
तगर क्या है? (What is Tagar)
तगर का सुखाया हुआ तना या गांठदार टेढा-मेढ़ा जड़ बाजारों में सुगन्ध बाला के नाम से बेचा जाता है। अपने अवसादक प्रभाव के कारण हिस्टीरिया एवं स्त्रियों में पेट की गैस एवं मासिक धर्म की विकृति जैसे विकारों में तगर का प्रयोग बहुत उपयोगी सिद्ध होता है। कई प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में तगर का जिक्र मिलता है।
इसका पौधा कई वर्षों तक जीवित रहने वाला होता है। इसके नये पौधों के पत्ते गोलाकार और तोड़ा कंगूरेदार होते हैं। इसके पौधे जैसे-जैसे बड़े होते हैं, उनके पत्तों का आकार छोटा होता जाता है।
इसके फल प्रायः रोमयुक्त और आयताकार होते हैं। इसकी जड़ मोटी और जमीन में नीचे तक धंसी हुई होती है तथा मोटे तन्तुओं से युक्त होती है। तगर के पौधों में फूल के आने का समय जून से जुलाई तक तथा फल का काल सितम्बर से अक्टूबर तक होता है।
तगर के फायदे (Tagar Benefits and Uses)
अब तक आपने जाना कि तगर क्या है और तगर को कितने नामों से देश या विदेशों में जाना जाता है। आइए जानते हैं कि तगर का औषधीय प्रयोग कैसे कर सकते हैं, औषधीय प्रयोग की मात्रा क्या होनी चाहिए और इसकी विधियां क्या हैं
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नींद ना आने की परेशानी में करें तगर का इस्तेमाल (Tagara Herb Uses to Cure Insomnia)
कई लोगों को नींद न आने की परेशानी रहती है। ऐसे लोग तगर का उपयोग कर लाभ पा सकते हैं। तगर के 1-3 ग्राम चूर्ण या 30-40 मिली काढ़ा का सेवन करें। इससे नींद ना आने की परेशानी ठीक होती है।
दिमागी बीमारी में तगर के सेवन से लाभ (Benefits of Tagar in Fighting with Mental Disorder)
दिमागी बीमारी जैसे मस्तिष्क का संतुलित ढंग से काम नहीं करना। आम भाषा में इसे पागलपन भी कह सकते हैं। इसमें तगर का उपयोग करना लाभ पहुंचाता है। 500 मिग्रा तगर के चूर्ण को दिन में 2 या 3 बार शहद के साथ दें। इससे दिमागी बीमारी ठीक होती है।
गले के रोग में फायदेमंद तगर का प्रयोग (Tagar Flower Benefits for Throat Disease Treatment)
गले के रोग में भी तगर का उपयोग लाभ देता है। 1 ग्राम तगर के चूर्ण में 65 मिग्रा यशद भस्म मिलाएं। इसे देने से गले के रोगों में लाभ होता है।
आंखों की बीमारी में तगर का उपयोग फायदेमंद (Uses of Tagar Plant in Eye Disease Treatment)
आंखों के रोग जैसा आंख में दर्द होने पर आप तगर का इस्तेमाल कर सकते हैं। तगर के पत्तों को पीसकर आंखों के बाहर चारो तरफ लेप के रूप में लगाएं। इससे आंखों में होने वाला दर्द बंद हो जाता है।
अगर आप तगर को हरीतकी के रस में पीसकर काजल की तरह आंखों में लगाएंगे तो इससे भी आंखों के रोगों में लाभ होता है।
तगर के सेवन से मूत्र रोग का इलाज (Tagar Herb Cures Urinary Problems)
मूत्र रोग में 1-2 ग्राम तगर के चूर्ण को चीनी के साथ मिलाएं। इसका सेवन करने से मूत्र विकारों में फायदा होता है।
मासिक धर्म विकार में करें तगर का प्रयोग (Benefits of Tagar Flower in Menstrual Disorder)
महिलाएं मासिक धर्म से जुड़े विकार जैसे मासिक धर्म का नियमित रूप से ना आना। इसमें महिलाएं तगर का प्रयोग कर सकती हैं। तगर के 1-3 ग्राम चूर्ण या 30-40 मिली काढ़ा का सेवन करें। इससे मासिक धर्म नियमित रूप से होता है। यह ल्यूकोरिया में भी फायदेमंद है।
तगर से हिस्टीरिया में फायदा (Tagar is Beneficial in Treatment of Hysteria)
तगर (tagar) का काढ़ा बनाकर 15-20 मिली मात्रा में पिएं। इससे हिस्टीरिया में लाभ होता है।
500 मिग्रा तगर के चूर्ण को दिन में 2 या 3 बार शहद के साथ दें। इससे हिस्टीरिया ठीक होती है।
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प्रलाप (डलीरियम) रोग में तगर के इस्तेमाल से लाभ (Tagar Benefits in Delirium Treatment)
प्रलाप एक तरह का मानसिक रोग है। इस रोग में व्यक्ति दिमागी रूप से कमजोर हो जाता है। रोगी को अपने आस-पास होनी वाली घटनाओं की समझ नहीं रहती और मरीज अपनी मानसिक उलझणों में बहुत ही अधिक उलझा रहता है।
इस रोग में तगर का प्रयोग कर आप लाभ ले सकते हैं।
तगर के साथ बराबर मात्रा में अश्वगन्धा, पित्तपापड़ा, शंखपुष्पी, देवदारु, कुटकी, ब्राह्मी, निर्गुण्डी, नागरमोथा, अमलतास, छोटी हरड़ तथा मुनक्का लें। सबको मिलाकर कुट लें।
इसका काढ़ा बना लें। इस काढ़ा को 10-20 मिली की मात्रा में सेवन करें। इससे प्रलाप या डलीरियम जैसी बीमारी में लाभ होता है।
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