Thursday, September 19, 2024
Google search engine
Homeविशेषत्योहारजैनधर्म में सात्विक भोजन/Sathwik food in Janism

जैनधर्म में सात्विक भोजन/Sathwik food in Janism

जैनधर्म में सात्विक भोजन/Sathwik food in Janism
जैनधर्म में सात्विक भोजन/Sathwik food in Janism

 

मन और तन की शुदि्ध के लिए होता है जैनधर्म में सात्विक भोजन का विशेष महत्व। जैनधर्म में पयुर्षण की शुरुआत, आठ दिन श्रावक रखेंगे कठिन व्रत और भौतिकवादी सुख-सुविधाओं से बनाएंगे दूरी।

इन पांच कर्तव्यों का करेंगे पालन

अहिंसा

हिंसा से दूर रहना, मंदिर तक भी नंगे पांव आना ताकि जाने अनजाने में कोई जीव हिंसा न हो।

सधार्मिक भक्ति-

अगर समाज का कोई व्यक्ति आपके यहां आया है तो उसे सम्मान देना।

ब्रह्मचर्य

भौतिक सुख, सुविधाओं से दूर रहना

क्षमापना

क्षमा का भाव रखना

क्षमा मांगना

चैत्य परिपाटी–

सभी मंदिरों के दर्शन करना

Read this also – पर्युषण पर्व

महापर्व पर्यूषण

  • आठ दिनों तक चलने वाला है महापर्व पर्यूषण
  • इस दौरान जैन बंधु भौतिक सुख सुविधाओं से दूर रहकर तप, त्याग, संयम की साधना और कठिन व्रत कर रहे हैं।
  • मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना और अनुष्ठान हो रहे हैं।
  • जैन विद्वानों का कहना है कि पर्युषण के दौरान सात्विक भोजन का विशेष महत्व है।
  • सात्विक भोजन मन के विकारों को दूर करने के साथ-साथ बीमारियों से भी बचाता है।
  •  इसलिए इसे सभी को अपनाना चाहिए।
  • श्वेताम्बर जैन समाज के पर्युषण पर्व की शुरुआत हो गई है।
  • पर्युषण पर्व पर मंदिरों में प्रतिक्रमण, स्नात्र पूजा के बाद विधि विधान से अनुष्ठान और सात्विक भोजन विशेष महत्व है।

सूर्यास्त के पहले होता है भोजन / food is taken before the sunset

  • पर्युषण पर्व के दौरान सात्विक भोजन का विशेष महत्व है।
  • वैसे भी जैन समाज सात्विक भोजन पद्धति अपनाता है। इसे सभी को अपनाना चाहिए।
  • इससे मन की शुदि्ध के साथ-साथ बीमारियों से भी बचाव होता है।
  • इस दौरान जमीन के अंदर पैदा होने वाली चीज जैसे शकरकंद, अदरक, आलू, प्याज, लहसून आदि का सेवन नहीं किया जाता है।
  • इसी प्रकार हरि सब्जी भी नहीं खाई जाती।
  • भोजन सूर्यास्त के पहले ही किया जाता है, वैसे भी सूर्यास्त के पहले ही भोजन करना चाहिए, जिससे दो तीन घंटे में भोजन पच जाए।
  • अगर देर रात में भोजन करते हैं तो वह पच नहीं पाता और वह अनेक विकारों को जन्म देता है।

Read this also – सुदर्शन चक्रधारी श्रीकृष्ण

जैन धर्म में आहारचर्या / Food in jainism

जैनधर्म में सात्विक भोजन/Sathwik food in Janism

  • पर्युषण  के दिनों में, सभी जैन भक्त बीच-बीच में उपवास रखें,
  • जिसे सूर्यास्त से पहले दिन में केवल एक बार सात्विक भोजन करके तोड़ा जाए।
  • जैसा कि आप पहले से ही जानते होंगे, जैन आहारचर्या के अनुसार मांसाहारी भोजन, कंद आदि का सेवन वर्जित है।

