Thursday, September 19, 2024
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नीम के हैं अनगिनत फायदे

औषधीय गुणों से भरपूर है इंडियन लिलैक

वसन्तऋतु (विशेषतः चैत्र मास 15 मार्च -15 मई) में नीम के कोमल पत्तों  के सेवन का विशेष महत्व है। इससे खून साफ होता है तथा पूरे साल बुखार, चेचक आदि भयंकर रोग नहीं होते हैं।

 नीम को मर्गोसा या इंडियन लिलैक भी कहा जाता है।  यह उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों (गर्म क्षेत्रों) में पाया जाने वाला सबसे अधिक उपयोगी पेड़ है। जो औषधीय गुणों से भरपूर है। नीम की लकड़ी के अलावा इसके विभिन्न हिस्से भी बेहद लाभकारी हैं। जैसे- फूल, पत्तियाँ, फल, छाल, गोंद, तेल, बीज और नीम केक (नीम के बीजों से तेल निकालने के बाद बचा हिस्सा)। इसीलिए इसे अधिक उपयोगी पेड़ माना जाता है।

संस्कृत में नीम को अरिष्टा कहा जाता है, जिसका अर्थ होता है दोषरहित, संपूर्ण और अविनाशी। इसे संस्कृत में निंबा भी कहा जाता है जो `निंबाति स्वास्थ्यम् ददातिसे आया है। जिसका मतलब है नीम उत्तम स्वास्थ्य प्रदाता है। पर्यावरण की सुरक्षा, विनाशकारी कीटों के प्रबंधन तथा औषध के क्षेत्र में नीम की बड़ी अहम भूमिका है।

महत्वपूर्ण स्वास्थ संबंधी उपयोगों के साथ ही नीम कीटनाशकों, कृमिनाशकों एवं कृषिरसायनों का प्राकृतिक स्त्रोत है। आइए जानते हैं कि विभिन्न रोगों में नीम का प्रयोग कैसे किया जाए

विभिन्न रोगों में नीम का प्रयोग

 बालों की समस्या 

  • नीम के बीज के तेल को नियमपूर्वक 2 बूँद नाक में डालने से सफेद बाल काले हो जाते है।
  • इस दौरान केवल गाय का दूध ही भोजन के रूप में लेना होता है।

सिर दर्द

  • सूखे नीम के पत्ते, काली मिर्च और चावल को बराबर मात्रा में मिलाकर बारीक चूर्ण बना लें।
  • सूर्योदय से पहले सिर के जिस ओर दर्द हो, उसी ओर की नाक में इस चूर्ण को एक चुटकी भर में डालें।
  • इससे आधासीसी (अधकपारी) के दर्द यानी माइग्रेन में जल्द लाभ  होता है।
  • नीम तेल को ललाट पर लगाने से सिर का दर्द ठीक होता है।

नकसीर

  • नीम की पत्तियां और अजवायन को बराबर मात्रा में पीस ले।
  • इसे कनपटियों पर लेप करने से नाक से खून बहना यानी नकसीर बन्द होता है।

कान का बहना 

  • नीम के पत्ते  के रस में बराबर मात्रा में मधु मिला कर 2-2 बूँदें सुबहशाम कान में डालने से लाभ होता है।

आँखों के रोग

  • जिस आँख में दर्द हो, उसके दूसरी ओर के कान में नीम के कोमल पत्तों का रस गुनगुना कर 2-2 बूँद टपकाएं।
  • दोनों आँखों में दर्द हो तो दोनों कान में टपकाएं।
  • रतौंधी में नीम के कच्चे फल का दूध आँखों में काजल की तरह लगाएं। निश्चित लाभ होगा।

दांतों के रोगों में

  • प्राचीन काल से ही दाँतों को साफ करने के लिए नीम की दातुन का प्रयोग होता रहा है।
  • नीम की जड़ उबले पानी से कुल्ला करने से दांतों के अनेक रोग दूर होते हैं।

 टीबी (क्षय रोग)

  • नीम के तेल की 4-4 बूँदों को कैप्सूल में भरकर दिन में तीन बार सेवन करने से फायदा मिलता है।

 दमा 

  • शुद्ध नीम के बीज के तेल की 2-3 बूंदें पान में डाल कर खाने से सांसों के रोगों में लाभ होता है।

पेट में कीड़े 

  • बैंगन या किसी और सब्जी के साथ नीम के 8-10 पत्तों को छौंक कर खाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।  

एसिडिटी 

  • 6-6 ग्राम नीम की सींक, धनिया, सोंठ और शक्कर का काढ़ा सुबहशाम पीने से खट्टी डकारें, अपच तथा अत्यधित प्यास लगने की समस्या दूर होती है।

पेट दर्द

  • 40-50 ग्राम नीम की छाल को जौ के साथ कूटकर 400 मिली जल में पकाएं इसमें 10 ग्राम नमक भी डाल दें।
  • आधा शेष रहने पर गुनगुना कर पिलाने से पेटदर्द में आराम होता है।

दस्त में लाभदायक

  • रोज सुबह 3-4 पकी निबौलियां खाने से खूनी पेचिश ठीक होता है तथा भूख खुल कर लगती है।

 उल्टी 

  • 5-10 मिग्रा नीम की छाल के रस में मधु मिलाकर पिलाने से उलटी तथा अरुचि आदि में लाभ होता है।

बवासीर

  • 50 ग्राम कपूर तथा 50 ग्राम नीम के बीज के गिरी का तेल को मिला कर मस्सों पर लगाते रहने से लाभ होता है।

पीलिया

  • नीम पंचांग के एक ग्राम महीन चूर्ण में 5 ग्राम घी और 10 ग्राम शहद मिला कर सेवन करने से खून की कमी को दूर होती है और पीलिया ठीक होता है।

 डायबिटीज

  •  10 मिली नीम के पत्ते के रस मेें मधु मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से फायदा होता है।

पथरी 

  • आधा ग्राम नीम के पत्तों की राख का दिन में तीन बार कुछ दिनों तक लगातार जल के साथ सेवन करने से पथरी टूटकर निकल जाती है।

प्रदर (ल्यूकोरिया)

  • बराबर मात्रा में नीम और बबूल की छाल का 10-20 मिली काढ़ा सुबहशाम सेवन करने से लाभ होता है।

 नोट कोई भी उपाय अपनाने से पहले विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

 

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