
सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है। इस महीने में मेहंदी लगाने का विशेष महत्व है, क्योंकि यह प्रकृति से जुड़ाव का प्रतीक है। मेहंदी की तासीर शीतल होती है, जो स्वास्थ्य के लिए अच्छी है। यह मन को संयमित रखने में भी सहायक होती है। शास्त्रों के जानें सावन में मेहंदी क्यों लगानी चाहिए और इसका क्या फायदे होते हैं।
सावन का महीना कई मायनों में खास होता है। इस दौरान चारों तरफ हरियाली होती है। यह महीना भगवान शिव का प्रिय महीना होता है और इस दौरान उनकी कृपा पाने के लिए लोग भोलेबाबा की आराधना करते हैं। इस महीने में कई सारी चीजें की जाती हैं।
महीना देवों के देव महादेव को समर्पित हैं। शास्त्रों में भी इस महीने का विशेष महत्व बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार, सावन का महीना हरित्मय रहता है। सावन में चारों तरफ हरियाली छाई रहती है। सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा के साथ साथ मेहंदी लगाने की भी विशेष महत्व है। हालांकि यह परंपरा सिर्फ सौंदर्य से जुड़ी नहीं है बल्कि आसकि धार्मिक महत्व भी है।
सावन में क्यों महिलाएं लगाती हैं मेहंदी ? Why do women apply mehndi in the month of Saavan?
सावन में महिलाओं को मेहंदी लगानी चाहिए क्योंकि, महिलाओं को शास्त्रों में प्रकृति का रुप माना गया है। ऐसे में प्रकृति के साथ तादात्म्य यानी एक रुपता के लिए भी महिलाएं सावन में मेहंदी लगाती हैं और ऐसा करना भी चाहिए ऐसा शास्त्रों में बताया गया है। साथ ही इसका वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी है मेहंदी की तासीर शीतल होती है। जिसका आपके स्वास्थ्य पर अच्छा असर होता है। सावन के महीने में बहुत बारिश होती है जिस वजह से स्कीन आदि से जुड़ी समस्याएं हो सकती है ऐसे में मेहंदी की शीतलता से स्कीन आदि की समस्याएं कम होने की संभावनाएं रहती है।
पुराणों में बताया गया है कि सावन के महीने में पुरुष और स्त्री को ब्रह्मचर्य और संयम का पालन करना चाहिए। मेहंदी लगाने के पीछे एक वजह यह भी है कि यह मन को संयमित रखने में सहायक होता है क्योंकि, इसकी प्रकृति शीतल मानी गई है। यही वजह है कि सावन के महीने में अक्सर नवविवाहित कन्याएं पति से दूर अपने मायके में रहने जाती है और वहां भक्तिभाव से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं।
मेहंदी को सुहाग का प्रतीक भी माना गया है और मेहंदी का गहरा रंग जितना ही हथेली पर चढ़ता है उतना ही माना जाता है कि अपने जीवनसाथी से तालमेल और प्रेम बना रहता है। सावन प्रकृति और पुरुष के मिलन का महीना माना जाता है। इसी महीने में भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन के संयोग बना था। भगवान शिव माता पार्वती को अपनी अर्धांगिनी बनाने का वरदान दिया था। इसलिए सुहाग की लंबी आयु और वैवाहिक जीवन में प्रेम और तालमेल के लिए महिलाएं मेहंदी रचाकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं।
सावन में रक्षाबंधन, हरियाली तीज का पर्व भी आता है। रभाबंधन पर मेहंदी लगाने से भाई की उम्र लंबी होती है और भाई बहन के रिश्तों में हमेशा तालमेल बना रहता है। जबकि हरियाली तीज पर मेहंदी पति की लंबी आयु के लिए लगाई जाती है। सावन के महीने में लगाई गई मेहंदी आपके रिश्तों को मजबूत बनाती हैं।
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मेहंदी और माता पार्वती का संबंध/ Relation of Mehndi and Mata Parvati
पौराणिक मान्यता है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए सावन के महीने में कठोर तप किया था। तभी से सावन महिलाओं के लिए सुहाग और अखंड सौभाग्य की कामना से जुड़ा माना जाता है। इस महीने में मेहंदी लगाना माता पार्वती को प्रसन्न करता है और पति की दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है।
सावन का महीना शुरू हो गया है। सावन माह आते ही बाजारों और सोशल मीडिया पर एक ही रंग नजर आने लगता है, वह है हरा रंग। इस माह में अधिकतर महिलाएं महिलाएं हरे रंग की साड़ी, सूट, चूड़ियां और यहां तक कि बिंदी और मेहंदी भी लगाती हैं। क्या यह सिर्फ फैशन है या इसके पीछे कोई पौराणिक और सांस्कृतिक मान्यता भी छिपी है? आखिर सावन में हरे रंग का क्या महत्व है जो महिलाएं अपने श्रृंगार या स्टाइल में भी अपनाती हैं? सावन में हरे रंग के कपड़े पहनने की परंपरा जो अब फैशन ट्रेंड बन गई है, उसके पीछे का कारण भी जानना चाहिए। इस लेख के माध्यम से जानिए सावन में हरा रंग पहनने का महत्व, फैशन ट्रेंड्स और कैसे आप भी इस सावन 2025 में स्टाइलिश और पारंपरिक दोनों दिखा सकती हैं।
क्यों पहना जाता है हरा रंग सावन में?Why is green color worn in Savan?
धार्मिक महत्व
हरा रंग भगवान शिव और मां पार्वती का प्रिय माना जाता है। सावन का पर्व भगवान शिव की आराधना का महीना है। ऐसे में महिलाएं सावन में शिवजी की कृपा पाने के लिए हरा पहनती हैं।
प्राकृतिक प्रतीक
सावन हरियाली का महीना होता है। इस महीने वर्षा होती है और मौसम सुहावना हो जाता है। इस कारण हर ओर हरियाली नजर आने लगती है। चूंकि हरा रंग प्रकृति, प्रजनन और नई शुरुआत का प्रतीक है। इस कारण भी सावन में हरे रंग का महत्व बढ़ जाता है।
विवाहित महिलाओं का सौभाग्य/ good luck for married women
लाल रंग सुहाग की निशानी होती है तो वहीं हरे रंग को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। सुहागन स्त्रियों के लिए हरा रंग सौभाग्य, प्रेम और समर्पण का प्रतीक माना गया है। इसीलिए वे हरे वस्त्र, चूड़ियां और मेहंदी लगाती हैं।
11 जुलाई 2025 से सावन का महीना शुरू हो गया है। सावन माह आते ही बाजारों और सोशल मीडिया पर एक ही रंग नजर आने लगता है, वह है हरा रंग। इस माह में अधिकतर महिलाएं महिलाएं हरे रंग की साड़ी, सूट, चूड़ियां और यहां तक कि बिंदी और मेहंदी भी लगाती हैं। क्या यह सिर्फ फैशन है या इसके पीछे कोई पौराणिक और सांस्कृतिक मान्यता भी छिपी है? आखिर सावन में हरे रंग का क्या महत्व है जो महिलाएं अपने श्रृंगार या स्टाइल में भी अपनाती हैं? सावन में हरे रंग के कपड़े पहनने की परंपरा जो अब फैशन ट्रेंड बन गई है, उसके पीछे का कारण भी जानना चाहिए। इस लेख के माध्यम से जानिए सावन में हरा रंग पहनने का महत्व, फैशन ट्रेंड्स और कैसे आप भी इस सावन 2025 में स्टाइलिश और पारंपरिक दोनों दिखा सकती हैं।
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