शेखी में मारा गया मूर्ख गधा

मूर्ख गधा मस्ती में आकर यह भूल गया कि उसने शेर की खाल पहन रखी है। बस लगा जोर-जोर से ढींचू-ढींचू करने। किसान समझ गया कि यह तो शेर की खाल पहने कोई गधा है। उसने गधे को लठ दे मारा। मूर्ख गधा अपनी शेखी में आकर मारा गया।
एक गाँव में एक धोबी के घर पर विलास नाम का एक गधा रहता था।
वह बेचारा सारी उम्र उस धोबी का बोझा ढोते-ढोते बूढ़ा हो गया।
यहां तक कि बेचारा मरने के नजदीक पहुँच गया।
यह दुनिया तो उसी का साथ देती है जिससे कोई लाभ हो।
जवानी के ग्राहक सभी हैं, बुढ़ापे में तो स्वयं अपना शरीर भी साथ नहीं देता।

बस फिर क्या था।
धोबी ने सोचा- अब मैं इस गधे को घर में रखकर मुफ्त का खाना क्यों दूँ?
यह सोच उसने गधे को घर से निकाल दिया।
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हां, उसने उस बूढ़े गधे के बचाव के लिए उसके शरीर पर शेर की खाल चढ़ा दी।
ताकि कोई साधारण जानवर या इन्सान उसके निकट आकर मार न दे।
गधा जंगल में चला गया।
वहां से वह खेतों में जाकर किसानों की फसलें खा अपना पेट भरने लगा ।
किसान लोग जैसे ही देखते कि उनकी फसलें खाने वाला तो शेर है-
तो वे बेचारे डर के मारे भाग खड़े होते ।
एक बार एक दिलेर किसान ने सोचा कि मैं इस शेर को रात के अन्धेरे में छुपकर मारूंगा।
यह सोच उसने अपना तीर कमान सम्भाला और खेत में जा कर बैठ गया।
गधा भी हराम का माल खा-खाकर पल चुका था।
अब तो उसे दिन-रात मस्ती थी।
वह उसी मस्ती में आकर यह भूल गया कि उसने शेर की खाल पहन रखी है।
बस लगा जोर-जोर से ढींचू-ढींचू करने ।
किसान झट से समझ गया कि यह तो शेर की खाल पहने कोई गधा है।
जो आज तक हमें पागल बनाता रहा है धत्त तेरे की।
इतना सोचते ही वह किसान सामने आ गया और गधे के आगे खड़े हो उसे लठ दे मारा।
बस फिर क्या था।
मूर्ख गधा अपनी शेखी में आकर मारा गया।
उसकी बुद्धि भ्रष्ट हो गई थी।
मौत ने उसे सदा के लिए सुला दिया।
सीख – दूसरे की खाल ओढ़ कर कोई भी वह नहीं बन जाता जिसकी उसने खाल ओढ़ रखी है।
किसी की खाल ओढ़ने की बजाय उसके गुणों को अपनाना चाहिए।
वरना मुँह खोलते ही आपकी औकात सामने आ जाएगी।

