
पक्षियों की ध्वनियों का रहस्य (The Mystery of Bird Sounds)
क्या पक्षियों की आवाज़ें केवल सामान्य ध्वनियाँ हैं या उनमें संगीत का कोई तत्व भी है? यह विवाद का विषय है, लेकिन इतना निश्चित है कि पक्षी अनेक प्रकार की ध्वनियाँ निकालते हैं – चहचहाहट, खड़खड़ाहट, सीटी जैसी आवाजें या ट्रिल-टर्र की ध्वनियाँ।
पक्षियों की आवाज़ें हमें कभी गीत जैसी लगती हैं तो कभी चेतावनी या पुकार जैसी। यही विविधता पक्षियों के संवाद और संगीत की नींव बनाती है।
पक्षियों की ध्वनियाँ कैसे बनती हैं (How Birds Produce Sounds)
पक्षियों की ध्वनियों को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है:
- स्वरयुक्त ध्वनियाँ (Vocal Sounds)
- अस्वर ध्वनियाँ (Non-vocal Sounds)
स्वरयुक्त ध्वनियाँ एक विशेष अंग स्रिंक्स (Syrinx) की सहायता से निकलती हैं। यह अंग केवल पक्षियों में पाया जाता है और श्वास नली (Trachea) के शीर्ष पर स्थित होता है। स्रिंक्स की झिल्ली से गुजरती हवा कंपन पैदा करती है, जिससे विभिन्न प्रकार की आवाजें बनती हैं।
कुछ पक्षी अपने पंखों या चोंच से ध्वनियाँ निकालते हैं — इन्हें अस्वर ध्वनियाँ कहा जाता है।
सबसे विकसित ध्वनि अंग वाले पक्षी (Birds with the Most Developed Vocal Organs)
अमेरिकन क्रो (American Crow) अपनी उन्नत स्रिंक्स के कारण विभिन्न स्वरों में आवाजें निकालने का माहिर है। हालांकि, इसकी आवाज मानव कानों को मधुर नहीं लगती।
स्रिंक्स की खास विशेषता यह है कि यह दो अलग-अलग वायु नलिकाओं में ध्वनि उत्पन्न करती है। इस वजह से कुछ पक्षी एक ही समय में दो भिन्न आवाजें निकाल सकते हैं — मानो वे “डबल वॉयस” में गा रहे हों।
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पक्षी क्यों गाते हैं (Why Do Birds Sing?)
पक्षियों के गाने के दो प्रमुख उद्देश्य होते हैं:
- प्रणय का आह्वान (Attracting a Mate)
- क्षेत्र की रक्षा (Defending Territory)
अक्सर नर पक्षी गाते हैं ताकि मादा को आकर्षित किया जा सके। बुलबुल की आवाज सबसे मधुर मानी जाती है, जबकि मॉकिंग बर्ड (Mockingbird) की आवाज तीखी और कर्कश होती है।
जब कोई पक्षी लगातार गाता है, तो वह अपने जोश, ऊर्जा और स्वास्थ्य का परिचय दे रहा होता है।
क्या पक्षी “राग” में गाते हैं? (Do Birds Sing in Melody?)
