE SILVER WORK

- आज मिलावट के युग में वर्क की विश्वसनीयता पर भी आंच आ गई है |
- ये पूरी तरह से नकली वर्क के रूप में धड़ल्ले से प्रयोग मं लाए जा रहे हैं।
- चांदी के वर्क का सर्वाधिक प्रचलन होने से इसमें सबसे ज्यादा विषैले लेतत्व पाए गये हैं|
- जिनमें कैडियम, मैग्मैनीज, एल्यूमीनियम, निकिल, लैड आदि शरीर के लिए घातक माने गये हैं| और खतरनाक बीमारियां होने का खतरा बढ़ गया है।
- कैडियम का सीधा असर किडनी पर पड़ता है जिससे गुर्दे क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। अल्यूमीनियम नामक धातु के मिश्रण से न्यूरोलॉजिकल बीमारियां होने की आशंका बनी रहती है।
- चांदी के वर्क में लैड की मात्रा ज्यादा पाई जाती है जो कैंसर जैसी घातक बीमारी फैलाती है।
- लैड से स्मरण शक्ति भी प्रभावित होती है जिससे पागलपन का भी खतरा हो सकता है।
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शुद्ध चांदी वर्क की पहचान और उपयोग/IDENTIFICATION AND USE OF PURE SILVER WORK-
- हालांकि बाजारों में बिकने वाली मिठाइयों की जांच भले ही खाद्य विभाग द्वारा होती है लेकिन उन पर लगे चांदी के वर्क की चमक दमक व विषाक्ता से वे भी अनभिज्ञ ही रहते हैं।
- बच्चे सर्वाधिक रंगीन व वर्क लगी मिठाइयों के प्रति आकर्षित होते हैं लेकिन उन्हें नहीं मालूम है कि मिठाइयों में प्रयोग किये जाने वाले लाल,पीले, हरे रंग भी कितने घातक हैं|
- शुद्ध चांदी से बने वर्क में एंटी माइक्रोब एजेंट रहते हैं जो हमें कई बीमारियों से बचाते भी हैं।
- हमारे देश में चांदी के वर्क का सेवन सर्वाधिक मिठाइयों, विभिन्न पकवानों व माउथ फ्रेशनर के रूप में मीठी सुपारी, सौंफ, इलायची,तंबाकू व मुरमुब्बों के अलावा विशेष अवसरों पर पान चांदी के वर्क में लपेट कर खाया जाता है।
- खान-पान एवं पाक संबंधी उपयोग हेतु देश में प्रतिवर्ष तीन लाख किलो चांदी से वर्क बनाए जाते हैं लेकिन प्रश्न यही उठता है कि इसमें कितने प्रतिशत शुद्ध चांदी के वर्क बनते हैं।
- शुद्ध व असली वर्क वही है जो हाथ में रगड़ने से गायब हो जाये अन्यथा बीमारियों का वर्क तो प्रयोग में ला ही रहे हैं।
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