
शरीर से निकलने वाली गंदगी पसीने के रूप में सारे शरीर के रोमकूपों से निकलती है और जम जाती है। यदि इसे नियमित साफ न किया जाये तो यह बदबू और अन्य बीमारियों को जन्म देती है, अतः अच्छे स्वास्थ्य हेतु यह बहुत आवश्यक है कि नियमित स्नान द्वारा शरीर साफ रखा जाये।
विदेशों में जहां अत्यधिक ठण्ड के कारण नियमित स्नान करना लगभग असंभव ही होता है, बहुत से स्थानों पर सामूहिक या वैयक्तिक स्नानागर बने होते हैं। उचित शुल्क देकर वहां के निवासी इन स्नानागारों का प्रयोग करते हैं। इन स्थानों पर गरम पानी, साबुन व तौलिये की भी व्यवस्था होती है। भारत में अभी ऐसे स्नानागारों का विशेष प्रचलन नहीं है। नहाने का सर्वाधिक आनन्द नदी या नहर में आता है।
स्वास्थ्य हेतु भी बहते पानी में नहाना अच्छा माना जाता है क्योंकि बहता पानी गंदगी को बहा ले जाता है। यदि ऐसा पानी उपलब्ध न हो तो नल या कुएं का जल सर्दियों में अपेक्षाकृत गरम होता है। स्नान सदैव खुले जल से करना चाहिए। शरीर पर दो चार डिब्बे पानी डालकर स्नान पूर्ण न समझ लें। ऐसे स्नान का कोई लाभ नहीं होता।
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स्नान कैसे करें/How to take a bath
स्नान करने से पहले शरीर को तौलिये से अच्छी तरह रगड़ना चाहिए जिससे शरीर पर जमी गंदगी छूट जाये व रोमकूप खुल जायें। रगड़ना सिर से आरंभ करें व सारे शरीर को रगड़ें। यौनांगों को तौलिये से न रगड़ें। तौलिये से शरीर इतना रगड़ें कि गर्मी अनुभव होने लगे। साबुन का नियमित प्रयोग अच्छा नहीं है क्योंकि इससे शरीर की चिकनाई समाप्त हो जाती है। सप्ताह में दो बार साबुन का प्रयोग किया जा सकता है।
यदि साबुन का नियमित प्रयोग करना हो तो शरीर पर हल्का तेल या चिकनाई आदि लगाते रहें। सबसे पहले पानी सिर पर डालें। उसके पश्चात सारे शरीर पर पानी डालकर अच्छी तरह रगड़ें। बगलों में साबुन न लगाया हो तो अच्छी तरह गीला तौलियां रगड़ें। जंघामूलों और यौनांगों को साबुन से अवश्य धोयें। यदि कोई चर्म रोग आदि हो और साबुन से कष्ट हो तो नीम या चन्द्रिका आदि मेडीकेटिड साबुन से धोयें। यहां की सफाई बहुत आवश्यक है।
शिश्न की खाल उतार कर अच्छी तरह साफ करें। महिलाओं को भी योनि के अन्दर अच्छी तरह सफाई करनी चाहिए नहीं तो सफेद सी मैल जमा हो जाती है जो दुर्गन्ध युक्त तो होती ही है, कई रोग पैदा करने वाली भी मानी जाती है।
पैरों को रगड़ कर साफ करें क्योंकि जमीन पर रहने के कारण उनमें प्रायः काफी गंदगी जमा हो जाती है। स्नान पूर्ण निर्वस्त्र होकर करना चाहिए ताकि शरीर के सब अंग अच्छी तरह साफ हो सके।
कब नहायें/when to bathe
प्रातः सुबह स्नान ही सर्वोत्तम माना जाता है। यद्यपि बहुत लोग सायं और रात को भी नहाते हैं। कई लोग दिन में दो बार नहाते हैं। गर्मियों में रात को सोने से पहले नहाना अच्छी नींद लाने में सहायक होता है। जिन्हें आसानी से नींद न आती हो वे सोने से पूर्व नहाकर देखें। काफी संभावना है कि उनकी यह शिकायत दूर हो सकती है।
स्नान करने के पश्चात शरीर को सूखे तौलिये से अच्छी रगड़कर साफ करें। अब देखिए आप कैसा चुस्त और प्रफुल्लित अनुभव करते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है। वास्तव में नहाने से मांसपेशियों में शिथिलता समाप्त होकर चुस्ती आ जाती है और रक्त संचार की गति तीव्र हो जाती है।
स्नान का महत्व – शरीर और मन की सफाई/Importance of Bathing – Cleansing the Body and Mind
शरीर से निकलने वाली गंदगी पसीने के रूप में रोमकूपों से बाहर आती है। यदि इसे साफ न किया जाए तो दुर्गंध और रोगों का कारण बनती है। इसलिए नियमित स्नान स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। स्नान शरीर की सफाई के साथ-साथ मन को भी तरोताजा करता है।
