
इस साल छठ पूजा की तिथि को लेकर श्रद्धालु कंफ्यूजन की स्थिति में हैं कि आखिर इस पर्व की शुरुआत किस दिन से हो रही है। तो चलिए आपकी कंफ्यूजन दूर करते हैं। आस्था का महापर्व छठ पूजा (Chhath Puja) चार दिनों तक मनाया जाता है, जिसकी शुरुआत मंगलवार, 5 नवंबर से हो रही है। मंगलवार को नहाय खाय का पर्व मनाया जाएगा। इसका समापन शुक्रवार, 8 नवंबर को छठ पूजा के दिन सुबह में अर्घ्य देकर किया जाएगा। ऐसे में आइए जानते हैं छठ पूजा में नहाय खाय का महत्व और इससे जुड़े नियम।
नहाय खाय का शुभ मुहूर्त/ Auspicious time of nahay khaye
- नहाय खाय के दिन सूर्योदय सुबह 6:39 बजे होगा और सूर्यास्त शाम 5:41 बजे होगा।
- छठ करने वाली महिलाएं या पुरुष गंगा इस दिन पवित्र नदी में स्नान और ध्यान के बाद सूर्यदेव की पूजा करते हैं।
- इसके बाद घर कद्दू और चने की दाल से भोजन बनाया जाता है।
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नहाय खाय का महत्व/ Importance of nahay khaye

- नहाय खाय जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट होता है- स्नान करके भोजन करना।
- नहाय खाय के दिन व्रत करने वाली महिलाएं नदी या तालाब में स्नान करती हैं।
- इसके बाद भात, चना दाल और कद्दू या लौकी का प्रसाद बनाकर उसे ग्रहण करती हैं।
- माना जाता है कि नहाय खाय का यह भोजन साधक में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है।
- साथ ही यह भी माना जाता है कि इस दिन व्रत करने वाले साधक इस सात्विक द्वारा खुद को पवित्र कर छठ पूजा के लिए तैयार होते हैं।
नहाय खाय के नियम/rules of nahay khaye

- नहाय खाय के दिन साफ-सफाई का विशेष महत्व होता है। इस दौरान कई नियमों का भी ध्यान में रखा जाता है।
- ऐसे में इस दिन प्रसाद का भोजन बनाते समय स्वच्छा का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
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- भोजन बनाने से पूर्व स्नान कर लें।
- हाथों की स्वच्छा का ध्यान रखें।
- भूलकर भी किसी जूठी चीज का इस्तेमाल ना करें. खासकर जूठी बर्तन का इस्तेमाल न करें।
- इस दिन व्रती के साथ-साथ परिवार के अन्य सदस्यों को भी सात्विक भोजन करना चाहिए।
पंचांग के अनुसार कब है छठ?/ When is Chhath according to the calendar?
- हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से छठ पूजा की शुरुआत होती है।
- जो सप्तमी तिथि पर उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त हो जाती है इस साल छठ पूजा की शुरुआत 5 से हो जाएगी और 7 नवंबर तक छठ पूजा का पर्व मनाया जाएगा।
- इस बार मुख्य छठ पूजा षष्ठी तिथि यानी 7 नवंबर को है इस साल षष्ठी तिथि 12:41 बजे से शुरू होकर 8 नवंबर की मध्य रात्रि तक रहेगी।
- ऐसे में शाम का अर्घ्य देने का मुहूर्त 7 नवंबर 5:29 बजे है। वहीं सुबह का अर्घ्य देने का मुहूर्त 8 नवंबर को 6:37 बजे है।
छठ पूजा का कैलेंडर 2024/Chhath Puja Calendar 2024
- छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय
- छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना
- छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024-संध्या अर्घ्य
- छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उषा अर्घ्य
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छठ पूजा सामग्री लिस्ट/ Chhath Puja material list
- बांस की टोकरी
- नारियल
- बांस का सूप
- दूध
- धूप
- दीप
- कुमकुम
- चंदन
- अगरबत्ती
- नींबू
- शरीफा
- केला
- नाशपाती
- शकरकंदी
- सुथनी
- मिठाई
- गुड़
- पान के पत्ते
- पीला सिंदूर
छठ महापर्व का महत्व 2024/Significance of Chhath Puja 2024
- छठ पूजा का पर्व सूर्य देव को धन्यवाद देने और उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए मनाया जाता है।
- लोग इस दौरान सूर्य देव की बहन छठी मईया (Chhathi Maiya) की भी पूजा करते हैं। वहीं इस पावन पर्व को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं।
- पौराणिक कथा के अनुसार, द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण (Lord Shri Krishna) के पुत्र साम्ब कुष्ट रोग से पीड़ित थे, जिसके चलते मुरलीधर ने उन्हें सूर्य आराधना की सलाह दी।
- कालांतर में साम्ब ने सूर्य देव की विधिवत व सच्चे भाव से पूजा की। भगवान सूर्य की उपासना के फलस्वरूप साम्ब को कुष्ट रोग से मुक्ति मिल गई।
- इसके बाद उन्होंने 12 सूर्य मंदिरों का निर्माण करवाया था. इनमें सबसे प्रसिद्ध ओडिशा के कोणार्क सूर्य मंदिर है।
- इसके अलावा एक मंदिर बिहार के औरंगाबाद में स्थित है, जिसे देव मंदिर यानी देवार्क सूर्य मंदिर के नाम से जाना जाता है।
- छठ पूजा का सनातन धर्म में बहुत खास महत्व है।
- ये पर्व चार दिनों तक चलने वाला महापर्व कहलाता है। ये त्योहार नहाय खाय से शुरू हो जाता है चार दिन के बाद संध्या अर्घ्य के बाद पूरा होता है।
- ये पर्व संतान सुख के लिए किया जाता है। इस व्रत के दौरान सात्विक भोजन ही करना चाहिए। इस पर्व में सूर्य देव की पूजा की जाती है।
- सूर्य की पूजा करने से जीवन में सकारात्मकता आती है।
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