परिचय – भगवान गणेश और गणेश चतुर्थी/ Lord Ganesha and Ganesh Chaturthi Introduction
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, बुद्धि और सिद्धि के देवता के रूप में जाना जाता है। हर शुभ कार्य से पहले “श्री गणेश” का स्मरण करने की प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है। गणेश जी को लड्डू का भोग सबसे प्रिय है और वे अपने भक्तों की मनोकामनाओं को प्रथम निवेदन में ही सुन लेते हैं।
गणेश चतुर्थी का पर्व भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। परंतु क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे कई रोचक पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं? आइए जानते हैं गणेश जी और इस पर्व से संबंधित रहस्यमयी बातें।
भगवान गणेश की विवाह कथा/ Lord Ganesha’s Marriage Story
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गणेश जी की दो पत्नियाँ हैं – ऋद्धि और सिद्धि। ऋद्धि समृद्धि की प्रतीक हैं और सिद्धि सफलता की। इसी कारण उन्हें “सिद्धिविनायक” और “विघ्नहर्ता” कहा जाता है।
गणेश जी का वाहन रहस्य/Mystery of Lord Ganesha’s Vahana (Vehicle)
लोगों का मानना है कि गणेश जी का वाहन मूषक (चूहा) है, लेकिन मुद्गल पुराण के अनुसार उनके वाहन शेर, मोर और साँप भी बताए गए हैं। वहीं जैन ग्रंथों में गणेश जी की सवारी – हाथी, भेंडा और कछुए मानी गई है।
इससे स्पष्ट है कि गणेश जी केवल मूषक पर नहीं, बल्कि कई तरह के वाहनों पर विराजमान हो सकते हैं।
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गणेश चतुर्थी का सामाजिक महत्व/Ganesh Chaturthi Social Importance
साल 1893 में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने गणेश चतुर्थी को सार्वजनिक उत्सव के रूप में मनाना शुरू किया। उनका उद्देश्य था कि जाति-भेद मिटाकर लोग अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट हो सकें। तभी से गणेश चतुर्थी एक सामूहिक पर्व के रूप में पूरे महाराष्ट्र और भारत में भव्य तरीके से मनाई जाने लगी।
आज यह उत्सव दीपावली के समान ही महत्वपूर्ण माना जाता है।
भारत से बाहर गणेश जी का प्रसार/Lord Ganesha Across the World
भारत के व्यापारी प्राचीन समय में विदेश यात्रा पर जाते समय गणेश जी की मूर्ति साथ रखते थे। इसी कारण नेपाल, अफगानिस्तान, कंबोडिया, थाइलैंड, इंडोनेशिया, जापान और चीन में गणेश जी विभिन्न नामों और रूपों में पूजे जाते हैं।
- जापान – “कांगितेन”
- थाईलैंड और कंबोडिया – भगवान गणेश को शिल्प और मूर्तियों में विशेष स्थान
- नेपाल और चीन – समृद्धि और शुभ कार्य के देवता
महाभारत के लेखक – गणेश जी/Lord Ganesha as the Writer of Mahabharata
महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना करते समय गणेश जी को लेखक चुना था। गणेश जी ने इसे लिखने के लिए सहमति तो दी, लेकिन उनकी शर्त थी – लेखन बिना रुके करना होगा।
वेदव्यास ने भी शर्त रखी कि गणेश जी केवल वही लिखेंगे जिसे समझेंगे।
लेखन के दौरान जब गणेश जी की कलम टूट गई, तो उन्होंने अपना एक दांत तोड़कर कलम बना लिया। यही कारण है कि गणेश जी को एकदंती भी कहा जाता है।
कैसे बने गणपति – हाथीमुखी देव/The Birth Story of Elephant-Headed Lord Ganesha
पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती ने स्नान करते समय अपने चंदन के लेप से एक बालक की रचना की और उसे द्वारपाल नियुक्त किया। जब शिवजी घर लौटे तो गणेश ने उन्हें रोक दिया। क्रोधित होकर शिवजी ने उनका सिर काट दिया।
माता पार्वती अत्यंत दुखी हुईं और उन्होंने गणेश को पुनर्जीवन की मांग की। तब शिवजी ने नंदी को भेजा और सबसे पहले मिले जीव का सिर लाने का आदेश दिया। नंदी ने एक हाथी का सिर लाकर शिवजी को दिया, जिसे गणेश जी के शरीर पर स्थापित कर उन्हें जीवनदान मिला।
तभी से गणेश जी को गजानन (हाथीमुख) गणपति कहा जाने लगा।
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गणेश चतुर्थी की कथा – क्यों मनाते हैं यह पर्व?/Ganesh Chaturthi Story – Why We Celebrate the Festival?
एक बार सभी देवता कठिनाई में पड़े और शिवजी से मदद मांगी। शिवजी ने गणेश और कार्तिकेय से कहा कि जो पृथ्वी की सबसे तेज परिक्रमा करेगा वही देवताओं की मदद करेगा।
कार्तिकेय अपने मोर पर बैठकर निकल पड़े, लेकिन गणेश जी ने चतुराई से अपने माता-पिता शिव और पार्वती की सात बार परिक्रमा की और कहा –
“माता-पिता ही मेरा विश्व हैं, उनकी परिक्रमा करना ही ब्रह्मांड की परिक्रमा है।”
गणेश की बुद्धिमत्ता से प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि जो भी व्यक्ति कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गणेश जी की पूजा करेगा उसके दुख दूर होंगे और जीवन में सुख-समृद्धि आएगी।
गणेश चतुर्थी पूजा और व्रत का महत्व/Importance of Ganesh Chaturthi Puja and Vrat
गणेश चतुर्थी पर लोग उपवास रखते हैं और गणपति बप्पा का पूजन करते हैं। मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से गणेश जी का व्रत करता है, उसे –
- विद्या और बुद्धि की प्राप्ति
- संतान सुख की प्राप्ति
- कर्ज और आर्थिक कठिनाइयों से मुक्ति
- घर में सुख-शांति और समृद्धि
निश्चित रूप से मिलती है।
गणेश जी की प्रिय चीजें/Ganpati’s Favorite Offerings
- मोडक और लड्डू – गणेश जी का सबसे प्रिय प्रसाद।
- दुर्वा घास – बिना दुर्वा के गणेश पूजन अधूरा माना जाता है।
- लाल फूल – इन्हें शक्ति और उर्जा का प्रतीक माना जाता है।
- सिंदूर और चंदन – गणपति की प्रतिमा पर चढ़ाए जाते हैं।
गणेश जी से जुड़ी विशेष मान्यताएँ/ Special Beliefs about Lord Ganesha
- जहाँ गणेश जी का वास होता है, वहाँ दुख और दरिद्रता नहीं आती।
- गणेश जी को “प्रथमपूज्य” देवता कहा जाता है।
- किसी भी नए कार्य, शादी, गृह प्रवेश या यात्रा की शुरुआत “श्री गणेश” से करना शुभ होता है।
- भगवान गणेश ज्ञान, बुद्धि और चतुराई के प्रतीक हैं।
निष्कर्ष/ Conclusion
भगवान गणेश को ज्ञान, बुद्धि, समृद्धि और सफलता का देवता माना जाता है। उनकी पूजा से जीवन के सभी विघ्न दूर होते हैं और घर में सुख-शांति रहती है। गणेश चतुर्थी केवल धार्मिक पर्व ही नहीं बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी है।
इसलिए, हर नए कार्य की शुरुआत में “जय श्री गणेश” का उच्चारण करना जीवन को मंगल और सफल बनाने की सबसे आसान कुंजी मानी जाती है।
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