पानी भी सात्विक

  • यहाँ तक कि पर्युषण के दौरान पिया जाने वाला पानी भी पीने से पहले उबाला जाना चाहिए। इसलिए, पर्युषण  के दौरान जैन भक्तों का सात्विक आहार और भी सीमित और प्रतिबंधात्मक है। जिसमें शरीर और आत्मा की पूर्ण शुद्धि को ध्यान में रखा जाता है।

आत्मआलोचना का पर्व

  • पर्युषण  के दौरान ध्यान करें, अहिंसा का अभ्यास करें और क्रोध आदि मनोविकारों पर नियंत्रण रखें।
  • इस प्रक्रिया को प्रतिक्रमन(आत्मआलोचना) कहा जाता है, जो प्रार्थना और ध्यान की ढाई घंटे की अवधि है।
  •  और इसका एकमात्र उद्देश्य पिछले पापों के लिए क्षमा मांगना और आत्म-जागरूकता बढ़ाना है कि ये दोहराए नहीं जाएं।

Read this also – बरसात – बचें आंत्रशोथ से (Rain – Avoid Gastroenteritis)

आध्यात्मिक उत्थान

  • जैन धर्म एक प्राचीन भारतीय धर्म है जो मुख्य रूप से सभी जीवित प्राणियों के प्रति अहिंसा ‘अहिंसा’ में विश्वास करता है। उनकी तपस्या और भोजन अनुशासन भौतिक दुनिया और इच्छाओं के संयम के माध्यम से आत्मा को ऊपर उठाने पर ध्यान केंद्रित करता है, आध्यात्मिक उत्थान और आत्म-शुद्धि को एकीकृत करता है। जैन भोजन पद्धति भोजन विज्ञान की ओर अधिक झुकी हुई है। हमारा शरीर विभिन्न खनिजों, विटामिनों, प्रोटीन और आयरन, पोटेशियम, कैल्शियम और कई अन्य तत्वों से बना है।

आहार चर्या

  • हमारे पूर्वजों ने एक अद्भुत और विस्तृत आहारचर्या अर्थात भोजन योजना बनाई है।
  •  जिसमें हमारे शरीर की भलाई के लिए आवश्यक हर पोषक तत्व की सही मात्रा शामिल थी। जैन भोजन इस खाद्य विज्ञान पर बहुत जोर देता है।
  •  और यही कारण है कि यह निर्दिष्ट करता है कि हमारे दैनिक आहार में क्या खाना चाहिए।

मन वही है जो शरीर ग्रहण करता है

चिकित्सा विज्ञान इस वाक्यांश का समर्थन करता है क्योंकि यह आश्वस्त करता है कि क्रोध, चिड़चिड़ापन, नींद और मानव मन का स्वभाव उसके भोजन के सेवन से नियंत्रित होता है।

जमीकंद का त्याग

  • जैन धर्म में प्याज, लहसुन तथा अन्य जमीकंदों का सेवन प्रतिबंधित है।
  • इसका कारण, जैसा कि आयुर्वेद में भी बताया गया है, प्याज को तामसिक प्रकृति का माना जाता है।
  •  जो जलन को बढ़ावा देता है और लहसुन को राजसिक माना जाता है जो नींद और ऊर्जा को बाधित करता है।
  • आयुर्वेदिक और योगिक साहित्य में यह भी माना जाता है और इसका समर्थन किया जाता है कि सात्विक आहार आपको अपनी इच्छाओं पर विजय पाने में मदद करता है। इसलिए, भोजन हमारे मन और शरीर की भलाई में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

 सब्ज़ियाँ खाना / food with vegetables

जैन धर्म के रीति-रिवाजों के अनुसार, पर्युषण के दौरान लोग हरी सब्ज़ियाँ खाने से परहेज़ करते हैं। हालाँकि, हरी सब्ज़ियों की जगह वे सूखी सब्जियों व दूध से बने भोजन का सेवन कर सकते हैं।

