Friday, September 12, 2025
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गलत आदतों का परिणाम है कब्ज/ Constipation is the result of bad habits

 

खाना, पानी पीना, सोना, शारीरिक गतिविधियाँ यदि सही ना हों। इनसे संबंधित गलत आदतें हों तो इसके परिणामस्वरूप कब्ज होने की पूरी संभावना रहती है। कब्ज से बचना है तो हमें अपनी इन गलत आदतों को सुधारना होगा।

 हाजमा सही तो कब्ज नहीं/ if digestion is good then no constipation

आयुर्वेद के अनुसार यदि किसी व्यक्ति का हाजमा हमेशा सही रहे तो उसे कोई बीमारी हो नहीं सकती। परन्तु प्रायः देखा गया है कि दुनियां में अधिकतर लोगों का हाजमा सही नहीं रहता। उनको रोजाना शौच की आदत नहीं होती या बड़ी मुश्किल से बहुत कम मल त्याग होता है। इसी स्थिति को कब्ज कहते हैं।

कब्ज को लें गंभीरता से/ take constipation seriously

प्रायः लोग इस रोग को गंभीरता से नहीं लेते क्योंकि यह तुरन्त कोई समस्या पैदा नहीं करता। लेकिन इसके दूरगामी परिणाम बहुत ही कष्टकारी होते हैं। एक बार यदि यह रोग किसी के शरीर में अपनी जड़ जमा ले तो उससे छुटकारा पाना बहुत ही कठिन होता है।

कई रोगों का जन्मदाता कब्ज/ Constipation is the cause of many diseases

कब्ज की वजह से ही अनेक बीमारियां जैसे पेट दर्द, सिर दर्द, गैस बनना, मुंह में छाले आदि हो जाते हैं। प्रायः ऐसा देखा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति डॉक्टर के पास कब्ज की शिकायत लेकर जाता है तो डॉक्टर मरीज को किसी ऐसी दवाई के लिए सलाह देता है जिससे कि उस समय तो रोगी की यह समस्या दूर हो जाती है, लेकिन बाद में फिर वही स्थिति पैदा हो जाती है और रोगी फिर से कब्ज की गिरफ्त में आ जाता है।

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जानें इसके मूल कारण को/ Know it’s root cause

प्रायः अधिकतर लोग कब्ज के मूल कारणों को नहीं खोजते जिसके कारण यह स्थाई रूप से शरीर में बनी रहती है। अपनी दिनचर्या का ध्यान से अध्ययन करें तो हम पायेंगे कि यह बीमारी हमारी अपनी ही कुछ गलत आदतों की वजह से हमको घेरे है। अतः अगर हम अपनी इन आदतों को छोड़ दें तो हम इस असाध्य रोग से छुटकारा पा सकते हैं।

जिसके लिए हमें किसी दवा या औषधि की जरूरत नहीं पड़ेगी।

 मुख्य गलत आदतें/ main bad habits

कब्ज के रोगियों में पाई जाने वाली कुछ मुख्य गलत आदतें निम्न प्रकार से हैं।

  • प्रायः अधिकतर लोग सुबह सूर्योदय के बहुत देर बाद उठते हैं।
  • फिर समय की कमी के कारण हर कार्य जल्दी-जल्दी करते हैं।
  • शौच जैसे महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए भी पर्याप्त समय नहीं दे पाते और इस प्रकार कब्ज का शिकार हो जाते हैं।
  • प्रायः देखा गया है कि लोग दिन में भोजन करने के तुरंत बाद काम पर भागते हैं।
  • रात को 10-11 बजे खाते हैं और तुरंत सोने चले जाते हैं जो हमारी पाचन शक्ति के लिए हानिकारक है।
  • समयाभाव के कारण अक्सर लोग जोर लगाकर शौच करते हैं जो खतरनाक है।
  • इससे पाइल्स, फिशर जैसे कष्टप्रद रोग हो जाते हैं।
  • आजकल भोजन में सूखे खाद्य पदार्थों और डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों का चलन बढ़ गया है, जो स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छा नहीं है।

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क्या करें/what to do

  • अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में सूर्योदय से पूर्व उठें।
  • उठने के बाद तांबे के लोटे में रखा शीतल जल पी कर थोड़ा टहलें।
  • फिर शौच के लिए जाएँ।
  • स्वाभाविक शौच के लिए आवश्यक है कि आप शौच क्रिया जल्दबाजी में न करें तो बेहतर होगा।
  • स्वाभाविक शौच के लिए कम से कम दस मिनट का समय अवश्य देना चाहिए।
  • जहां तक संभव हो, भोजन दिन में दो बार ही करें।
  • दोनों समय के भोजन में कम से कम 5-6 घंटे का अंतर होना आवश्यक है ताकि भोजन का पाचन सही रूप से हो सके।

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  • प्रत्येक व्यक्ति को दिन में भोजन करने के बाद थोड़ी देर आराम अवश्य करना चाहिए।
  • रात को भोजन जल्दी ही 6-7 बजे के करीब ही कर लेना चाहिए।
  • इससे सोने से पहले भोजन को पचने के लिए 2-3 घंटे का समय मिल जाता है।
  • रात्रि के भोजन के बाद थोड़ी दूर तक टहलने अवश्य जाना चाहिए जिससे भोजन अच्छी तरह पच जाए।
  • भोजन करने के तुरंत बाद ही अधिक पानी नहीं पीना चाहिए क्योंकि इससे पाचन क्रिया धीमी हो जाती है।
  • भोजन करने के एक घंटे पश्चात् ही पानी पीना चाहिए।
  • दिन भर में लगभग एक-एक घंटे के अंतर पर कई गिलास पानी पीना चाहिए। इससे पेट हमेशा साफ रहता है।
  • प्रायः देखा गया है कि लोग दिन में केवल सुबह के वक्त ही शौच जाते हैं, जो गलत है। व्यक्ति को दिन में दो समय, सुबह और शाम को

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  • शौच क्रिया के समय व्यक्ति को इधर-उधर की बातें न सोचकर अपना सम्पूर्ण ध्यान शौच क्रिया की ओर एकाग्रचित करना चाहिए।
  • मल त्याग को रोकना भी कब्ज का प्रमुख कारण है।
  • जिस प्रकार शरीर को एक निश्चित समय पर भूख लगती है, उसी प्रकार मल विसर्जन का भी एक निश्चित समय होता है। यदि उस समय मलावेग की अवहेलना की जाती है तो कब्ज पैदा हो जाता है।
  • हमें सूखे और डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों का सेवन कम करना चाहिए।
  • भोजन में अधिक वसा और चिकनाईयुक्त पदार्थों का प्रयोग हमारी पाचन शक्ति को बिगाड़ता है।
  • अतः हमें कम चिकनाई वाले रेशेदार फलों, सब्जियों, दालों आदि का सेवन करना चाहिए।

यदि उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए आप अपनी गलत आदतों को छोड़कर अपनी दिनचर्या में सुधार कर लें तो आप इस व्याधि से बच सकते हैं।

फिर भी यदि कब्ज की व्याधि ने आपके शरीर में जड़ जमा ली है तो आप त्रिफला चूर्ण का नियमित सेवन प्रतिदिन रात को सोते समय गुनगुने पानी के साथ निरन्तर लम्बे समय तक करें तो इस रोग से स्थाई रूप से छुटकारा पाया जा सकता है।

 

 

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