बेटी को करें पहले ही तैयार

क्या आपकी बेटी भी अपने पहले पीरियड की तरफ बढ़ रही है। जी, पीरियड से यहाँ मतलब है मेन्स्ट्रूएशन या माहवारी। तो बेहतर यही है कि आप ऐक्शन प्लान बना लें ताकि आपकी बेटी तो इसके लिए तैयार रहे ही, साथ में आप भी। बढ़ती बेटी का पहला पीरियड्स

- अक्सर महिलाओं को अपने पहले पीरियड का अनुभव हमेशा याद रहता है।
- हममें से बहुत-सी महिलाओं को यह भी लगता है कि काश वह पहले से इसके बारे में जागरूक होतीं।
- अपने पहले पीरियड के लिए थोड़ी और ‘तैयार’ होतीं, उन्हें इसके बारे में ज्यादा जानकारी होती।
- आजकल के दौर में यह मुश्किल नहीं है क्योंकि अब टीवी, मोबाइल, सोशल मीडिया पर हर तरह की जानकारी है।
- और यह आसानी से बच्चों को उपलब्ध है।
- लेकिन फिर भी एक बेटी के पैरंट्स को यह चिंता रहती है कि उनकी बेटी का पहला पीरियड तकलीफ भरा न हो।
- खासकर मां को यह चिंता हमेशा परेशान करती है कि उनकी बेटी को इस दौरान किसी तकलीफ से न गुजरना पड़े।
- अगर आपकी बेटी भी अपने पहले पीरियड की तरफ बढ़ रही है तो
- बेहतर यही है कि आप ऐक्शन प्लान बना लें ताकि आपकी बेटी तो इसके लिए तैयार रहे ही, साथ में आप भी।
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कंफर्ट लेवल बनाएं

- आजकल 9-11 साल की उम्र तक ज्यादातर लड़कियों को पीरियड शुरू हो जाते हैं।
- यह संभव है कि इस बारे में बेटी बात करने में कंफर्टेबल महसूस न करे।
- या आप अपनी बिटिया से बात करने में हिचकिचाएं।
- बेटी से इस पर बात करने से पहले यह देख लें कि क्या आप इस पर बात करने के लिए तैयार हैं?
- बेटी को कंफर्ट लेवल दें और दोस्त की तरह बात करें।
- यह सही है कि पीरियड्स पर बात करने के लिए बेटी बहुत छोटी है।
- और संभव है कि यह सब उसके लिए एक शॉक की तरह हो।
- ऐसे में उसको समझाने के साथ-साथ उसे समझना भी जरूरी है।
- अगर बेटी के मन में पीरियड्स को लेकर सवाल हैं तो उसके सवालों को टालें नहीं बल्कि उनके जवाब दें।
- उसे बताएं कि सवाल पूछना सही है उसमें कोई बुराई नहीं।
- उसे बताएं कि अब उसे अपना ख्याल कैसे रखना है।
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बेसिक से शुरू करें

