जो भक्त गणेश की पूजा करते हैं उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। श्री गणेश से प्रार्थना कर वे अपने पापों से शुद्ध हो जाते हैं और ज्ञान और समझ के मार्ग पर चलते हैं। यही गणेश चतुर्थी मनाने के पीछे मुख्य भावना है। गणेश चतुर्थी, About Lord Shri Ganesha in Hindi
भगवान गणेश के बारे में हिन्दी में About Lord shri ganesh in hindi
गणेश चतुर्थी का त्योहार राजा शिवाजी के शासनकाल से मनाया जाता रहा है। लोकमान्य तिलक ने गणेश चतुर्थी को एक निजी उत्सव से एक विशाल सार्वजनिक कार्यक्रम में बदल दिया था। जहां सभी जातियों के लोग एक साथ आ सकते हैं ।
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क्यों मनाई जाती हैं गणेश चतुर्थी? / Why is Ganesh Chaturthi celebrated?
गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था। गणेशोत्सव के दौरान सभी लोग बप्पा को घरों में विराजमान करते हैं। 10 दिनों तक उनकी विधि-विधान से पूजा की जाती है। किसी भी नए काम की शुरूआत से पहले भगवान गणेश की पूजा करने की परंपरा है. गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है जो आपके जीवन में आने वाले सभी दुख- दर्द को दूर करते हैं. गणेश उत्सव मनाने की परंपरा महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी महाराज के समय से ही है।
गणेश चतुर्थी का इतिहास / History of Ganesh Chaturthi
गणेशोत्सव की शुरुआत महाराष्ट्र की राजधानी पुणे से हुई थीI गणेश चतुर्थी का इतिहास मराठा साम्राज्य के सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़ा हैI मान्यता है कि भारत में मुगल शासन के दौरान अपनी सनातन संस्कृति को बचाने हेतु छत्रपति शिवाजी ने अपनी माता जीजाबाई के साथ मिलकर गणेश चतुर्थी यानी गणेश महोत्सव की शुरुआत की थीI छत्रपति शिवाजी द्वारा इस महोत्सव की शुरुआत करने के बाद मराठा साम्राज्य के बाकी पेशवा भी गणेश महोत्सव मनाने लगे, गणेश चतुर्थी के दौरान मराठा पेशवा ब्राह्मणों को भोजन कराते थे और साथ ही दान पुण्य भी करते थे पेशवाओं के बाद ब्रिटिश हुकूमत ने भारत में हिंदुओं के सभी पर्वों पर रोक लगा दी लेकिन फिर भी बाल गंगाधर तिलक ने गणेश चतुर्थी के महोत्सव को दोबारा मनाने की शुरूआत की इसके बाद 1892 में भाऊ साहब जावले द्वारा पहली गणेश मूर्ति की स्थापना की गई थी।
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सौभाग्य, समृद्धि और ज्ञान के देवता भगवान गणेश /Lord Ganesha god of luck, prosperity and knowledge
भगवान गणेश को सौभाग्य, समृद्धि और ज्ञान का देवता माना जाता है ऐसे में गणेश पूजन से घर में सुख समृद्धि का वास होता है मान्यता ये भी है कि गणेश उत्सव के 10 दिनों तक भगवान गणेश पृथ्वी पर ही रहते हैं और अपने भक्तों के कष्टों को दूर करते हैं ऐसे में भक्त भी बप्पा को प्रसन्न करने के लिए हर जतन करते हैं महाराष्ट्र गोवा और तेलंगाना आदि राज्यों में यह त्योहार काफी लोकप्रिय है इन राज्यों में गणपति जी के विशाल पंडाल लगते हैं. इस दिन सभी घरों में भगवान गणेश की प्रतिमा का भव्य स्वागत किया जाता है साथ ही गणेश चतुर्थी का व्रत भी रखा जाता है इस तिथि को व्रत रखने से व्रती को जीवन में सुख- समृद्धि और अनेक लाभ प्राप्त होते हैं|
गणपति विर्सजन की शुरूआत/ Ganpati immersion begin:
गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी की स्थापना करने की मान्यता है और उसके 10 दिन बाद उनका विसर्जन किया जाता है कई लोग यह जानने के लिए उत्सुक होंगे कि आखिर भगवान गणेश को इतनी श्रृद्धा के साथ लाने और पूजने के बाद उन्हें विसर्जित क्यों किया जाता है धर्म शास्त्रों के अनुसार इसके पीछे एक बेहद ही महत्वपूर्ण कथा छिपी हुई है पौराणिक कथा के अनुसार, महर्षि वेदव्यास ने भगवान गणपति जी से महाभारत की रचना को क्रमबद्ध करने की प्रार्थना की थी. गणेश चतुर्थी के ही दिन व्यास जी श्लोक बोलते गए और गणेश जी उसे लिखित रूप में करते गए 10 दिनों तक लगातार लेखन करने के बाद गणेश जी पर धूल-मिट्टी की परतें चढ़ गई थी गणेश जी ने इस परत को साफ करने के लिए ही 10 वें दिन चतुर्थी पर सरस्वती नदी में स्नान किया था तभी से गणेश जी को विधि-विधान से विसर्जित करने की परंपरा है।
आदि गणेश/Aadi vinayaka:
गणेश का अर्थ होता है गणों का ईश और आदि का अर्थ होता है सबसे पुराना यानी सनातनी
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कथा/ Story:
