जब भी कोई आपदा-विपदा आती है तो एक ही बात मुंह से निकलती है कि `सबकी भली करेंगे राम।’ ये आस्था भारत में युगों-युगों से चली आ रही है। अनास्था, तर्क और नास्तिकता भरे इस विज्ञान युग में राम, भारत के जन-जन में पैठे हैं।
आस्था, विश्वास और श्रीराम
- चैत्र शुक्ल नवमी को आस्थामयी होकर सारा देश श्री राम का जन्म मनाता है। आस्थावान राम भक्तों के लिए रामनवमी पर जश्न आस्था व विश्वास और अपने आराध्य के महिमामंडन का अवसर भी बनकर आता है।
- राम में उन्हें भगवान दिखते हैं, मर्यादाओं के पुनर्स्थापक नज़र आते हैं, मोक्ष देने वाले वैकुण्ठवासी विष्णु के अवतार दिखते हैं।
Read this also – गुरु को सारथी बना जिएँ निश्चिंत जीवन
राम नाम कलजुग आधारा
- आज से लाखों साल पूर्व त्रेता में पैदा हुए राम के नाम पर आस्था के मेले लगना भारत जैसे अद्भुत देश में ही संभव है।
- भारत ऐसा देश है, जहां भले ही सनातन धर्म पर प्रश्नचिह्न लगते हों, पर राम शास्वत सत्य हैं।
- यहाँ राम आज भी सत्ता, पद व प्रभुता देने वाले एक बड़े कारक हैं। तो कहना पड़ता है कि कोई बात तो है राम के नाम में, तभी तो गोस्वामी तुलसी दास को कहना पड़ा `राम नाम कलजुग आधारा’।
कालपार नहीं मर्यादा पुरुषोत्तम
मर्यादा पुरुषोत्तम कहे जाने वाले राम, अपने समय के एक छोटे से राज्य अयोध्या के राजा दशरथ के पराक्रमी बेटे थे।
पितृ आज्ञा के पालक, दुष्टहंता, शोषितों-पीड़ितो के रक्षक, नारी का सम्मान करने व बचाने वाले नायक थे।
अपनी प्रजा के भावों को समझने व उन्हें महत्ता देने वाले, न्याय के बल पर रामराज को अक्षुण्ण व अमर बना देने वाले थे।
वे ऐसे राजा थे जो अपनी पत्नी का महज एक धोबी के लांछित करने पर उनका त्याग कर दिया।
और फिर उसी के वियोग में सरयू में जल समाधि लेकर जान दे दी।
बेशक, राम में कुछ तो ऐसा है ही कि वे कालपार होने का नाम नहीं लेते। विवादों में रहकर भी पूज्य बने रहते हैं। अपने मरण के लाखों साल बाद भी अमूर्त रूप में जिंदा रहते हैं। मिथकों व कालगणना के हिसाब से चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी राम का जन्मदिन ठहरती है।
Read this also – नवधा भक्ति क्या है?
संवेदनशील राजा
राम बहुआयामी हैं। धर्म निरपेक्ष हैं, जाति-पांति तथा ऊंच-नीच से दूर हैं। राजा के रूप में राम का कोई सानी नहीं है।
वे अपने राज्य की ऐसी व्यवस्था करते हैं कि रामराज्य आने वाले युगों के लिए भी एक आदर्श राज्य बन जाता है।
कहने वाले सही ही कहते हैं कि जहां राम जैसा राजा हो, वहां अनिष्ट नहीं हो सकता।
राम स्वयं सादा जीवन उच्च विचार का पालन करते हैं, पर अपनी प्रजा को सारी सुविधाएं व सुख देने में कोई कसर नहीं उठा रखते।
आज भी प्रजा अपने शासकों में राम की छवि ढूंढती है। वे अपने काल के ही नहीं, सर्वकालिक संवेदनशील राजा हैं।
जन-जन के उत्प्रेरक
- छोटे-छोटे संसाधनों का सही उपयोग सीखना हो तो राम आज भी एक आदर्श प्रबंधक ठहरते हैं।
- राम ऐसे दक्ष सेनानानायक हैं कि दिव्य अस्त्र-शस्त्रों से युक्त महाबली रावण को परास्त कर देते हैं।
- उसके मायावी पुत्रों, राक्षसों व लंका की सेना को महज बंदर, भालुओं की मदद से परास्त कर देते हैं।
- आज के परिप्रेक्ष्य में कह सकते हैं कि राम उच्च श्रेणी के प्रबंधक हैं जो उपलब्ध संसाधनों के सर्वोत्तम उपयोग में सिद्धहस्त हैं ।
- राम कबीर के लिए निराकार, तुलसी के लिए साकार हैं। वाल्मीकि की प्रेरणा हैं।
- महाकवि कंब उन पर रीझते हैं। तुलसी उनके भक्त हैं।
- सूर्यकांत त्रिपाठी व मैथिलीशरण जैसे कवि उन्हें कलियुग में भी प्रेरक मानते हैं।
- भले ही हम राम को भगवान मानें, न मानें, पूजें, न पूजें, उनके अस्तित्व पर शक करें या यकीन।
- पर एक बात तो है कि राम से व उनके द्वारा स्थापित मूल्यों से हम आज भी बहुत कुछ सीख सकते हैं।
Read this also – त्याग और समर्पण की देवी माता सीता
नोट – यह लेख सामान्य जानकारियों पर आधारित है। यदि आपको पसंद आए तो ज्यादा से ज्यादा शेयर करें। अपने विचार और सुझाव कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें।