रामनवमी विशेष
माँ कौशल्या का जन्मस्थान, चंदखुरी, छत्तीसगढ़
रामजन्म भूमि अयोध्या के बारे में हम सभी जानते हैं। जल्द ही श्रीराम का विशाल मंदिर बनकर तैयार भी होने वाला है। अयोध्या नगरी के अलावा एक और नगरी भी मशहूर है जो रामलला के ननिहाल के रूप में जानी जाती है। त्रेतायुग में भगवान विष्णु के अवतार के रूप में जाने जाने वाले भगवान राम ने राजा दशरथ और माता कौशल्या के घर ज्येष्ठ पुत्र के रूप में जन्म लिया था। उनकी माता कौशल्या का मायका दक्षिण कौशल था, जो आज छत्तीसगढ़ राज्य के नाम से जाना जाता है। इसे लेकर कई मान्यताएं हैं-
कौशल्या का मायका दक्षिण कौशल
- छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर जिले से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर एक चंदखुरी नामक गांव है, जिसे ही माता कौशल्या का जन्मस्थान माना जाता है।
- कहते हैं, इसी स्थान पर भगवान श्री राम ने वनवास के 12 साल व्यतीत किए थे।
राम को मानते हैं भांजा
- इतना ही नहीं, भगवान श्री राम ने शबरी के झूठे बेर भी इसी जगह पर खाए थे।
- यही कारण है कि इस गांव के लोग भगवान श्री राम को अपने भांजे के तौर पर पूजते हैं।
माँ कौशल्या का मंदिर
- यहां भगवान श्री राम और उनकी माता कौशल्या का भव्य मंदिर है, जहां दूर-दूर से भत्त दर्शन करने आते हैं।
- माता कौशल्या राजा भानुमंत की पुत्री थीं, जिनका इस गांव में एक मंदिर मौजूद है।
- कहते हैं, यहां मौजूद है।
- इस मंदिर का निर्माण सोमवंशी राजाओं ने 8वीं सदी में करवाया था, जिसका अब छत्तीसगढ़ सरकार ने भव्य पुननिर्माण किया है।
- यहां भगवान श्री राम की 51 फीट ऊंची प्रतिमा बनाई गई है।
- माना जाता है कि विवाह में भेंटस्वरूप राजा भानुमंत ने बेटी कौशल्या को दस हजार गांव दिए थे। इसमें उनका जन्मस्थान चौंपुरी भी शामिल था।
- चंदखुरी का ही परचीन नाम चौंपुरी था।
- कहा जाता है कि भगवान राम के वनवास से आने के बाद उनका राज्याभिषेक किया गया।
- इसके बाद तीनों माताएं कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी तपस्या के लिए चंदखुरी चली गईं थीं और तीनों माताएं इस मंदिर में स्थित तालाब के बीच विराजित हो गईं।
श्री राम और उनकी पीढ़ी से गहरा संबंध
- एक मान्यता के अनुसार श्री राम के दोनों पुत्रों लव और कुश का जन्म भी छत्तीसगढ़ के तुरतिया पर्वत पर हुआ था।
- ऐसे में इस गांव और राज्य का भगवान श्री राम और उनकी पीढ़ी दोनों से ही गहरा संबंध माना जाता है।
राम वनगमन पथ
- इस स्थल के अलावा राम वनगमन पथ भी छत्तीसगढ़ की अद्वितीय सांस्कृतिक धरोधर है। यह 2260 किमी लंबा है।
- 9 पड़ाव पौराणिक कथाओं की जीवंतता के केंद्र हैं।
- यहां कि सरकार राम वनगमन पथ के 9 पड़ावों (सीतामढ़ी-हरचौका, रामगढ़, शिवरीनारायण, तुरतुरिया, चौंखुरी, राजिम, सिहावा (सप्तऋषि आश्रम) को विकसित कर रही है, अभी यह परेजेक्ट चल रहा है।
- छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले से लेकर सुकमा जिले तक राम वन गमन पथ का कण-कण राममय है।
- कोरिया जिले में स्थित सीतामढ़ी हरचौका श्री राम के वनवास काल का पहला पड़ाव माना जाता है।
- यह नदी के किनारे स्थित है, जहां गुफाओं में 17 कक्ष हैं। इसे सीता माता की रसोई के नाम से भी जाना जाता हैं।
- जांजगीर चांपा जिले के शिवरीनारायण में रुककर ही भगवान श्री राम ने शबरी के जूठे बेर खाए थे।