Saturday, December 6, 2025
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सहजन का परिचय

सहजन का परिचय

सहजन का परिचय
सहजन का परिचय

 

सहजन (Sahajan) की सब्जी के बारे में तो आप जानते ही होंगे। यह एक मौसमी सब्जी है। आमतौर पर लोग सहजन का प्रयोग केवल उसकी सब्जी  के लिए करते हैं क्योंकि लोगों को यह पता है कि सहजन का सेवन स्वास्थ्य के लिए बेहतर होता है। क्या आपको पता है कि सहजन का इस्तेमाल एक औषधि के रूप में भी किया जाता है? नहीं ना!

 

जी हां, आपने सही पढ़ा है। सहजन का उपयोग एक औषधि के रूप में भी किया जाता है। केवल सहजन के फल की ही नहीं बल्कि सहजन के पत्ते, छाल आदि का इस्तेमाल भी बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता है। सहजन की छाल और पत्तों का लेप जलन कम करने वाला, सूजन नाशक और फोड़ों को नष्ट करने वाला है। सहजन के बीज का तेल दर्दनिवारक और सूजननाशक है।

सहजन क्या है? (What is Drumstick)

सहजन  के लिए यह कहावत मशहूर है ‘‘सहजन अति फूले-फले, तबहुं डारपात की हानि।’’

फली हरे रंग की तथा अंगुली के समान मोटी होती है। जंगली वृक्षों की फलियाँ और लगाए हुए वृक्षों की फलियाँ सब्जी के रूप में प्रयोग की जाती हैं। यह स्वास्थ्यवर्धक आहार भी है और औषधि के रूप में  प्रयोग भी की जाती है।

फूलों के रंग के भेद से शास्त्रकारों ने सहजन के सफेद और लाल दो भेद किए हैं। सफेद जाति कड़ुआ और लाल जाति मीठी होती है। कड़ुआ सहजन हर जगह मिल जाता है लेकिन मीठा सहजन कम ही पाया जाता है। सहजन के छोटे या मध्यम आकार के वृक्ष होते हैं। छाल और तना सुपाच्य होता है। जब वृक्ष फलियों से लद जाते हैं तो डालियां अक्सर टूट जाती हैं।

अनेक भाषाओं में सहजन के नाम (Drumstick Benefits and Uses)

सहजन का लैटिन नाम मोरिङ्गा ओलिफेरा (Moringa oleifera Lam.), Syn-Moringa pterygosperma Gaertn. है और यह Moringaceae (मोरिंगेसी) कुल का है।

सहजन को अन्य नामों से भी जाना जाता है-

Sahijan/Drumstick in –
  • Hindi (drumstick in hindi) – सहजन, सहजन, सहजना, सैजन, मुनगा
  • English – Drum stick tree (ड्रम स्टिक ट्री)
  • इण्डियन हौर्स रेडिश (Indian horse radish), हौर्स रेडिश ट्री (Horse radish tree)
  • Sanskrit – शोभाञ्जन, शिग्रु, तीक्ष्णगन्ध, अक्षीव, मोचक, सौभाञ्जन
  • Oriya – मुनीया (Muniya), सजीना (Sajina)
  • Konkani – मेइसिंग (Maissing), मोरिंग (Moring)
  • Kannada – नुग्गे (Nugge), नुग्गी (Nuggi)
  • Gujarati – सेगते (Segato), सरगवो (Saragavo)
  • Telugu – मुनगा (Munaga)
  • Tamil – मंरुगाई (Murungai), मुंकाई (Murunkai)
  • Bengali – सजिना (Sajina)
  • Nepali – सज्योन (Sajyon)
  • Punjabi – सोंहजना (Sohanjana), सैन्जन (Sanjan)
  • Marathi – शेवगी (Shevgi), शेगटा (Shegata)
  • Malayalam – सहिजनो (Sahijano), सर्हिजणो (Sarhijano)
  • Persian – सर्वकोही (Sarvkohi)
सहजन के फायदे (Drumstick Benefits and Uses in Hindi)

सहजन का परिचय

 

सिर दर्द में सहजन का सेवन फायदेमंद (Use Drumstick for Headache relief )
  • जड़ के रस में बराबर मात्रा में गुड़ मिला लें। सहजन की छानकर 1-1 बूंद नाक में डालने से सिर दर्द (Headache) में लाभ होता है।
  •  पत्तों के रस में काली मिर्च को पीस लें। इसे मस्तक पर लेप करने से मस्तक पीड़ा ठीक होता है।
  • सहजन के पत्तों को पानी के साथ पीस लें। इसका लेप करने से सर्दी की वजह से होने वाला सिर का दर्द ठीक होता है।

