
परिचय | Introduction
उल्लू (Owl) एक रहस्यमय और रहस्यों से भरा जीव है, जिसे तंत्रशास्त्र, भारतीय संस्कृति और विश्वभर के विभिन्न मिथकों में विशिष्ट स्थान प्राप्त है। यह प्राणी अक्सर अपनी डरावनी आवाज और अंधेरे में दिखाई देने वाले स्वभाव के कारण शहरी मिथकों और लोककथाओं में भी जगह बनाता है। उल्लू का शरीर, इसकी आवाज और इसके व्यवहार से जुड़े कई रहस्यों और विश्वासों को लेकर अनेक धारणाएँ बनी हुई हैं।
इस लेख में हम उल्लू के शरीर रचनात्मक गुण, इसकी विभिन्न प्रजातियों और उनके सांस्कृतिक, धार्मिक, और तंत्राशास्त्र में स्थान पर विस्तृत चर्चा करेंगे। हम यह भी जानेंगे कि क्यों उल्लू को कई संस्कृतियों में मौत की पूर्व सूचना देने वाला माना जाता है, और यह डरावनी ध्वनि किस प्रकार से मानव जीवन से जुड़ी हुई है।
उल्लू की तंत्राशास्त्र में महत्ता | Importance of Owl in Tantra Shastra
उल्लू का तंत्रशास्त्र में विशेष महत्व है। इसे रहस्यमय शक्तियों, भाग्य और पूर्वाभास के प्रतीक के रूप में माना जाता है। कई तंत्र साधना और शमसान में उल्लू के प्रकट होने को खास अर्थों में लिया जाता है। हिन्दू धर्म और तंत्र विद्या में उल्लू को एक शक्तिशाली और रहस्यमय जीव के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इसे ज्यादातर रात के समय सक्रिय देखा जाता है, जिससे यह प्रतीत होता है कि यह अंधेरे की दुनिया से जुड़ा हुआ है और उस दुनिया के रहस्यों को जानता है।
कुछ लोग उल्लू के दृश्य को नकारात्मक मानते हैं, खासकर जब यह किसी के घर के पास या आंगन में दिखाई देता है। लोककथाओं में उल्लू को मृत्यु के संकेतक के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जिसमें यह विश्वास किया जाता है कि यह किसी की मृत्यु का पूर्वाभास देता है।
उल्लू की शारीरिक विशेषताएँ | Physical Characteristics of Owls
उल्लू का शरीर कई विशिष्ट रचनाओं से बना होता है, जो इसे अन्य पक्षियों से अलग बनाती हैं। इसका शरीर वातावरण के तापमान से प्रभावित नहीं होता, यानी इसका तापमान हमेशा एक जैसा रहता है। यह एक अद्वितीय गुण है जो उल्लू को रात के समय शिकार करने में मदद करता है। इसके शरीर के कुचालक पंख होते हैं, जो इसकी उड़ान को शांत और प्रभावी बनाते हैं।
Read this also – नकलची पक्षी और ध्वनियाँ/Imitation Birds and Sounds
उल्लू के शरीर की विशेषताएँ:
- पंख: उल्लू के पंख विशेष रूप से कुचालक होते हैं, जो उड़ने के समय शोर नहीं करते, जिससे यह शिकार करने में माहिर होता है।
- आंखें: उल्लू की आंखों का आकार बड़ा और गोल होता है, जो उसे रात में अच्छे से देखने में मदद करता है।
- कान: उल्लू के कान बहुत विकसित होते हैं, जिससे यह अपने शिकार का पता रात के अंधेरे में भी लगा सकता है।
- तापमान नियंत्रक: उल्लू के शरीर का तापमान स्थिर रहता है, जो इसके शिकार करने की क्षमता को प्रभावित नहीं होने देता।
उल्लू की प्रमुख प्रजातियाँ | Major Species of Owls
उल्लू की कई प्रजातियाँ हैं, जो विभिन्न स्थानों और पर्यावरण में पाई जाती हैं। इनके आकार, रंग और आवाज़ में भिन्नताएँ होती हैं, जो इन्हें एक दूसरे से अलग बनाती हैं। आइए जानते हैं उल्लू की कुछ प्रमुख प्रजातियों के बारे में:
- करेल उल्लू (Karel Owl)
