Sunday, December 7, 2025
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केरल का ओणम उत्सव/Onam Celebration of Kerala

 

केरल का ओणम उत्सव/Onam Celebration of Kerala
केरल का ओणम उत्सव/Onam Celebration of Kerala

भारत की सांस्कृतिक धरोहर में त्योहारों की एक अनूठी पहचान है। इन्हीं में से एक है ओणम, जिसे न सिर्फ केरल बल्कि पूरी दुनिया में बसे मलयाली समुदाय के लोग बड़े धूमधाम से मनाते हैं। यह उत्सव हर साल अगस्त–सितंबर में चिंगम मास यानीमलयालम कैलेंडर के पहले महीने में मनाया जाता है और इसे फसल उत्सव, सांस्कृतिक एकता और राजा महाबली की याद के रूप में जाना जाता है।साल 2025 में ओणम 26 अगस्त से शुरू होकर 5 सितंबर तक मनाया जाएगा, जिसमें दस दिनों तक उत्सव का अनोखा रंग देखने को मिलेगा।

ओणम का मुख्य दिन थिरुवोनम होता है। फूलों से सजे पूक्कलम, पारंपरिक ओणम साद्या भोज, नौका दौड़ और पुलिक्कली जैसे आयोजन इस पर्व की खास पहचान हैं। माना जाता है कि इस दिन राजा महाबली धरती पर आते हैं और अपने भक्तों से मिलने का आशीर्वाद देते हैं। यही वजह है कि ओणम केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि खुशहाली, भाईचारे और उत्सवधर्मिता का प्रतीक बन गया है।

ओणम’ केरलवासियों का प्रमुख पर्व है। यह त्यौहार अगस्त-सितम्बर के महीनों में मनाया जाता है। यह प्रीतिभोज, नाच-गान और खुशियाँ मनाने का त्यौहार है। यह त्यौहार राजा महाबली के सम्मान में मनाया जाता है।

ओणम का त्यौहार पूरे दस दिन बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। हरे-भरे खेतों का दृश्य इस पर्व के मनाने में विशेष योगदान देता है। इस उत्सव का आरंभ घर-आँगन में रंग-बिरंगे फूलों की रंगोली से किया जाता है। इसे केरल की मलयालम भाषा में ‘पक्कम’ कहते हैं।ओणम के पर्व पर प्रीतिभोज का बड़ा महत्त्व है।

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इस दिन केरलवासी षटरस व्यंजनों का भोजन तैयार करते हैं। इस अवसर पर मंदिर तथा अन्य धार्मिक स्थान सजाये जाते हैं। लोग एक-दूसरे के घर जाते हैं और आपस में मिठाइयाँ व उपहार लेते-देते हैं। नदियों में नौकायन का कार्यक्रम होता है और नावों की दौड़-प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती है। स्थान-स्थान पर सभाएं और नाच-गान होते हैं। ओणम राजा महाबली की अपने लोगों के पास लौट कर आने की कहानी का प्रतीक है। यह दस दिवसीय उत्सव सभी मलियाली लोगों के लिए उल्लास का पर्व है जो इस दिन अपने राजा का स्वागत करते हैं।

ओणम नवधान्य पर्व (फसल काटने का त्योहार) भी है। इस दिन घर के बाहर रंग बिरंगे, खूबसूरत फूलों से तैयार की गई रंगोलियाँ उस प्रचुरता और समृद्धि की भावना को जागृत करती हैं, ओणम जिसका प्रतीकोत्सव है। और नए वस्त्र तथा सोने के गहने से सजी महिलाओं की तो बात ही क्या! ओणम महोत्सव की हर चीज पूर्वकाल के वैभवशाली इतिहास की याद दिलाती है। शानदार भोज के उपरांत कैकोट्टिटल, तुम्बी तुल्लई, कुम्माट्टिकाली और पुलिकाली जैसे अद्भुत लोक नृत्यों का आयोजन किया जाता है।

ओणम का त्योहार महान असुर राजा महाबली की पाताल लोक से घर वापसी की स्मृति में मनाया जाता है। महाबली, जो प्रह्लाद के पौत्र थे, एक शक्तिशाली और ज्ञानवान राजा थे और ज्ञान का बहुत आदर करते थे। एक बार की बात है जब महाबली कोई यज्ञ कर रहे थे, तो एक नाटे और ओजस्वी युवक ने यज्ञशाला में प्रवेश किया।

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उस समय जैसे कि प्रथा थी, महाबली ने उस तेजस्वी युवा का स्वागत किया और उससे वहाँ आने की मनोरथ को पूछा। तो उस युवक ने केवल उतनी भूमि देने का निवेदन किया जो उसके तीन कदमों द्वारा नापी जा सके। अपने गुरु शुक्राचार्य की चेतावनी के बावजूद महाबली ने युवा की प्रार्थना तुरंत स्वीकार कर ली। उन्होंने चेतावनी दी कि अतिथि कोई और नहीं बल्कि स्वयं भगवान विष्णु हैं।

