
कृत्रिम बुद्धि से बदल रहा मौसम पूर्वानुमान का चेहरा (AI revolutionizing weather forecasting)
मौसम पूर्वानुमान के क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धि (एआई) के आने से क्रांतिकारी बदलाव हो रहा है। पहले जहाँ मौसम का अनुमान सुपरकंप्यूटरों की जटिल गणनाओं पर निर्भर था, अब एआई मॉडल कुछ ही मिनटों में उतने ही सटीक पूर्वानुमान देने में सक्षम हो गए हैं। यह न केवल समय की बचत करता है, बल्कि ऊर्जा की खपत को भी कम करता है।
पारंपरिक मॉडल बनाम एआई मॉडल (Traditional vs AI Models)
पारंपरिक कम्प्यूटेशनल मॉडल वायुमंडलीय समीकरणों की गणना पर आधारित होते हैं। इन्हें स्थिर संचालन और भारी प्रोसेसिंग पावर की आवश्यकता होती है।
दूसरी ओर, एआई-आधारित मॉडल “डीप लर्निंग” तकनीक का उपयोग करते हैं। ये मॉडल विशाल डैटासेट पर प्रशिक्षित होकर जलवायु पैटर्न में छिपे सूक्ष्म बदलावों को पहचानने में सक्षम हैं।
European Centre for Medium-Range Weather Forecasts (ECMWF) ने एआई-समर्थित मौसम पूर्वानुमान तकनीक को अपनाकर इस क्रांति को और गति दी है। शोधकर्ताओं के अनुसार, एआई जनित पूर्वानुमान पारंपरिक मॉडलों जितने, और कई बार उनसे भी अधिक, सटीक पाए गए हैं।
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ग्राफकास्ट और पंगु-वेदर: मौसम पूर्वानुमान के नए आयाम (GraphCast and Pangu-Weather)
गूगल की DeepMind टीम ने GraphCast नामक एआई मॉडल विकसित किया है, जो दस दिनों का मौसम पूर्वानुमान बेहद सटीकता से तैयार करता है। इसी तरह, हुवाई का Pangu-Weather मॉडल चुनौतीपूर्ण डेटा स्थितियों में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहा है।
इन मॉडलों की सबसे बड़ी खूबी है कि ये पारंपरिक सुपरकंप्यूटिंग मॉडल की तुलना में कहीं कम संसाधनों में तेज़ी से परिणाम देने में सक्षम हैं।
ECMWF में इन मॉडलों पर किए गए परीक्षणों में यह पाया गया कि सीमित अवलोकन डेटा के बावजूद Pangu-Weather मॉडल ने पारंपरिक मॉडल की दक्षता को बराबरी से पूरा किया।
वेदरबेंच और भविष्य के एआई मॉडल (WeatherBench and next-gen AI models)
गूगल के WeatherBench प्लेटफ़ॉर्म ने एआई अनुसंधान को सरल बनाकर मौसम डेटा तक पहुँच को आसान किया है। इस मंच की वजह से दुनिया भर के शोधकर्ता नए और बेहतर एआई मॉडल तैयार कर पा रहे हैं।
रयान केसलर जैसे शोधकर्ता ऐसे सरल लेकिन अत्यधिक प्रभावी मॉडल विकसित कर रहे हैं, जो छह दिनों का पूर्वानुमान सटीक रूप से प्रदान करते हैं। भविष्य में मौसम पूर्वानुमान के लिए एकाधिक एआई मॉडलों का संयोजन किया जाएगा, जिससे चक्रवात, बाढ़ या सूखे जैसी चरम मौसमीय घटनाओं का बेहतर अनुमान लगाया जा सकेगा।

एआई की अगली छलांग: मल्टी-पूर्वानुमान और जलवायु मॉडल (AI’s next leap: multi-forecast and climate modeling)
अगले चरण में, एआई सिस्टम्स एक साथ कई पूर्वानुमान तैयार करेंगे, जिनमें से सबसे सटीक विकल्प चुना जा सकेगा। यह क्षमता जलवायु परिवर्तन की जटिलताओं को समझने और उच्च-रिज़ॉल्यूशन जलवायु मॉडलों के साथ जुड़ने में मदद करेगी।
यह तेज़ और सटीक परिणाम देने वाली प्रणाली जलवायु परिवर्तन की भविष्यवाणी में नयी संभावनाएँ खोल रही है, जिससे वैश्विक संकटों की रोकथाम में सहायता मिल सकती है।
उपयोगकर्ताओं के लिए नई उम्मीद (A new horizon for users)
अंततः मौसम पूर्वानुमान का भविष्य उपयोगकर्ताओं की प्राथमिकताओं पर निर्भर करेगा। कुछ लोग पारंपरिक एल्गोरिद्म पर भरोसा करेंगे, जबकि अधिक लोग एआई-आधारित पूर्वानुमानों की सटीकता को प्राथमिकता देंगे।
एआई तकनीक न केवल मौसम को समझने का तरीका बदल रही है, बल्कि यह कृषि, विमानन, आपदा प्रबंधन और जलवायु नीति निर्माण जैसे क्षेत्रों में भी उपयोगी सिद्ध हो रही है।
भविष्य का मौसम पूर्वानुमान तेज़, विश्वसनीय और व्यावहारिक होगा — एआई के कारण।
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निष्कर्ष (Conclusion)
कृत्रिम बुद्धि मौसम विज्ञान में क्रांति ला रही है। एआई मॉडल न केवल सटीकता बढ़ा रहे हैं, बल्कि उन्हें पारंपरिक मॉडलों की तुलना में सरल, तेज़ और ऊर्जा-दक्ष बना रहे हैं।
ग्राफकास्ट, पंगु-वेदर और वेदरबेंच जैसी तकनीकें आने वाले वर्षों में मौसम और जलवायु पूर्वानुमान की दिशा बदलने जा रही हैं।
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