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टाइफाइड में सहजन से फायदा (Drumstick is Beneficial in Typhoid)
  •  छाल को सहजन की जल में घिस लें। इसकी एक दो बूंद नाक में डालने से तथा सेवन करने से मस्तिष्क ज्वर यानी दिमागी बुखार या टॉयफाइड में लाभ होता है।
  •  20 ग्राम सहजन की ताजे जडों को 100 मि.ली. पानी में उबालें। इसे छानकर पिलाने से टॉयफॉयड ख़त्म हो जाता है।
आंखों के रोगों  में सहजन का प्रयोग लाभदायक (Drumstick Uses to Cure Eye Disease)
  • कफ के कारण आँख से पानी बहने की समस्या में सहजन के पत्तों को पीसकर टिकिया बनाकर आंखों पर बांधने से लाभ होता है।
  • सहजन के पत्ते के 50 मि.ली. रस में 2 चम्मच शहद मिला लें। इसे आँखों में काजल की तरह लगाने से आंखों के धुंधलेपन जैसी सभी प्रकार के आंखों की बीमारी में लाभ होता है।
  •  पत्तों सहजन  के रस में समान मात्र में मधु मिला ले। इसे 2-2 बूंद आंख में डालने से आँखों का दर्द कम होता है तथा लाभ होता है।
कान से जुड़े रोगों में सहजन का उपयोग फायदेमंद (Drumstick Benefits in Cure Eye Disease)
  • 20 मि.ली. सहजन की जड़ रस में एक चम्मच मधु और 50 मि.ली. तेल को मिला लें। इसे गर्मकर, छानकर, कान में 2-2 बूंद टपकाने से कान का दर्द कम होता है।
  •  गोंद सहजन की तिल के तेल में गर्म कर छान लें। इसे कान में 2-2 बूंद टपकाने से कान दर्द में लाभ होता है।
  •  छाल सहजन की और राई को पीसकर लेप करें। इससे कान की जड़ में सूजन की परेशानी ठीक हो जाती है।

आवाज के बैठने (स्वरभंग) की बीमारी में सहजन से लाभ (Drumstick is Beneficial in Sore Throat Problem)

  •  जड़ सहजन की का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से आवाज के बैठने (स्वरभंग) की परेशानी में लाभ होता है।
दांतों के रोग में सहजन के सेवन से फायदा (Drumstick Benefits in Cure Dental Disease)
  •  गोंद को सहजन की पानी में घोलकर गरारा करने से दांतों की बीमारियां दूर होती हैं।

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सांसों के रोग में सहजन का इस्तेमाल लाभदायक (Benefits of Drumstick in Asthma)
  • सहजन और अदरक के रस को बराबर मात्रा में मिला लें। इसे 10-15 मि.ली. की मात्रा में रोज सुबह और शाम पिलाने से सांसों के रोग में लाभ होता है।
 पेट के रोग में करें सहजन का इस्तेमाल (Drumstick Uses in Abdominal Disease Treatment)
  •  सरसों और अदरक को समान मात्रा में लें सहजन की ताजी जड़। इसे पीसकर 1-1 ग्राम की गोली बना लें। इस 2-2 गोली का सुबह और शाम सेवन करने से जठराग्नि सक्रिय हो जाती है जिससे मन्दाग्नि दूर होती है।
  •  10-20 मि.ली सहजन की. काढ़े में 2 ग्राम सोंठ डालकर सुबह-शाम पिलाने से पाचन शक्ति बढ़ती है।
  • पेट की गैस या पेटदर्द की स्थिति में सहजन की जड़ की 100 ग्राम छाल में 5 ग्राम हींग और 20 ग्राम सोंठ मिला लें। इसे जल के साथ पीसकर 1-1 ग्राम की गोलियां बना लें। इनमें से 1-1 गोली दिन में 2-3 बार खाने से पेट दर्द में लाभ होता है।
  • इसके पत्तों को पानी के साथ पीसकर गुनगुना गरम कर लें। इसे पेट पर लेप करने से भी पेट का दर्द ठीक होता है।
  • फलियों की सब्जी बनाकर खाने से पेट की आंत के कीड़ों का नाश होता है।
  •  50 ग्राम सहजन की जड़ को 200 मि.ली. पानी में मिला लें। इसकी चटनी बनाकर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पिलाने से जलोदर (पेट में पानी भर जाने की समस्या) में लाभ होता है।
  •  जड़ सहजन की और देवदारू की जड़ को बराबर मात्रा में लें। इसे कांजी के साथ पीसकर गुनगुना कर लेप करे। इसे अपच की समस्या ठीक हो जाती है।