बाहर का खाना / Outside food

पर्युषण के दौरान खाया जाने वाला भोजन पूरी तरह से सात्विक होता है, इसलिए बाहर का खाना या रेस्तरां और होटलों से जंक फूड खाना वर्जित है।

पर्युषण पर्व की समृद्ध परंपराओं की खोज / Search for prosperity on paryushan festival

जैन पर्युषण की सबसे महत्वपूर्ण परंपरा उपवास है। इसमें केवल उबला हुआ पानी पीना और केवल सात्विक भोजन करना शामिल है। इसके अलावा, इस दौरान पत्तेदार और हरी सब्जियाँ और पिसी हुई जड़ वाली सब्जियाँ खाने की अनुमति नहीं है।

जैनधर्म में सात्विक भोजन/Sathwik food in Janism

Read this also – टीनएजर बच्चों के मददगार बनें पैरेन्ट्स

  • आध्यात्मिक विकास का पर्व
    चूंकि जैन धर्म में पर्युषण के दिनों को पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है, इसलिए प्रार्थना या व्याख्यान में भाग लेना महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके साथ ही लोग अपने आध्यात्मिक विकास और व्यक्तित्व विकास के लिए पवित्र पुस्तकें और शास्त्र भी पढ़ते हैं।
    आध्यात्मिक विकास की बात करें तो जैन लोग अपने दैनिक कार्यक्रम में ध्यान का अभ्यास भी शामिल करते हैं। ऐसा करने से उन्हें आंतरिक शांति और स्थिरता के साथ-साथ आत्म-ज्ञान भी मिलता है।
  • लोकप्रिय जैन रीति-रिवाजों और परंपराओं के अनुसार, लोग पूरे दिन के प्रत्येक घंटे के लिए एक मिनट का समय ध्यान करने और ज्ञान प्राप्त करने के लिए निकालते हैं।

मंत्र जाप / Mantra jaap

पर्युषण पर्व को और भी सार्थक बनाने का सबसे आसान और सरल तरीका है मंत्र जाप का अभ्यास करना। कुछ लोग प्रतिदिन कम से कम 15-20 मिनट तक ध्यान के साथ-साथ मंत्रों का जाप भी करते हैं।

ध्यान / Meditation

जैनधर्म में सात्विक भोजन/Sathwik food in Janism

  • ध्यान एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से व्यक्ति अपनी आध्यात्मिक यात्रा पर आगे बढ़ता है। इसलिए, जैन धर्म के पांच सर्वोच्चों, जिनमें 24 जिन और 4 मंगल शामिल हैं, की प्रार्थना करना सबसे अच्छा विकल्प है। ध्यान के साथ-साथ, व्यक्ति प्रतिदिन कम से कम एक घंटे मौन ध्यान (बात न करना) भी कर सकता है।

एकासना या ब्यासना / Ekasana or Vayasan

  • जैन पर्युषण के दौरान व्रत रखने वाले लोग एकासना या ब्यासना का विकल्प चुन सकते हैं। एकासना में, उन्हें दिन में केवल एक बार भोजन करने की अनुमति होती है, और वह सूर्योदय से पहले होता है। ब्यासना का अर्थ है दिन में केवल दो बार भोजन करना।

ज्ञान और बुद्धि को बढ़ाना / To impart knowledge and wisdom

  • ईमानदारी, अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलने के लिए खुद को उच्चतर आत्मा में लीन करना आवश्यक है। यह केवल अपने ज्ञान और बुद्धि को बढ़ाकर ही संभव है। इसलिए, कल्पसूत्र और तत्त्वसूत्र जैसे पवित्र ग्रंथों को पढ़ने की सलाह दी जाती है।

 

यह लेख सामान्य जानकारियों पर आधारित है। यदि पसंद आए तो इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करें। अपने विचार और सुझाव कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें।

सारिका असाटी

 

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments