गैरजरूरी जानकारियों से कम हो जाता है फोकस
हम सभी चाहते हैं कि हमारा जीवन सुव्यवस्थित हो। हमारा हर काम समय पर हो। लेकिन, काम के बीच-बीच कभी 5 मिनट, कभी आधा घंटा और कभी तो पता ही नहीं चल पाता कितने समय तक हम सोशल मीडिया में खो जाते हैं। इससे होता यह है कि हमारी मेहनत बेकार पड़ जाती है। काम समय पर पूरा नहीं हो पाता और यदि हो भी पाता है तो पूर्ण गुणवत्तायुक्त नहीं होता। आज का दौर समाचार और सूचना का है। हर ओर जानकारियों की भरमार है। आवश्यकता से अधिक तथा अनावश्यक ये जानकारियाँ और सूचनाएँ हमें अपने लक्ष्य से विकेन्दि्रत करती हैं।
इस स्थिति से बचने के लिए यह जानना ज़रूरी है कि हमें अपने व्यक्तित्व के विकास के लिए कैसी जानकारियाँ चाहिए। अपनी कार्यक्षमता के विकास के लिए किस तरह की जानकारी, ज्ञान और सूचनाएँ चाहिए।
आत्म बल बढ़ाने के लिए जरूरी
जीवन में अपने लिए कोई भी निर्णय लेते समय यह जानना जरूरी होता है कि मेरे लिए क्या सही है, क्या सही नहीं है।
ये जानने के लिए हमें ये देखना चाहिए कि किस चीज से हमारा आत्म-बल बढ़ेगा, आत्म-विश्वास बढ़ेगा।
आत्म-बल बढ़ने से बाकी चीजें अपने आप ठीक हो जाती हैं।
ज्ञानीजन समझाते हैं कि कई बार हम कहते हैं कि ये खाना चाहिए, ये शरीर के लिए अच्छा है, ये पीना चाहिए, ये शरीर के लिए अच्छा है।
हो सकता है कि कोई चीज शरीर के लिए अच्छी है।
समझें आत्म विकास की बातें
हो सकता है कोई चीज हमारी पोजीशन, प्रॉपर्टी के लिए अच्छी है, ऐसे समय में यह सोचें कि क्या वह मुझ आत्मा के लिए सही है।
जो काम आत्मा के लिए सही नहीं, वो कर्म मेरे लिए सही नहीं।
विज्ञान की धारणाएँ बदलती रहती हैं, लेकिन आत्म-विकास के लिए तय बातें कभी नहीं बदलतीं।
एक बार हम आत्म-विकास की बातें समझ जाएँ तो फिर हमें बाहरी सलाहियतों की, बाहरी ज्ञान की बातों की जरूरत नहीं पड़ती।
निश्चय बुद्धि विजयंते
फिर तो `निश्चय बुद्धि विजयंते’ साबित होता है अर्थात् जिसकी बुद्धि में निश्चय है, विश्वास है, उसकी विजय निश्चित है।
इसलिए कभी भी जीवन में राह ना मिले, क्या करें, क्या ना करें का ऊहापोह हो तो एक काम करें।
परमात्मा द्वारा बताए गए आत्म-विकास के उपायों के बारे में सोचें, सही मार्ग मिल जाएगा।
गैरजरूरी अच्छी बातें भी सहायक नहीं
कई बार ऐसा होता है कि किसी ने कोई बात सुनाई और हम सोचते हैं कि सुनाने वाला तो अच्छा है, और उस पर हमारा विश्वास भी है।
उसकी बातों में रुचि भी आ रही है। उस पर विश्वास रख कर वो बातें सुन ली।
यदि आपने उन बातों को अंदर समा ली, तो बात सच्ची होते हुए भी आत्म विकास में सहायक नहीं हो सकेगी।
यदि वह हमारे लिए जरूरी नहीं है या हम उसके लिए कुछ नहीं कर सकते हैं।
इसे ऐसे समझें
इसे इस तरह से भी समझ सकते हैं कि समाचार या जानकारी सच्ची होते हुए भी जो बात हमारे लिए ज़रूरी नहीं, उसे हमें अंदर नहीं लेना चाहिए।
इससे समय और ऊर्जा की बर्बादी होती है।
यह समय का सदुपयोग नहीं हो रहा है।
ऐसी बातों का असर हमारे नजरिए पर पड़ता है, हमारी सोच और व्यवहार पर पड़ता है।
हममें से अधिकांश लोगों को यह शिकायत होती है कि हम बहुत ज्यादा सोचते हैं, किसी चीज पर कॉन्सन्ट्रेट नहीं कर पाते।
बढ़ जाती है ओवर थिंकिंग
दरअसल, सोचना..सोचना बहुत चल रहा है, जिसका असर शरीर पर भी पड़ता है।
मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।
उसके असर से आत्मा भी कमज़ोर होती है।
बहुत ज़्यादा सोचना, बहुत ज़्यादा अनावश्यक जानकारियाँ हमारी आत्मा को कमज़ोर बनाती हैं।
शक्तिशाली बनना है, तो जो सूचनाएँ, बातें जरूरी नहीं हैं, भले ही वे सच्ची हों, उनको अंदर मत सहेजो।
जिससे हमारा कोई कनेक्शन नहीं है। सिर्फ सुन लिया तो वह समाचार बुद्धि में तो गया, समय भी बर्बाद हुआ।
ऐसी बातें जो भले ही सच हैं, पर उनका यदि हमारे साथ कनेक्शन नहीं है, तो वे बुद्धि की एनर्जी को वेस्ट करते हैं।
जानकारियों का ओवरलोड अच्छा नहीं
कई लोग सोच सकते हैं कि इसमें क्या गलत है, दूसरों की बातें जानने में क्या गलत है?
ऐसी जानकारियों का ओवरलोड होने से जो हमारे लिए प्रासंगिक नहीं हैं, हमारी सोचने की प्रक्रिया बेलगाम होती जाती है।
क्योंकि इसमें दूसरों के दृष्टिकोण की दखलंदाजी होती है।
तब हमारी आत्मा की शक्ति के लिए ज़रूरी जानकारी, जरूरी ज्ञान, जो हमें सत्य सिखा रहा होता है, वो नेपथ्य में चला जाता है।