दूध, फल, सब्जी ….आदि का सेवन ही स्वास्थ्यवर्द्धक आहार है

देश के खान-पान में तेजी से आ रहे बदलाव ने बहुत सी बीमारियों को जन्म दिया है। ऐसे में हमें जंक फूड व कोल्ड ड्रिंक्स के सेवन से बचना चाहिए। क्योंकि इनमें से कुछ खाद्य-पदार्थों को रसायन संरक्षित, संश्लेषित करते हैं और कुछ को आकर्षक बनाने के लिए उनमें रंगों का प्रयोग किया जाता है।
आजकल ज्यादातर लोग बाहर के खाने के शौकिन हैं। लोग पहले की तरह वे घंटों किचन में समय बिताने को समय की बर्बादी मानने लगे हैं। उनकी सुविधा के लिये बना फास्ट फूड हमारे यहां पश्चिम से आया है। यह आज घर-घर में बेहद लोकप्रिय हो रहा है।

सभी वर्ग को पसंद
- क्या उच्च वर्ग, क्या मध्यम वर्ग, यहां तक कि निम्नवर्ग भी पीछे नहीं है इसे खाने और खिलाने में।
- निम्न श्रेणी के लोग लेफ्टओवर (बचा खुचा) पा जाते हैं।
- इस तरह वे भी अपने ढंग से उन्हें समझने लगे हैं।
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बाजार में उपलब्धता

- बाजार में केक पेस्ट्री, जैम, जैली, कैचअप, केडबरी, टॉफी, सैंडविच की वैरायटीज उपलब्ध हैं।
- पिज्जा, चिप्स, कुरकुरे, तथा अनेक प्रकार के सॉफ्ट ड्रिंक्स, बेकरी कन्फेक्शनरी और रेस्तरां में खूब बिकते हैं।
- छोटे बड़े सभी इनके शौकीन हैं।
- कई बार कामकाजी महिलाएं लंच में यही सब खा कर काम चला लेती हैं।
रसायनों का दुष्प्रभाव

- देश के खान-पान में तेजी से आ रहे, इस बदलाव ने बहुत-सी बीमारियों को जन्म दिया है।
- क्योंकि इनमें से कुछ खाद्य-पदार्थों को रसायन संरक्षित, संश्लेषित करते हैं।
- कुछ को आकर्षक बनाने के लिए उनमें रंगों का प्रयोग किया जाता है।
- इससे साल भर में औसतन डेढ़ किलो घातक रसायनिक पदार्थ खाने वालों के पेट में पहुंच जाता है।
- ये रसायन चर्बी में घुलकर सालों तक रह सकते हैं।
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खतरनाक बीमारियों का कारण

- ये खतरनाक बीमारियों का कारण बन सकते हैं जिनमें कैंसर मुख्य है।
- फास्टफूड में शरीर को मिलने वाले मुख्य पोषक तत्वों का अभाव होता है।
- आयरन, कैल्शियम फाइबर, विटामिन ए बी सी इस फूड में नहीं होता।
- डॉक्टरों के अनुसार फास्ट फूड का ज्यादा सेवन करने वाले मोटापे के साथ एनीमिया, आर्थराइटिस व आंखों से संबंधित रोगों से घिर जाते हैं।
- हृदय रोग को आमंत्रित कर लेते हैं।
- प्रिजर्वेटिव सोडियम ग्लूटामेट मस्तिष्क के हाइपोथेल्मस पर बुरा असर करते हैं।
दांतों पर प्रभाव

- चॉकलेट, जिनकी हज़ारों वेरायटी बाज़ार में आ गई हैं, से बच्चों के दांत खराब होने की संभावना बढ़ जाती है।
- डबल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार बच्चों में यह बीमारी विकसित देशों में घर कर रही है।
- और यह विकासशील देशों में बढ़ती जा रही है।
- आज लोगों के रहन-सहन व खान-पान में तेज़ी से बदलाव आया है।
- लोग बनावटी चीजों की ओर बढ़ते हुए प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं।
- वे के परिशोधित आहार को तरजीह देने लगे हैं।
- उनसे दांतों में बैक्टीरिया को पनपने का अनुकूल माहौल मिल जाता है।
- पहले बच्चे-कच्चे खाद्य और सब्जियां ज्यादा खाते थे।
छूटती पुरानी जीवनशैली

- हरे चने (हौरे), हरी-हरी मटर मां, दादी के छीलते-छीलते आधी से ज्यादा साफ कर देते थे।
- गाजर, मूली, आंवला, टमाटर, कहीं फालसे कहीं कच्चे पक्के अमरूद, आम खूब खाये जाते थे।
- इनमें पाये जाने वाले फाइबर दांतों को साफ कर दिया करते थे।
- लेकिन परिशोधित आहार जैसे बिस्किट, केक, पेस्ट्री व चिप्स दांतों में चिपक कर रह जाते हैं।
- शीतल पेय में वसा, कार्बोहाइड्रेट दांतों को बदरंग कर देता है।
- दांतों पर काले धब्बे उभर आते हैं और दांत सड़ने लगते हैं।
बैन है मुश्किल
- अब यह कहना कि फास्टफूड व कोल्ड ड्रिंक्स पर बैन लगा दिया जाए, एक असंभव बात होगी।
- क्योंकि ये जन जीवन में रच बस गये हैं।
- कोल्ड ड्रिंक, डिब्बा बंद जूस और फास्ट फूड आज आधुनिक होने की पहचान हैं, पार्टियों की शान हैं। जीवन में सुविधा का सामान हैं।
धीमा जहर
- वैज्ञानिक विश्लेषण एवं अनुसंधानों ने सिद्ध कर दिया है कि फास्टफूड और कोल्ड ड्रिंक्स का निरंतर प्रयोग धीमे जहर से कम नहीं।
- जिस तरह तंबाकू से होने वाले नुकसानों को लेकर जागृति आई है और उसका चलन कम हुआ है।
- फास्टफूड और कोल्डड्रिंक्स को लेकर भी लोगों को सचेत हो जाना चाहिए।
- खाने-पीने की आदतों में बदलाव लाना चाहिए।
हो जाएँ सचेत

- डॉक्टर छज्जर इस दिशा में बहुत ही प्रशंसनीय कार्य कर रहे हैं।
- साओल के तहत ब्लाकेज रिवर्सल थिरेपी सजेस्ट करते हुए वह जीरों ऑयल फूड पर जोर देते हैं।
- उनके अनुसार अगर थोड़ा भी चला जाए तो बहुत सी बीमारियों से स्वतः बचा जा सकता है।
- माता-पिता अपने खाने पर कंट्रोल कर लें, तभी बच्चों को भी स्वास्थ्य वर्द्धक आहार के लिए प्रेरित किया जा सकेगा।
- सभी जानते हैं कि दूध, फल, सब्जी, डाई फ्रूट, दलिया, दही आदि का उचित मात्रा में सेवन ही स्वास्थ्यवर्द्धक आहार है।

