महिलाओं को है बराबरी का अधिकार

हर सफल आदमी के पीछे एक महिला होती है, वह उसकी हर जरूरत पर साथ खड़ी रहती है। वह उसकी ताकत होती है और दुखों की बारिश में साया बनकर साथ देती है। वह सिर्फ देना जानती है, जननी होती है। सैल्यूट हर महिला को जिसने धरती को स्वर्ग बनाया। Women Equality महिला समानता
महिला समानता को महत्व दिया जाए
सैल्यूट तभी सार्थक होगा जब समाज में महिला समानता को महत्व दिया जाएगा। Women Equality महिला समानता
एक महिला अपने जीवन में न जाने कितने रिश्तों में रंग भरती है. कभी वो मां बनकर ममता लुटाती है तो कभी पत्नी, बेटी और बहन बनकर रिश्ते निभाती है. भारतीय कानून में महिला सिर्फ बच्चे को जन्म ही नहीं देती बल्कि उसका पालन-पोषण भी करती है. बच्चे को अच्छे संस्कार अपनी मां से ही मिलते हैं.
इसके बावजूद जहां महिलाओं को बराबरी के हक के लिए लड़ाई लड़नी पड़ रही है. महिलाओं को समानता का अधिकार दिलाने और समाज में उनकी स्थिति मजबूत करने की सख्त जरूरत है। इसीलिए भारत समेत कई ऐसे देश हैं, जहाँ महिला समानता दिवस मनाया जाता है.I Women Equality महिला समानता
महिला समानता दिवस Women Equality Day
महिला समानता दिवस पहली बार अमेरिका में मनाया गया. अमेरिका में महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं था इसके अलावा विवाहित महिलाओं ने संपत्ति के अधिकार की मांग भी शुरू कर दी थी. अमेरिका में 1853 से महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई शुरू हुई थी. यहां महिलाओं ने शादी के बाद संपत्ति पर अधिकार मांगने की शुरुआत की थी. उस वक्त अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों में महिलाओं को बहुत कम अधिकार दिए जाते थे. पुरुष महिलाओं को अपना गुलाम समझते थे. .
वोट देने का अधिकार Right to vote
1890 में अमेरिका में नेशनल अमेरिकन वुमन सफरेज एसोसिएशन का गठन किया गया. इस वक्त तक अमेरिका में महिलाओं को वोट डालने का अधिकार नहीं था।
इस संगठन के लोगों ने महिलाओं को वोट डालने का अधिकार देने की बात की. महिलाओं के अधिकारों की मांग को लेकर चले आंदोलन का अंत 26 अगस्त 1920 के दिन वोटिंग . इसके बाद 1971 में अमेरिकी संसद ने हर साल 26 अगस्त को वुमन इक्विलिटी डे के तौर पर मनाने की घोषणा की. अमेरिका में इस दिन को मनाने की शुरुआत हुई.
महिलाओं को इन अधिकार के बारे में पता होना चाहिए
- समान वेतन का अधिकार: Right to equal pay भारतीय कानून में महिलाओं को अलग-अलग अधिकार मिले हैं. इसमें से एक है समान वेतन महिलाओं को इन अधिकार के बारे में पता होना चाहिए .मेहनताने की बात हो तो जेंडर के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकते. किसी कामकाजी महिला को पुरुष की बराबरी में सैलरी लेने का अधिकार है.I
2 गरिमा और शालीनता का अधिकार: Right to dignity and decency महिला को गरिमा और शालीनता से जीने का अधिकार मिला है मेडिकल परीक्षण के दौरान महिला की मौजूदगी जरूरी है.
- दफ्तर या कार्यस्थल. Office work place यदि किसी महिला के खिलाफ दफ्तर में या कार्यस्थल पर शारीरिक उत्पीड़न या यौन उत्पीड़न होता है, तो उसे शिकायत दर्ज करनेकाअधिकार है.
- घरेलू हिंसा Domestic violence भारतीय संविधान की धारा 498 के अंतर्गत पत्नी, महिला लिव-इन पार्टनर या किसी घर में रहने वाली महिला को घरेलू हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने का अधिकार मिला है पति, मेल लिव इन पार्टनर या रिश्तेदार अपने परिवार के महिलाओं के खिलाफ जुबानी, आर्थिक, जज्बाती या यौन हिंसा नहीं कर सकते.
- पहचान का अधिकार: Right to identity किसी महिला की निजता की सुरक्षा का अधिकार हमारे कानून में दर्ज है. यदि कोई महिला यौन उत्पीड़न का शिकार हुई है तो वह अकेले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्र. मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज करा सकती है.
- 6. मुफ्त कानूनी मदद का अधिकार:Right to free legal aid लीगल सर्विसेज अथॉरिटीज एक्ट के मुताबिक रेप की शिकार महिला को मुफ्त कानूनी सलाह पाने का अधिकार है.
7 रात में महिला को नहीं कर सकते गिरफ्तार: Women can’t arrest at night किसी महिला आरोपी को सूर्यास्त के बाद या सूर्योदय से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. किसी से यदि उसके घर में पूछताछ कर रहे हैं तो यह काम महिला कांस्टेबल या परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में होना चाहिए. .
8 वर्चुअल शिकायत दर्ज करने का अधिकार: Right to make virtual complaint कोई भी महिला वर्चुअल तरीके से अपनी शिकायत दर्ज कर सकती है. इसमें वह ई-मेल का सहारा ले सकती है महिला चाहे तो रजिस्टर्ड पोस्टल एड्रेस के साथ पुलिस थाने में चिट्ठी के जरिए अपनी शिकायत भेज सकती है
- अशोभनीय भाषा का नहीं कर सकते इस्तेमाल: Can’t use inhuman language किसी महिला (उसके रूप या शरीर के किसी अंग) को किसी भी तरह से अशोभनीय, अपमानजनक या नैतिकता को भ्रष्ट करने वाले.. करने वाले रूप में प्रदर्शित नहीं कर सकते. ऐसा करना दंडनीय अपराध है.
