
भाई दूज का महत्व और पौराणिक कथाएँ/SINGNIFICANCE AND MYTHOLOGY OF BHAI DOOJ
हिंदू पंचांग के अनुसार, होली भाई दूज यानी चैत्र माह कृष्ण पक्ष की द्वितीय तिथि की शुरुआत 15 मार्च को दोपहर दो बजकर 33 मिनट पर होगी। वहीं तिथि का समापन अगले दिन 16 मार्च को शाम 4 बजकर 58 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, इस बार होली भाई दूज 16 मार्च को मनाई जाएगी।
मान्यताओं के अनुसार कई कथायें और कहानियां हैं जो भाई दूज की मनाने की परंपरा से जुड़ी हुईं हैं। आमतौर पर यह माना जाता है कि इस दिन, मृत्यु के देवता भगवान यम ने अपनी बहन यमी या यमुना से भेंट की थी। यमुना ने ‘आरती’ और मालाओं से अपने भाई का स्वागत किया, उनके माथे पर ‘तिलक’ लगाया और उन्हें मिठाई व विशेष व्यंजन भोजन के रूप में खिलाए। इसके बदले में, यमराज ने उसे एक अनोखा उपहार दिया और कहा कि इस दिन जो भाई अपनी बहन द्वारा आरती और तिलक का अभिवादन पाएंगे, उन्हें लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलेगा।
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इसी कारण इस दिन को ‘यम द्वितीया’ या ‘यमद्वितीया’ के नाम से भी जाना जाता है। एक अन्य कथा में बताया गया है कि भगवान कृष्ण, राक्षसों के राजा नरकासुर का वध करने के बाद, अपनी बहन, सुभद्रा के पास गए थे, और सुभद्रा जी ने उनका स्वागत मिठाई, माला, आरती और तिलक लगाकर किया था। इस प्रकार भाई दूज के पर्व की शुरूआत हुई।
भाई दूज का महत्व/IMPORTANCE OF BHAI DOOJ
कार्तिक में आने वाले भाई दूज की तरह ही ‘होली भाई दूज’ भी एक ऐसा पर्व है, जो भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्त करता है। इस दिन बहनें अपने भाई के सुखमय जीवन के लिए कामना करती हैं, बदले में भाई उन्हें जीवन भर रक्षा करने का वचन देते हैं।
भाई दूज क्यों मनाया जाता है?/WHY IS BHAI DOOJ CELEBRATED?
एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार एक भाई द्वितीया तिथि पर अपनी बहन के घर तिलक करवाने के लिए गया, परंतु रास्ते में उसे नदी, शेर व सांप आदि मिले जो उसके प्राण लेना चाहते थे। भाई ने उन सबको वचन दिया कि जब वो बहन के यहां से टीका लगवाकर वापस लौटेगा तो अपने प्राण दे देगा। ये वचन देने के बाद भाई अत्यंत दुखी था। जब बहन ने भाई के दुख का कारण जाना तो एक उपाय सुझाया, जिससे भाई के प्राणों की रक्षा हुई। इसके बाद भाई ने जीवन भर बहन की रक्षा करने का संकल्प लिया। भाई बहन के इसी अटूट बंधन, प्रेम और समर्पण को और प्रगाढ़ करने के लिए भाई दूज का ये पावन पर्व मनाया जाता है।
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भाई दूज क्या है/WHAT IS BHAI DOOJ?
- हिन्दू धर्म में कई सारे रीति रिवाज विद्यमान हैं, जिनका अपना अलग ही महत्व होता है। इनमें से भाईदूज एक ऐसा उत्सव है जो विशेष रूप से भाई-बहन के प्रेम को समर्पित होता है। इस दिन भाई और बहन के बीच प्रेम की भावना देखने को मिलती है।
- इस दिन विवाहित बहनें अपने भाई को भोजन के लिए अपने घर पर आमंत्रित करती है और अपने भाई को प्रेमपूर्वक भोजन कराती है। बहन अपने भाई को तिलक करती हैं और उनकी सुख-समृद्धि की कामना करती हैं, जिसके बाद भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं।
- कहते हैं कि इस दिन जो कोई भी बहन विधि पूर्वक और शुभ मुहूर्त में अपने भाई का तिलक करती है और फिर पूजा आदि करती है उसके भाई के जीवन से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और उनकी उम्र लंबी होती है।
भाई दूज की व्रत पूजा विधि/BHAI DOOJ FASTING AND WORSHIP METHOD
कार्तिक मास की तरह ही होली के बाद आने वाली द्वितीया को भी भाई दूज के नाम से जाना जाता है। इस दिन सभी बहनें अपने भाई को भोज के लिए निमंत्रित करती हैं। और उन्हें तिलक करके उनकी लम्बी आयु के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं। चलिए जानें इस दिन व्रत और पूजा कैसे की जाती है और क्या है इसके लिए आवश्यक सामग्री –
भाई दूज पूजा के लिए आवश्यक सामग्री/MATERIALS REQUIRED FOR BHAI DOOJ PUJA
- पूजा की थाली
- फल, फूल
- दीपक
- अक्षत
- मिठाई
- देसी घी
- जल
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इसके अतिरिक्त आप अपने भाई को उपहार स्वरूप देने के लिए श्री-फल, मिठाई और वस्त्र आदि भी रख सकती हैं।
- भाई दूज के दिन प्रातःकाल तेल-उबटन आदि करने के बाद स्नान करें। स्नान से निपटकर स्वच्छ नए कपड़े पहनें।
- घर के पूजास्थल में पंचोपचार की क्रिया द्वारा सभी देवों की पूजा करें। भाई बहन एक दूसरे के मंगल की ईश्वर से प्रार्थना करें।
- भाईदूज का तिलक सामान्यतः मध्याह्न-काल में किया जाता है। इस समय में भाई अपनी बहनों के घर पहुंचे।
- बहनें एक थाली में हल्दी, कुमकुम, अक्षत, दीया आदि रखकर पूजा की थाली तैयार करें।
- इसके बाद बहनें अपने भाई को एक चौकी पर बिठायें। और भाई एक रुमाल से अपने सिर को ढंक लें।
- चौकी पर बैठे भाई को हल्दी, कुमकुम अक्षत से तिलक लगाएं। तिलक लगाने के बाद भाई के हाथ में कलावा बांधें। और अब उनकी आरती उतारें।
- अब बहनें भाई को मिठाई खिलाएं। और भाई बहन के द्वारा बनाए गए पकवान का आनंद लें।
- यदि भाई और बहन एक ही घर में रहते हैं, तो दोनों साथ में मध्याह्न भोजन करें। इसके बाद बहन अपने भाई को तिलक कर सकती हैं।
- अब भाई वस्त्र और अन्य उपहार देकर बहन का आभार व्यक्त करें।
- ऐसी मान्यता है कि जो भाई इस दिन अपनी विवाहित बहनों को वस्त्र-दक्षिणा आदि देते हैं, उन्हें आने वाले वर्ष में सफलता प्राप्त होती है और बहन के आशीर्वाद से उनके धन, यश, आयु, और बल की वृद्धि होती है।
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