शोधों से साबित हुआ है कि पक्षियों का गीत भी इंसानों के संगीत की तरह संरचित होता है। वे अपने गीतों में गति (tempo) और स्वर (pitch) में बदलाव करते हैं। इस प्रकार उनका गायन भी “राग” या “मोडालिटी” का रूप ले लेता है।
ज्यादातर पक्षी दिन में गाते हैं क्योंकि वे रात्रिचर नहीं होते। लेकिन कुछ अपवाद जैसे उल्लू (Owl) रात में सक्रिय रहकर अपने विशेष स्वर से संवाद करते हैं।
मधुर और प्रसिद्ध गायन पक्षी (Famous Singing Birds)
कोयल (Cuckoo), पपीहा (Hawk-cuckoo) और हमिंग बर्ड (Hummingbird) अपनी मधुरता के कारण प्रसिद्ध हैं।
इनकी चहचहाहट मनुष्यों के संगीत के समान लगती है और लोककथाओं में इनका उल्लेख कई बार प्रेम या वसंत ऋतु के प्रतीक के रूप में होता है।
पक्षियों की ध्वनि दक्षता बनाम मनुष्य (Birds vs Humans: Vocal Efficiency)
पक्षियों का स्रिंक्स मनुष्यों के स्वर-तंत्र की तुलना में कहीं अधिक कुशल है।
- मनुष्य स्वरतंत्र (Vocal Cords) से गुजरने वाली हवा का केवल 2% हिस्सा ध्वनि में बदल पाते हैं।
- जबकि पक्षी लगभग 100% हवा का उपयोग स्वर में बदलने में करते हैं।
यही कारण है कि तोता, मैना और कबूतर जैसी प्रजातियाँ बहुत स्पष्ट ध्वनि में “बोलती” या “गाती” दिखाई देती हैं।
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नकल करने वाले अद्भुत पक्षी (The Amazing Mimic Birds)
सबसे प्रसिद्ध नकलची पक्षी लायर बर्ड (Lyrebird) है, जो ऑस्ट्रेलिया में पाया जाता है।
यह बच्चों जैसी रोने की आवाज़, कुत्तों के भौंकने, गाड़ियों के हॉर्न और इंसानों की सीटी की हूबहू नक़ल कर सकता है।

लायर बर्ड की विशेषता
इस पक्षी में तीन सिरिंजियल मांसपेशियाँ (Syringeal muscles) होती हैं, जबकि आम पक्षियों में चार। यही कारण है कि इसका स्रिंक्स अत्यंत लचीला और नियंत्रित है।
इसी विशेषता से यह पक्षी अलग-अलग ध्वनियों की पूरी नकल करने में सक्षम है।
हालांकि, वर्षा वनों की कटाई के कारण यह दुर्लभ पक्षी अब विलुप्ति की कगार पर है।
अफ्रीकी ग्रे तोता: सबसे “बोलने वाला” पक्षी (African Grey Parrot – The Talking Wonder)
अफ्रीकी ग्रे तोता (African Grey Parrot) को दुनिया का सबसे उत्कृष्ट “स्पीकर बर्ड” माना जाता है। यह सैकड़ों शब्दों और ध्वनियों की नकल कर सकता है।
यह मुख्य रूप से अंगोला, कांगो, युगांडा, घाना और कैमरून जैसे अफ्रीकी देशों में पाया जाता है।
हालांकि यह इंसानों की ध्वनियों की पूरी नक़ल कर लेता है, परंतु उन शब्दों का अर्थ नहीं समझता — यह केवल ध्वनि की आवृत्ति, पिच और पैटर्न की नकल करता है।
पक्षियों की नकल और व्यवहार विज्ञान (Bird Mimicry and Behavioral Science)
पक्षियों की यह नकल केवल मनोरंजन नहीं बल्कि संज्ञानात्मक क्षमता (Cognitive Ability) का प्रमाण भी है।
इनकी ध्वनियाँ संचार, पहचान और वातावरण के अनुकूलन के तरीके हैं।
कुछ पक्षी अपने वातावरण की ध्वनियाँ अपनाकर शिकारी को भ्रमित करते हैं या साथी को संकेत देते हैं। वैज्ञानिक इसे “ऑडिटरी मिमिक्री” कहते हैं — यह पशु जगत में सबसे दुर्लभ संवेदी क्षमताओं में से एक है।
आज के खतरे और संरक्षण (Modern Threats and Conservation)
तेज़ी से घटते जंगल, ध्वनि प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन ने कई पक्षी प्रजातियों की प्राकृतिक संचार क्षमताओं को प्रभावित किया है।
इन सुंदर आवाज़ों को बचाने के लिए ज़रूरी है कि मानव वर्षा वनों (Rainforests) और प्राकृतिक आवासों को संरक्षित रखे, वरना आने वाली पीढ़ियाँ इन “गाते और बोलते पक्षियों” की ध्वनियाँ केवल रिकॉर्डिंग्स में सुन पाएंगी।
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निष्कर्ष (Conclusion)
पक्षियों की आवाजें केवल सौंदर्य या संगीत नहीं, बल्कि प्रकृति के संवाद का हिस्सा हैं। उनकी हर ध्वनि जीवन, प्रेम और अस्तित्व का संकेत है।
लायर बर्ड हो या अफ्रीकी तोता – ये हमें यह सिखाते हैं कि प्रकृति की हर ध्वनि एक भाषा है, जिसे हमें समझना और संरक्षित करना चाहिए।
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