- 10. महिला का पीछा नहीं कर सकते: can’t chase women आईपीसी की धारा 354D के तहत वैसे किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी जो किसी महिला का पीछा करे, बार-बार मना करने के बावजूद संपर्क करने की कोशिश करे या किसी भी इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन जैसे इंटरनेट, ई-मेल के जरिए मॉनिटर करने की कोशिश करे.
- जीरो एफआईआर दर्ज कराने का अधिकार: Zero right to re enter किसी महिला के खिलाफ यदि अपराध होता है तो वह किसी भी थाने में या कहीं से भी एफआईआर दर्ज करा सकती है. इसके लिए जरूरी नहीं कि केस उसी थाने में दर्ज हो जहां घटना हुई है. जीरो एफआईआर को बाद में उस थाने में भेज दिया जाएगाजहांहुआ हो..
- मैटरनिटी लाभ अधिनियम, 1861: Maternity benefit act यह अधिनियम महिलाओं के रोजगार और कानून द्वारा अनिवार्य मातृत्व लाभ को नियंत्रित करने के लिए बनाया गया है इस कानून के तहत हर कामकाजी महिला को छह महीने के लिए मैटरनिटी लीव मिलती है. इस दौरान महिलाएं पूरी सैलरी पाने की हकदार होती हैं. यह कानून हर सरकारी और गैर सरकारी… कंपनी पर लागू होता है. इसमें कहा गया है कि एक महिला कर्मचारी जिसने एक कंपनी में प्रेग्नेंसी से पहले 12 महीनों के दौरान कम से कम 80 दिनों तक काम किया वह मैटरनिटी बेनेफिट पाने की हकदार है. जिसमें मैटरनिटी लीव, नर्सिंग ब्रेक, चिकित्सा भत्ता आदि शामिल हैं.I Women Equality महिला समानता
- लैंगिक समानता का जश्न मनाते हुए शक्तिशाली उद्धरण
- महिलाओं की अविश्वसनीय आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक उपलब्धियों के बारे में उद्धरण
- 2024 में महिला इतिहास माह मनाने के लिए हमारे पसंदीदा विचार – लगभग दो दर्जन गतिविधियों के साथ!
- जब कहीं अत्याचार हो तो आत्मसम्मान की बात यही है कि उठकर कह दिया जाए कि अत्याचार आज से बंद हो जाएगा, क्योंकि न्याय मेरा अधिकार है।” – सरोजिनी नायडु, उत्तर प्रदेश की पूर्व राज्यपाल
- “उत्पीड़न और भेदभाव को चुनौती दी जानी चाहिए और उसके खिलाफ लड़ाई लड़ी जानी चाहिए।” – सावित्रीबाई फुले, भारतीय समाज सुधारक
- “महिलाओं को उन सभी स्थानों पर होना चाहिए जहां निर्णय लिए जा रहे हैं… ऐसा नहीं होना चाहिए कि महिलाएं अपवाद हों।” – रूथ बेडर गिन्सबर्ग, संयुक्त राज्य अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट की पूर्व एसोसिएट जस्टिस
- हम दुनिया भर की महिलाओं की ताकत लचीलापन और साहस का जश्न मनाए. आपकी आवाज़ मायने रखती है, आपकी कहानियाँ प्रेरणा देती हैं और आपकी उपस्थिति हम सभी को सशक्त बनाती है।”
पुरूषों के कंधे से कंधा -Men shoulder to shoulder
पुरूषों के कंधे से कंधा मिलाकर महिलायें चल रही है अपने हुनर के दम पर समाज की सोच को बदल रही है
इस दिन को मनाने का उद्देश्य महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment) को बढ़ावा देना है, महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव, दुष्कर्म, एकतरफा प्यार में एसिड अटैक्स, भूर्ण हत्या जैसे कई मुद्दों पर बात करना व जागरूकता फैलाना है.
1- औरत होना किसी भी मायने में आसान नहीं है, आपको पहले अपने अधिकारों के लिए लड़ना पड़ता है और फिर साबित करना पड़ता है कि आप सही हो.
2- हमारे देश में औरत को देवी मां का अवतार बताया गया है, संस्कृत में कहा गया है ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः’.
3- किसी घर में एक औरत की पढ़ाई लिखाई का मतलब है एक पीढ़ी का शिक्षित होना.
4- कुछ लोग कहते हैं औरत का कोई घर नहीं होता, कहा जाना चाहिए कि औरत के बिना कोई घर नहीं होता.
5- बेटे के जन्म पर उत्सव ठीक है लेकिन बेटी के जन्म पर उदासी जब तक रहेगी, समाज में कुछ नहीं बदलेगा.
6- प्रत्येक देश के दो पंख होते हैं, एक स्त्री तो दूसरा पुरुष, देश की उन्नति एक एक पंख से उड़ान भरने पर नहीं हो सकती है.
महिलाओं के आत्म सम्मान– Women self esteem
महिलाओं के आत्म सम्मान, समानता और अधिकारों को समर्पित “महिला समानता दिवस” की हार्दिक शुभकामनाएं
आज महिलाएं अपने अद्भुत आत्मबल, दृढ़ इच्छा-शक्ति और संकल्प के साथ हर क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बना रही हैं
मैं समस्त नारी शक्ति को प्रणाम करती हूं
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- सारिका असाटी