- ज्यादातर लड़कियों को 11-14 साल की उम्र तक कभी भी पीरियड्स आ सकते हैं।
- सामान्य रूप से 9-16 साल तक की उम्र तक कभी भी पीरियड्स आना नॉर्मल है।
- लेकिन अगर ऐसा लगे कि पीरियड्स आने में देरी हो रही है तो डॉक्टर से एक बार जरूर सलाह लें।
- पीरियड्स के पहले दिन से लेकर दूसरे पीरियड्स के पहले दिन के बीच गैप का साइकल आमतौर पर यह 25-35 दिन के बीच होता है। बेटी को यह बेसिक जानकारी दें।
- साथ ही बताएं कि पीरियड्स के शुरुआती कुछ सालों में ब्लड का रंग हल्का लाल, गहरा या काला हो सकता है।
- पीरियड्स 4-7 दिन तक रह सकता है। इससे घबराने की जरूरत नहीं है।
- कुछ समय तक पीरियड्स साइकल रेग्युलर नहीं होगा और इसे सेट होने में कुछ समय लग सकता है।
- शुरुआत में ब्लीडिंग का फ्लो ज्यादा हो सकता है इसलिए हर 4-6 घंटे में पैड चेंज करने के बारे में बताएं।
- हाइजीन का कैसे ध्यान रखना है यह भी उसे समझाएं और पीरियड्स हाइजीन के बारे में पूरी जानकारी दें।
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शरीर में हो रहे बदलाव
- प्यूबर्टी की शुरुआत से काफी पहले ही लड़कियों के शरीर में बदलाव आने शुरू हो जाते हैं
- इसी का एक बदलाव का जरूरी हिस्सा है पीरियड्स।
- हालांकि डॉक्टर्स यह भी कहते हैं कि अगर अंडरआर्म्स में बाल आ जाएं तो यह समझ लें कि अब पीरियड्स किसी भी वक्त आ सकता है।
- बेटी को बताएं कि पीरियड्स कोई बीमारी नहीं है जो हर महीने 4-5 दिन के लिए उसे बीमार कर देगी।
- यह शरीर में हो रहा बदलाव है और इससे रोजमर्रा के कामों पर कोई फर्क नहीं पड़ता। दूसरा, बच्ची कहीं अचानक ब्लड देखकर घबरा न जाए इसलिए उसका यह डर खत्म करना जरूरी है कि इससे शरीर में किसी तरह की कमजोरी नहीं होती।
स्कूल में या घर के बाहर

- पीरियड्स आ जाए तो वह इसके लिए पूरी तरह तैयार हो, इसके लिए किट की तैयारी जरूरी है।
- आजकल ज्यादातर दोनों पैरंट्स वर्किंग होते हैं।
- और ऐसे में यह संभव है कि बेटी के पहले पीरियड्स के दौरान आप उसके साथ न हों या बेटी को अकेले ही सब मैनेज करना हो,
- इसलिए भी पीरियड्स किट का तैयार करके रखना जरूरी है।
- एक जिप पाउच में टीन-साइज सैनिटरी नैपकिन पैड्स, पैंटी का एक पेयर और एक्स्ट्रा पेपरबैग/टिशू पेपर किट में रखें।
- बेटी को हर समय इसे अपने साथ रखने के लिए कहें|
- उसके स्कूल बैग में और अगर ट्यूशन या क्लासेज वगैरह जाती है तो उस बैग में भी एक किट रख दें।
- इसके अलावा, एक किट आप अपने बैग में भी हमेशा साथ रखें अगर उसे अचानक कहीं जरूरत पड़ जाए।
- किट उसे उसके सबसे बड़े डर यानी लीक के डर से भी दूर करेगी।
- उसे बताएं कि अगर अंडरवेयर ब्लीडिंग की वजह से खराब हो जाए तो उसे पेपरबैग या टिशू में लपेट कर बाथरूम के डस्टबिन में फेंक दे।
- और किट में रखा नए अंडरवेयर का इस्तेमाल कर ले।
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सैनिटरी पैड्स या टैम्पून्स
- बेटी क्या यूज़ करे यह उसके कंफर्ट पर रहने दें और उसे पैड्स या टैम्पून्स दोनों के इस्तेमाल की पूरी जानकारी दें।
- डॉक्टर्स के अनुसार पहले पीरियड्स में टैम्पून्स का इस्तेमाल करने में किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं है।
- हालांकि बेहतर यही है कि बेटी पहले पीरियड के भावनात्मक दौर से बाहर आ जाए।
- अगले कुछ महीनों में वह पीरियड को लेकर कंफर्टेबल हो जाए तब टैम्पून्स पर स्विच करे।
- अगर बेटी स्पोर्ट्स या फिजिकल ऐक्टिविटीज में हिस्सा लेती है तो उसके लिए पैड्स से ज्यादा टैम्पून्स सुविधाजनक रहेंगे।
- यह बेटी को ही तय करने दें कि वह क्या इस्तेमाल करना चाहती है।
- हां, अगर वह टैम्पून्स यूज़ करने की इच्छुक है तो उसे फीमेल बॉडी का डायग्राम या तस्वीर के जरिए इसके इस्तेमाल के बारे में समझाएं।
- आजकल यूट्यूब पर टीन गर्ल्स को टैम्पून्स के इस्तेमाल बताने वाले विडियो भी हैं, आप उसके जरिए बेटी को समझा सकते हैं।
- अक्सर गर्ल्स को इसके इस्तेमाल को लेकर यह डर रहता है कि यह उनके शरीर के अंदर चला जाएगा।
- उन्हें समझाएं कि ऐसा नहीं होगा और टैम्पून्स का इस्तेमाल बिल्कुल सुरक्षित है।
- लेकिन टैम्पून्स खरीदते वक्त ध्यान रखें कि वह टीन टैम्पून्स ही हों क्योंकि यह अडल्ट टैम्पून्स के मुकाबले थोड़े पतले होते हैं।
- इसके अलावा, हर 4 घंटे में टैम्पून्स बदलने के बारे में भी बताएं ताकि लीकेज की दिक्कत न हो।
- शुरुआती दिनों में बेटी को पीरियड्स की समस्याओं से गुजरना ही होगा।
- ऐसे में अगर उसे कभी लीकेज या स्पॉटिंग की दिक्कत हो जाए
- और आप आसपास न हों तो वह किससे इस बारे में बेझिझक बात करे, यह आप उसे समझाएं।
- जैसे बच्ची स्कूल जाती है तो वह अपनी टीचर को इसके बारे में बताए या दोस्त से शेयर करे या कोई भी ऐसा इंसान जिस पर पूरी तरह ट्रस्ट कर सके।
- बच्ची इस दौरान बहुत इमोशनल बदलावों से गुजरती है इसलिए उसे यह आश्वस्त करें कि किन लोगों पर विश्वास कर सकती है।
- बेटी को यह भी समझाएं कि अगर कभी उसकी दोस्त को ऐसी दिक्कत हो जाए तो वह उसे भी गाइड करे और एक-दूसरे का ऐसे समय में साथ दे।
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पीरियड्स से जुड़ी समस्याओं को हौवा न बनाएं

