Sunday, December 7, 2025
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16 गुणों व 12 कलाओं युक्त श्री राम

यूहीं नहीं कहलाए मर्यादा पुरुषोत्तम

 

रामायण हो या हनुमान चालीसा या फिर भजन, श्रीराम के गुण यूहीं नहीं गाए जाते हैं। उनके जैसा सदियों में न कोई बन पाया है और न ही बन पाएगा। रामनवमी के इस पावन पर्व पर आइए, हम भी पुरुषों में सबसे उत्तम मर्यादा पुरुषोत्तम के आदर्श व्यक्तित्व के बारे में जानें। एक धनुष और एक वचन धारण करने वाले श्री राम ने एक पत्नीव्रत भी धारण कर रखा था। उनमें इसी तरह के 16 गुण थे। 16 गुणों के अलावा वे 12 कलाओं से युक्त थे।

शास्त्रानुसार किसमें कितनी कलाएँ

  •  12 कलाओं और 16 गुणों से युक्त व्यक्ति ईश्वरतुल्य होता है।
  • पत्थर और पेड़ 1 से 2 कला के प्राणी हैं। पशु पक्षी में 2 से 4 कलाएं होती हैं।
  • साधारण मानव में 5 कलाएं और संस्कृतियुक्त समाज वाले मानव में 6 कलाएं होती हैं।
  • विशिष्ट पुरुषों में 7 और ऋषियों या महापुरुषों में 8 कलाएं होती हैं।
  • 9 कलाओं से युक्त सप्तार्षिगण, मनु, देवता, प्रजापति, लोकपाल आदि होते हैं।
  • इसके बाद 10 और 10 से अधिक कलाओं की अभिव्यक्ति केवल भगवान के अवतारों में ही अभिव्यक्त होती है।
  • जैसे वराह, नृसिंह, कूर्म, मत्स्य और वामन अवतार। उनको आवेशावतार भी कहते हैं।
  • परशुराम को भी भगवान का आवेशावतार कहा गया है।
  • भगवान राम 12 कलाओं से तो भगवान श्रीकृष्ण सभी 16 कलाओं से युक्त हैं।
  • यह चेतना का सर्वेच्च स्तर होता है।
  • इसीलिए प्रभु श्रीराम को पुरुषों में उत्तम और भगवान और श्रीकृष्ण को जग के नाथ जगन्नाथ कहते हैं।

 जानें प्रभु श्रीराम के 16 गुण

  1. गुणवान (योग्य और कुशल)
  2. किसी की निंदा न करने वाला (प्रशंसक, सकारात्मक)
  3. धर्मज्ञ (धर्म का ज्ञान रखने वाला)
  4. कृतज्ञ (आभारी या आभार जताने वाला विनम्रता)
  5. सत्य (सत्य बोलने वाला और सच्चा)
  6. दृढ़प्रतिज्ञ (प्रतिज्ञा पर अटल रहने वाला)
  7. सदाचारी (धर्मात्मा, पुण्यात्मा और अच्छे आचरण वाला, आदर्श चरित्र)
  8. सभी प्राणियों का रक्षक (सहयोगी)
  9. विद्वान (बुद्धिमान और विवेक शील)
  10. सामर्थ्यशाली (सभी का विश्वास और समर्थन पाने वाला समर्थवान)
  11. प्रियदर्शन (सुंदर मुख वाला)
  12. मन पर अधिकार रखने वाला (जितेंद्रिय)
  13. क्रोध जीतने वाला (शांत और सहज)
  14. कांतिमान (चमकदार शरीर वाला और अच्छा व्यक्तित्व)
  15. वीर्यवान (स्वस्थ, संयमी और हष्ट-पुष्ट)
  16. युद्ध में जिसके क्रोधित होने पर देवता भी डरें (वीर, साहसी, धनुर्धारि, असत्य का विरोधी)
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