कथा के अनुसार, जैसे ही तीन कदम भूमि की स्वीकृति हुई, युवा वामन ने त्रिविक्रम का विराट रूप धारण कर लिया और अपने पहले कदम से पूरी पृथ्वी नाप ली। और अपने दूसरे कदम से उन्होंने पूरा आकाश भी नाप लिया। इन दो पदों से ही राजा महाबली का पूर्ण राज्य, पृथ्वी और आकाश नापने के पश्चात् वामन ने राजा से प्रश्न किया कि वह अपना तीसरा कदम कहाँ रखे? ईश्वर के परम भक्त, प्रह्लाद के पौत्र राजा महाबली ने श्रद्धा और समर्पण के साथ खुशी-खुशी अपना सिर तीसरे कदम के लिए अपना सिर आगे बढ़ा दिया।

महाबली के समर्पण को देख कर भगवान विष्णु ने राजा को आशीर्वाद दिया और उसे पाताल लोक में भेज दिया। साथ में वचन दिया कि अगले मन्वन्तर में उनको इंद्र बना देंगे और स्वयं भगवान पाताल के द्वार की रक्षा करेंगे। महाबली के राज्य की प्रजा के निवेदन पर, विष्णु ने महाबली को वर्ष में एक बार पाताललोक से वापस अपने लोगों के बीच आने की आज्ञा दे दी। यह दिन ओणम के रूप में मनाया जाता है।

केरल का ओणम उत्सव/Onam Celebration of Kerala

गहरा अर्थ

वामन अवतार एक पौराणिक कथा है अर्थात् ऐतिहासिक या वैज्ञानिक घटनाओं को कथा के रूप में बता कर उसमें छिपे हुए नैतिकता के उपदेश को समझाती है। महाबली एक महान असुर राजा थे। लेकिन उनकी अहंकार उनकी इस संपत्ति से उत्पन्न हुई थी कि वे जितनी भूमि देख सकते थे, वह सब भूमि का स्वामी था और उन्हें अजेय माना जाता था।

अहंकार तो इतना बड़ा हो सकता है जितने विशाल यह धरती और आकाश हैं, परंतु ज्ञान और विनम्रता व्यक्ति को अहंकार से ऊपर उठाने में सहायता करते हैं। वामन की भाँति अहंकार पर भी तीन साधारण चरणों में विजय प्राप्त की जा सकती है।

प्रथम कदम: पृथ्वी का आँकलन करें – अपने चारों ओर दृष्टि डालें और इस पृथ्वी पर अपनी तरह विशाल संख्या में रहने वाले अन्य जीवों को देख कर विनम्र हो जाएँ।

द्वितीय कदम: आकाश की ओर देखें  – ऊपर खुले आकाश की ओर दृष्टि डालें, गगन की विशालता और ब्रह्मांड में स्थित असंख्य अन्य लोकों को देख तथा ब्रह्मांड की तुलना में आपका अस्तित्व कितना तुच्छ और नगण्य है, इस विचार से विनम्र हो जाएँ।

तीसरा कदम: अपना हाथ अपने सिर पर रखें – स्वीकार करें कि जन्म मृत्यु का चक्र, न केवल जीव जंतुओं, बल्कि स्वयं ब्रह्मांड के संदर्भ में प्रत्येक जन्म में, हमारा जीवन काल अति लघु है और संपूर्ण ब्रह्मांड के बड़े चित्र में  में हमारी भूमिका और भी छोटी है।

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श्रावण मास का महत्व

केरल का ओणम उत्सव/Onam Celebration of Kerala

ओणम शब्द तिरुवोणम अथवा श्रावणम का संक्षिप्त रूप है, क्योंकि यह त्योहार भारतीय कैलेंडर के अनुसार श्रावण महीने में श्रावण नक्षत्र के तहत मनाया जाता है। भारतीय कैलेंडर के अनुसार श्रावण महीना उत्तर भारत में जुलाई – अगस्त, और दक्षिण भारत में अगस्त- सितंबर में पड़ता है। इस महीने को श्रावण कहा गया है क्योंकि इस महीने में पूर्णिमा श्रवण नक्षत्र में आती है।

आकाश में अंकित तीन पदचिह्न 

श्रावण नक्षत्र वह तारा समूह है, जिसे पश्चिमी खगोलशास्त्र में अल्टेयर के नाम से जाना जाता है, जो आकीला नक्षत्र में स्थित एक चमकीला तारा है, इसके साथ ही बीटा और गामा आकीला, जो इसके दोनों ओर स्थित हैं।

इन तीन नक्षत्रों को वामन के विशालकाय त्रिविक्रमा स्वरूप में तीन कदम माना जाता है। यह आश्चर्यचकित करने वाली बात है कि महाबली और वामन की लोककथा में श्रवण नाम के नक्षत्र की क्या भूमिका हो सकती है? श्रवण शब्द का अर्थ है सुनना, ध्यान देना। आकाश में यह तीन नक्षत्र महाबली द्वारा अपने गुरु की अवज्ञा के कारण हुए परिणाम को दर्शाते हैं और सदा स्मरण और सचेत  करवाते रहते हैं कि हमें नेक सलाह को ध्यानपूर्वक सुनना और उस पर अमल करना चाहिए।

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– सारिका असाटी

 

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