
गुर बिनु भवनिधि तरइ न कोई।
जों बिरंचि संकर सम होई।।
धरती के आरंभ से ही गुरु की अनिवार्यता बताई गई है। ऐसे में रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित यह चौपाई छन्द गुरु की महिमा का बहुत अच्छी तरह से बखान करती है। इसका मतलब है कि गुरु के बिना कोई भी भव सागर पार नहीं कर सकता।
चाहे वह स्वंय सृष्टि के रचयिता ब्रम्हा और भगवान शंकर क्यों न हो। वेदों, उपनिषदों, पुराणों, गीता, गुरुग्रन्थ साहिब आदि धर्मग्रंथों में तो गुरु की भूमिका के लिखित प्रमाण मिलते हैं। वहीं, महान संतों ने भी गुरु की महिमा का खूब गुणगान किया गया है।
शिक्षक समाज की रीढ़ होते हैं। डॉ. राधाकृष्णन के योगदान को स्मरण करते हुए इस दिन हम अपने गुरुओं को सम्मान देते हैं। भारत में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यह दिन महान दार्शनिक, शिक्षक और देश के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर मनाया जाता है। इस मौके पर छात्र अपने शिक्षकों को सम्मान देते हैं और उनके मार्गदर्शन के लिए आभार प्रकट करते हैं।
दक्ष गुरु
बंदउं गुरु पद कंज कृपा सिंधु नररूप हरि।महामोह तम पुंज जासु बचन रबिकर निकर।।
तुलसीदास जी रामचरितमानस में लिखते हैं कि गुरू मनुष्य रूप में नारायण ही हैं। मैं उनकी वंदना करता हूं। जैसे सूर्य के निकलने पर अन्धेरा नष्ट हो जाता है, वैसे ही उनके वचनों से मोहरूपी अन्धकार का नाश हो जाता है। किसी भी प्रकार की विद्या या ज्ञान हो, उसे किसी दक्ष गुरु से ही सीखना चाहिए।
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मुश्किलों से निकलने का रास्ता/Way out of difficulties
प्राचीन समय से ही गुरुओं का स्थान सबसे ऊपर रहा है। भारतीय संस्कृति में तो गुरु को ईश्वर का दर्जा दिया गया है। शिक्षक और भगवान को एक समान बताया गया है। कहते हैं कि अगर आपको जीवन में एक अच्छा गुरु मिल जाए, तो जीवन में आने वाली परेशानियों में भी हमेशा सही रास्ता मिल ही जाता है।
शिक्षक दिवस का इतिहास/History of Teacher’s Day
भारत में शिक्षक दिवस की शुरुआत 1962 से हुई। जब डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन देश के राष्ट्रपति बने, तो उनके छात्रों और मित्रों ने उनका जन्मदिन मनाने का प्रस्ताव रखा। इस पर उन्होंने कहा कि अगर यह दिन उनके जन्मदिन के बजाय सभी शिक्षकों के सम्मान का दिन बने, तो उन्हें ज्यादा खुशी होगी। तभी से 5 सितंबर को पूरे देश में शिक्षक दिवस मनाया जाने लगा।
शिक्षक का महत्व/importance of teacher
शिक्षक हमारे जीवन के सबसे बड़े पथप्रदर्शक होते हैं,जो सही दिशा में आगे बढ़ना सिखाते हैं। शिक्षकों से न केवल हमें किताबी ज्ञान मिलती है, बल्कि वे हमें जीवन के आदर्श भी सिखाते हैं। शिक्षक ही हैं, जो हमें अनुशासन और मेहनत का महत्व समझाते हैं और सच्चाई के रास्ते पर चलने की अहमियत बताते हैं।
आधुनिक समय में शिक्षक की भूमिका/The role of a teacher in modern times
जीवन की ऊंचाइयों पर पहुंचने में शिक्षकों का बड़ा योगदान होता है। युग बदला और शिक्षकों की भूमिका भी। इस तकनीकी युग में शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं रह गई है। ऑनलाइन क्लास, डिजिटल लर्निंग और नए-नए प्लेटफॉर्म्स ने सीखने के तरीकों को बदल दिया है। लेकिन फिर भी एक शिक्षक की भूमिका कभी कम नहीं होती। ये ही तो तकनीक का सही इस्तेमाल सिखाकर अपने स्टूडेंट्स को एक सुनहरे भविष्य के लिए तैयार करते हैं।
गुरु की परंपरा और भारतीय संस्कृति/Tradition of Guru and Indian Culture
भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान हमेशा सबसे ऊपर रहा है। वे हमें अज्ञानता के अंधकार से निकालकर ज्ञान की रोशनी तक ले जाते हैं। यही वजह है कि भारत में शिक्षक दिवस एक पर्व की तरह मनाया जाता है। शिक्षक दिवस अपने गुरुओं को पूरे दिल से सम्मान देने का अवसर है। यह खास दिन हमें यही संदेश देता है कि बिना गुरु के जीवन अधूरा है।
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