- बेटी को पहले पीरियड्स की जानकारी देने के चक्कर में उसे डरा न दें।
- अक्सर ऐसा होता है कि बेटियों को समझाने के लिए इस दौरान होने वाली फिजिकल समस्याओं के बारे में एक साथ बता देते हैं।
- जैसे- क्रैम्प्स, PMS (प्री मैन्स्ट्रूअल सिंड्रोम), मुंहासे, ब्लोटिंग, बैक पेन वगैरह-वगैरह।
- इससे गर्ल्स के लिए पीरियड्स एक नैचरल प्रोसेस न होकर हौवा बन जाता है।
- डॉक्टर्स के मुताबिक इनमें से ज्यादातर लक्षण कुछ महीने या कुछ साल पीरियड्स होने के बाद ही गर्ल्स में नज़र आने शुरू होते हैं।
- और हर लड़की का शरीर इन बदलावों को अपने मुताबिक लेता है।
- यह जरूरी नहीं है कि हर लड़की को इन सबसे गुजरना ही पड़े।
- हां, कई लड़कियों को पीरियड्स के दौरान काफी तकलीफ भी होती है।
- अगर ऐसा है तो डॉक्टर की सलाह के बाद दवाई ली जा सकती है।
- बेहतर यही है कि बेटी को पीरियड्स शुरू होने के बाद रेग्युलर चेकअप के लिए डॉक्टर
- को एक बार जरूर दिखा लें।
- बिहेवियर बदलावों और मूड स्विंग्स जैसी समस्याओं का सबसे अच्छा उपाय यही है कि आप उसका साथ दें
- और एक दोस्त बनकर उसकी हर जरूरत को समझें।
- उसे सपॉर्ट करें, तभी बेटी का पहले पीरियड का अनुभव सुखद होगा।
लेखिका -सारिका असाटी
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