करेल उल्लू एक जंगली उल्लू की प्रजाति है, जो जंगलों में निवास करती है। इसके पंखों का रंग हरा, पीला और धूसर होता है। इस प्रजाति के उल्लू रात के समय शिकार करते हैं और चूहों का शिकार करते हैं। यह प्रजाति विशेष रूप से खंडहरों और सुनसान स्थानों में पाई जाती है, और यह मनुष्य के आवास के पास कम ही दिखाई देती है।
- आवास: जंगलों और खंडहरों में
- आकार: बड़ा, गोल सिर
- वर्तनी: नर और मादा समान दिखते हैं
- कलगी वाले उल्लू (Kalgi Wale Owl)
इस उल्लू को घुग्घू के नाम से भी जाना जाता है। इसके शरीर का रंग हल्का पीला होता है और सिर पर कलगी जैसी संरचना होती है। इन उल्लू की आवाज़ विशेष रूप से सुबह, शाम और रात के मध्य में सुनाई देती है। यह प्रजाति भारत के अलावा यूरोप, उत्तरी अफ्रीका, पाकिस्तान और बर्मा में पाई जाती है।
- आवास: नदी किनारे स्थित वृक्षों में
- वर्तनी: सिर पर कलगी होती है
- श्रृंगयुक्त उल्लू (Shringyukt Owl)
श्रृंगयुक्त उल्लू को मरचिरैया के नाम से भी जाना जाता है। यह उल्लू खासतौर पर उन स्थानों पर पाया जाता है जहां मौत का पूर्वाभास होता है। यह कहा जाता है कि जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होने वाली होती है, तो यह उल्लू उसके घर के पास आवाज़ करता है। इसे विशेष रूप से रात के समय डरावनी आवाज़ निकालने के लिए जाना जाता है।
- विशेषता: मृत्यु के संकेत के रूप में आवाज निकालता है
- आवास: जंगल और चट्टानों के पास
- थर्कावी चुगद उल्लू (Tharkavi Chugd Owl)
यह उल्लू सफेद रंग का होता है और इसके शरीर पर काली धारियाँ और चित्तियाँ होती हैं। इनकी आवाज रात भर सुनाई देती है और यह बस्तियों के पास भी रहते हैं। इन उल्लुओं की आंखें रात में चमकती हुई दिखाई देती हैं।
- आवास: बस्तियों के पास
- विशेषता: चहचहाहट या खिलखिलाने जैसी आवाज़
Read this also – मीडिया साक्षरता/media literacy
उल्लू और मौत का पूर्वाभास | Owl and Death Predictions
कई संस्कृतियों और धार्मिक विश्वासों में उल्लू को मौत के पूर्वाभास के रूप में माना जाता है। यह एक आम धारणा है कि उल्लू की डरावनी आवाज़ किसी व्यक्ति के निकट मृत्यु का संकेत देती है। कुछ स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, यदि उल्लू रात के समय किसी घर के पास आवाज़ करता है, तो वह वहां किसी की मौत की सूचना देता है।
यह मान्यता तंत्रशास्त्र और लोककथाओं में भी पाई जाती है, जहाँ उल्लू के दर्शन को दुर्भाग्य और मौत के संकेत के रूप में लिया जाता है। इसके अतिरिक्त, कुछ स्थानों पर यह विश्वास भी है कि उल्लू की आवाज़ आत्माओं या भूत-प्रेतों के पास होने का संकेत होती है।

निष्कर्ष | Conclusion
उल्लू एक अद्वितीय और रहस्यमय पक्षी है, जिसका सांस्कृतिक, तंत्रशास्त्रीय और धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थान है। यह न केवल अपने शरीर के विशिष्ट गुणों और अद्भुत शिकार करने की तकनीक के लिए जाना जाता है, बल्कि यह कई संस्कृतियों में मृत्यु, पूर्वाभास और रहस्यमय शक्तियों का प्रतीक भी माना जाता है।
हमने उल्लू की विभिन्न प्रजातियों के बारे में जाना, उनके शरीर की विशेषताओं को समझा, और यह जाना कि क्यों उल्लू को कुछ लोग मौत के संकेतक के रूप में मानते हैं। चाहे यह तंत्रशास्त्र हो या लोककथाएँ, उल्लू का अस्तित्व और इसकी आवाज़ आज भी लोगों के मन में रहस्यों को जन्म देती है।
यह लेख सामान्य जानकारी पर आधारित है लेख पसंद आये तो इसे ज़्यादा से ज्यादा शेयर करें। अपने विचार और सुझाव कमेंटबॉक्स में ज़रूर लिखे।