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किडनी विकार में सहजन का सेवन लाभदायक (Benefits of Sahajan in Kidney Disorder)
  • सहजन के 5 ग्राम गोंद को रोज 7 दिन तक दही के साथ खाने से पेशाब की समस्या में लाभ होता है।
  • सहजन की जड़ की छाल के 20 मि.ली. काढ़ा को दिन में 3 बार पिलाने से गुर्दे की पथरी (Kidney Stone) चूर-चूर होकर निकल जाती है।
  • इसके प्रयोग से मिरगी में भी लाभ होता है।
शारीरिक कमजोरी दूर कर ताकत पहुंचाता है सहजन (Drumstric Cure Body Weakness and Increase Stamina)

सहजन के 8-10 फूलों को 250 मि.ली. दूध में उबाल लें। इसे सुबह-शाम पीने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है और पौरुष शक्ति (Stamina) में बढ़ोतरी होती है।

सहजन के प्रयोग से गठिया का इलाज (Uses of Sahajan to Cure Arthritis)
  • सहजन की गोंद का लेप करने से गठिया की बीमारी ठीक होती है।
  •  पत्तों को तेल के साथ महीन पीस लें। इसे गुनगुना कर लेप करने से घुटनों की पुराना दर्द ठीक होता है।
  • सहजन की ताजी जड़, सरसों और अदरक को समान मात्रा में लें। इसे पीसकर 1-1 ग्राम की गोली बना लें। इसकी 2-2 गोली सुबह और शाम सेवन करने से भी गठिया में लाभ होता है।
  • इसकी तेल की मालिश करने से जोड़ों के दर्द और गठिया में लाभ होता है।
  • सहजन और वरुण की जड़ की छाल को धान्याम्ल से पीसकर लेप करें। इसेसे वातरक्त से होने वली पीड़ा दूर होती है।
  • इसकी पत्तों को तेल के साथ पीसकर लेप करने से और धूप में बैठने से चोट व मोच की पीड़ा ठीक होती है।

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फाइलेरिया (हाथीपांव) में करें सहजन का इस्तेमाल (Sahajan Benefits in Filariasis)

सहजन की की जड़ को पीसकर गर्म करके लेप करने से फाइलेरिया या हाथीपांव रोग में लाभ होता है।

सहजन के प्रयोग से चर्म रोग का इलाज (Sahajan Uses in Fighting with Skin Disease)

इसकी जड़ की छाल को जल में घिस ले। इससे लेप करने से दाद का नाश होता है।

सहजन की जड़ को कुचल कर सरसों के तेल में पकाकर लगाने से खुजली  में लाभ होता है।

सूजन कम करने के लिए सहजन का प्रयोग लाभदायक (Benefits of Sahajan in Reducing Swelling)

इसकी छाल को जल में घिसकर 10 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इससे सूजन कम होती है। (इसकी छाल को स्वदेशी पेन्सिलीन कहा जाता है।)

फोड़े को ठीक करता है सहजन (Uses of Sahajan to Cure Fester)
  • इसकी जड़ की छाल और वत्सनाभ को पीसकर लेप करने से फोड़े ठीक होते हैं। इससे फोड़ा फट जाता है और पीव बह जाता है।
  • सहजन के पत्तों के रस और सर्जरस को पीसकर पूरे शरीर पर लेप करने से फूंसियां खत्म हो जाती हैं।
  •  पत्ते और तिल को समान मात्रा में मिला लें। इसे पीस लें। इसमें थोड़ा घी मिलाकर लेप करने से घाव जल्दी भर जाता है।

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कुष्ठ रोग के इलाज में सहजन से लाभ (Sahajan Benefits in Treatment of Leprosy)

कुष्ठ रोगी को सहजन  तथा आम की गुठली का तेल लगाने से लाभ होता है।सहजन छाल के पेस्ट को गुनगुना कर लेप करने से ग्रन्थियों को लाभ होता है।

लकवा में सहजन से फायदा (Sahajan Uses in Paralysis)

सहजन के पके रस (5-10 मि.ली.) में मधु मिलाकर सेवन करें। इससे लकवा (Paralysis), मासिक धर्म आदि में लाभ होता है।

कैंसर में सहजन से लाभ (Drumstick is Beneficial in Cancer )

लिवर कैंसर की बीमारी के लिए सहजन की 20 ग्राम छाल का काढ़ा बना लें। इसे आरोग्यवर्धिनी वटी (2 गोली) के साथ दिन में तीन बार सेवन करे। इससे लिवर कैंसर जैसी समस्या में लाभ होता है।

 

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सारिका असाटी

                                                       

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