एक बार महादेवजी स्नान करने के लिए भोगावती गए। उनके जाने के पश्चात पार्वती ने अपने तन के मैल से एक पुतला बनाया और उसका नाम ‘गणेश’ रखा। पार्वती ने उससे कहा- हे पुत्र! तुम एक मुगदल लेकर द्वार पर बैठ जाओ। मैं भीतर जाकर स्नान कर रही हूँ। जब तक मैं स्नान न कर लूं, तब तक तुम किसी भी पुरुष को भीतर मत आने देना।
भोगावती में स्नान करने के बाद जब भगवान शिवजी आए तो गणेश जी ने उन्हें द्वार पर रोक लिया। इसे शिवजी ने अपना अपमान समझा और क्रोधित होकर उनका सिर धड़ से अलग करके भीतर चले गए। पार्वती ने उन्हें नाराज देखकर समझा कि भोजन में विलंब होने के कारण महादेवजी नाराज हैं। इसलिए उन्होंने तत्काल दो थालियों में भोजन परोसकर शिवजी को बुलाया। तब दूसरा थाल देखकर तनिक आश्चर्यचकित होकर शिवजी ने पूछा- यह दूसरा थाल किसके लिए हैं? पार्वती जी बोलीं- पुत्र गणेश के लिए हैं जो बाहर द्वार पर पहरा दे रहा है।
यह सुनकर शिवजी और अधिक आश्चर्यचकित हुए। तुम्हारा पुत्र पहरा दे रहा है? हाँ नाथ! क्या आपने उसे देखा नहीं? देखा तो था, किन्तु मैंने तो अपने रोके जाने पर उसे कोई उद्दण्ड बालक समझकर उसका सिर काट दिया। यह सुनकर पार्वती जी बहुत दुःखी हुईं। वे विलाप करने लगीं। तब पार्वती जी को प्रसन्न करने के लिए भगवान शिव ने एक हाथी के बच्चे का सिर काटकर बालक के धड़ से जोड़ दिया। पार्वती जी इस प्रकार पुत्र गणेश को पाकर बहुत प्रसन्न हुई। उन्होंने पति तथा पुत्र को प्रीतिपूर्वक भोजन कराकर बाद में स्वयं भोजन किया। यह घटना भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को हुई थी। इसीलिए यह तिथि पुण्य पर्व के रूप में मनाई जाती है।
चंद्र दर्शन दोष से बचाव/ Prevention from moon darshan dosh
प्रत्येक शुक्ल पक्ष चतुर्थी को चन्द्रदर्शन के पश्चात्व्रती को आहार लेने का निर्देश है इसके पूर्व नहीं। किंतु भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को रात्रि में चन्द्र-दर्शन (चन्द्रमा देखने को) निषिद्ध किया गया है। जो व्यक्ति इस रात्रि को चन्द्रमा को देखते हैं उन्हें झूठा-कलंक प्राप्त होता है। ऐसा शास्त्रों का निर्देश है। यह अनुभूत भी है। इस गणेश चतुर्थी को चन्द्र-दर्शन करने वाले व्यक्तियों को उक्त परिणाम अनुभूत हुए, इसमें संशय नहीं है। यदि जाने-अनजाने में चन्द्रमा दिख भी जाए तो निम्न मंत्र का पाठ अवश्य कर लेना चाहिए भाद्रपद -कृष्ण-चतुर्थी से प्रारंभ करके प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चंद्रोदयव्यापिनीचतुर्थी के दिन व्रत करने पर विघ्नेश्वरगणेश प्रसन्न होकर समस्त विघ्न और संकट दूर कर देते है।
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पकवान और प्रसाद / Dishes And Prasad:
मोदक भारत के एक प्रसिद्ध मिठाई है, इसे विशेष रूप से गणेश चतुर्थी पर प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है।
गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है. वैसे तो देशभर में इस दिन भगवान गणेश की पूजा होती है लेकिन महाराष्ट्र, गोवा जैसे राज्यों में इसकी अलग ही धूम नजर आती है यहां कई दिनों पहले से बप्पा के आगमन की तैयारियां शुरू हो जाती हैं. अलग-अलग थीम के पंडाल तैयार किए जाते हैं| बप्पा की बड़ी-बड़ी मूर्तियां तैयार की जाती हैं. गणेश उत्सव के दौरान लोग इन मूर्तियों को देखने दूर-दूर से पहुंचते हैं. भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में 10 दिनों का उत्सव मनाया जाता है जो गणेश चतुर्थी से शुरू होता है. गणेश चतुर्थी के दिन बप्पा को घर लाया जाता है और 10 दिनों तक विधि विधान से उनकी पूजा करने के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन उनका विसर्जन कर दिया जाता है। इस साल गणेश चतुर्थी 7 सितंबर को मनाई जाएगी।
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नारद पुराण के अनुसार श्री गणेश जी के 12 नाम / Lord Ganesha 12 Name
सुमुख नमः : सुन्दर मुख वाले
एकदंत नमः : एक दन्त वाले
कपील नमः : कपील वर्ण वाले
गजकर्ण नमः : हाथी के कान वाले
लम्बोदर नमः : लम्बे पेट वाले
विकट नमः : विपत्ति का नाश करने वाले
विनायक नमः : न्याय करने वाले
धूम्रकेतु नमः : धुएं के रंग वाले पताका वाले
गणाध्यक्ष नमः : गुणों और देवताओ के अध्यक्ष
भालचन्द्र नमः : सर पर चंद्रमा धारण करने वाले
गजानन नमः : हाथी के मुख वाले
विध्ननाशक नमः : विध्न को ख़त्म करने वाले
सभी को हैप्पी गणेश चतुर्थी…
गणपति बप्पा मोरया!!
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