स्नान के लिए उपयुक्त स्थान/Suitable place for bathing
नदी, नहर या झरनों में स्नान करना सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि बहता पानी गंदगी को दूर करता है। यदि बहता जल उपलब्ध न हो तो नल या कुएं का पानी उपयोग करें। स्नान खुले वातावरण में करना लाभकारी है। बंद जगहों में स्नान करने से संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
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स्नान से पहले की तैयारी/Preparation before bathing
स्नान करने से पहले तौलिये से सिर से लेकर पूरे शरीर तक रगड़ें। इससे रोमकूप खुलते हैं और गंदगी छूटती है। यौनांगों को रगड़ते समय विशेष सावधानी रखें। रगड़ते समय इतनी गर्मी महसूस होनी चाहिए कि शरीर सक्रिय हो जाए। इससे स्नान का पूरा लाभ मिलता है।
साबुन का उपयोग – कब और कैसे करें/How and when to use soap
साबुन का अधिक प्रयोग शरीर की प्राकृतिक चिकनाई कम कर देता है। सप्ताह में दो बार साबुन का प्रयोग पर्याप्त है। यदि नियमित उपयोग करना हो तो स्नान से पहले शरीर पर हल्का तेल या मॉइश्चराइज़र लगाना चाहिए।
- सिर से पानी डालकर स्नान शुरू करें।
- फिर पूरे शरीर पर पानी डालें।
- जंघामूल और यौनांगों को साबुन से धोना जरूरी है।
चर्म रोग में विशेष सावधानी/Special care in skin diseases
यदि किसी को चर्म रोग हो तो सामान्य साबुन की बजाय नीम, चन्द्रिका जैसे औषधीय साबुन का प्रयोग करें। इससे त्वचा साफ रहती है और संक्रमण से बचाव होता है। शिश्न और योनि की सफाई विशेष रूप से आवश्यक है, क्योंकि मैल जमा होने से दुर्गंध और रोग हो सकते हैं।
पैरों की सफाई/foot cleaning
जमीन पर रहने के कारण पैरों में गंदगी ज्यादा जमा होती है। स्नान के समय उन्हें अच्छी तरह रगड़कर साफ करना चाहिए। इससे फंगल संक्रमण और दुर्गंध से बचाव होता है।
स्नान निर्वस्त्र होकर करें/take a bath naked
पूर्ण स्नान निर्वस्त्र होकर करें ताकि शरीर के सभी अंग अच्छे से साफ हो सकें। कपड़ों के साथ स्नान करने से कुछ हिस्सों की सफाई अधूरी रह जाती है, जिससे संक्रमण का खतरा रहता है।
स्नान का समय/bath time
- प्रातःकाल स्नान सर्वोत्तम है।
- गर्मियों में सोने से पहले स्नान करने से नींद अच्छी आती है।
- कुछ लोग दिन में दो बार स्नान करते हैं, जो शरीर को तरोताजा और चुस्त बनाए रखता है।
स्नान के बाद की देखभाल/Post-bath care
स्नान के बाद शरीर को सूखे तौलिये से अच्छी तरह रगड़ें। इससे मांसपेशियों में शिथिलता समाप्त होती है और रक्त संचार तेज होता है। शरीर हल्का और ऊर्जावान महसूस होता है।
विशेष लाभ/special benefits
- मानसिक तनाव कम होता है।
- शरीर की थकान दूर होती है।
- त्वचा स्वस्थ और चमकदार रहती है।
- नींद अच्छी आती है।
- रोगों से बचाव होता है।
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आधुनिक समय में स्नान की आदतें/Bathing habits in modern times
कुछ देशों में अत्यधिक ठंड के कारण सामूहिक स्नानागार बनाए गए हैं जहाँ गरम पानी, साबुन और तौलिये की सुविधा होती है। भारत में ऐसे स्नानागार अभी प्रचलित नहीं हैं, परंतु व्यक्तिगत स्वच्छता की आदतें विकसित हो रही हैं।
निष्कर्ष/conclusion
स्नान केवल शरीर को साफ करने का तरीका नहीं, बल्कि यह स्वस्थ जीवन का आधार है। नियमित स्नान से न केवल त्वचा स्वस्थ रहती है बल्कि मानसिक शांति भी मिलती है। सही तरीके से स्नान करना और स्वच्छता बनाए रखना लंबे समय तक शरीर को रोगमुक्त रखता है।
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