Saturday, December 6, 2025
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संकष्टी चतुर्थी/Sankashti Chaturthi

संकष्टी चतुर्थी/Sankashti Chaturthi
संकष्टी चतुर्थी/Sankashti Chaturthi

माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी, संकट, संकष्ट या संकटा चौथ कहलाती है। इसे वक्रतुंडी चतुर्थी, माही चौथ, तिल अथवा तिलकूट चतुर्थी व्रत भी कहते हैं। इस दिन गणपति पूजन, तिल दान, तिल के लड्डुओं का भोग, गणेश रुद्राक्ष धारण करना सभी मनोकामनाओं को पूरा करता है।

शास्त्रों में परमात्मा के तीन रूप ब्रह्मा, विष्णु, महेश हैं। ऋषि-महर्षियों द्वारा श्रीगणेश जी को ब्रह्म का स्वरूप बतलाया गया है। जिस प्रकार से एक ही परमात्मा के होते हुए उनके तीन स्वरूप ब्रह्मा, विष्णु, महेश की अपनी-अपनी विशेषताऐं हैं उसी प्रकार से ब्रह्म स्वरूप श्रीगणेश जी की अपनी विशेषता है और यही विशेषताऐं उन्हें जगत में प्रथम पूज्य के रूप में प्रतिष्ठित करती हैं।

गणेश जी की प्रथम पूजा करने के बाद ही अन्य शुभ कार्य अथवा पूजन किया जाता है। मंगलमूर्ति और प्रथम पूज्य भगवान गणेश को संकटहरण भी कहा जाता है।

संकटा चतुर्थी व्रत/Sankata chaturti vrat
मान्यता है कि संकटा चतुर्थी के दिन व्रत रखने और भगवान गणेश की पूजा करने से जहां सभी कष्ट दूर हो जाते हैं वहीं इच्छाओं और कामनाओं की पूर्ति भी होती है। इस दिन तिल दान करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन गणेशजी को तिल के लड्डुओं का भोग लगाया जाता है। शास्त्रों के मुताबिक देवी-देवताओं में सर्वोच्च स्थान रखने वाले विघ्न विनाशक भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने से सुख-समृद्धि में बढ़ोत्तरी होती है।
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संकष्ट चतुर्थी पर धारण करें गणेश रुद्राक्ष/ Wear Ganesh Rudraksh on Sankashta Chaturthi

गणेश रूद्राक्ष का संबंध विघ्न-विनाशक गणपति से है  गणेश रूदाक्ष बुध की कृपा के साथ-साथ अध्ययन के प्रति एकाग्रता में वृद्धि करता है  स्मरण शक्ति बढ़ाता है तथा लेखन की शक्ति में भी वृद्धि करता है। इसके प्रभाव से सामान्य क्षमता वाला विद्यार्थी भी बेहतर परीक्षा परिणाम प्राप्त कर सकता है। पढ़ाई में अच्छे परिणाम के साथ-साथ जीवन के प्रत्येक पहलू में अचूक निपुणता हेतु गणेश रूद्राक्ष धारण किया जाता है। पुत्री के विवाह में आ रही बाधा को दूर करने हेतु भी गणेश रूद्राक्ष सहायक होता है। सन्तान प्राप्ति एवं विलम्ब वाली स्थिति को समाप्त करने के लिए गणेश रूद्राक्ष शिवरात्रि के दिन धारण करना विशेष फलप्रद रहता है। गणेश रुद्राक्ष के पूजन से संतान बाधा, पुत्र-पुत्री के विवाह में आ रही बाधा निश्चित रूप से दूर होती है। गणेश रूदाक्ष धारण करने से पहले उसे गाय के कच्चे दूध तथा गंगाजल से धो लें तथा उसका पूजन करें। इसके पश्चात् गणपति अर्थवशीर्ष का पाठ करें। गणेश रूद्राक्ष को हरे रंग के धागे में धारण करें। संकष्ट चतुर्थी के दिन गणेश रूदाक्ष धारण करना अत्यधिक शुभ फल प्रदान करता है।

संकष्टी चतुर्थी 2025 लिस्ट/Sankashti Chaturthi 2025 list
तिथि  व्रत का नाम
जनवरी 17, 2025, शुक्रवार माघ, कृष्ण चतुर्थी
फरवरी 16, 2025, रविवार फाल्गुन, कृष्ण चतुर्थी
मार्च 17, 2025, सोमवार चैत्र, कृष्ण चतुर्थी
अप्रैल 16, 2025, बुधवार वैशाख, कृष्ण चतुर्थी
मई 16, 2025, शुक्रवार ज्येष्ठ, कृष्ण चतुर्थी
जून 14, 2025, शनिवार आषाढ़, कृष्ण चतुर्थी
जुलाई 14, 2025, सोमवार श्रावण, कृष्ण चतुर्थी
अगस्त 12, 2025, मंगलवार भाद्रपद, कृष्ण चतुर्थी
सितम्बर 10, 2025, बुधवार आश्विन, कृष्ण चतुर्थी
अक्टूबर 10, 2025, शुक्रवार कार्तिक, कृष्ण चतुर्थी
नवम्बर 8, 2025, शनिवार मार्गशीर्ष, कृष्ण चतुर्थी
दिसम्बर 7, 2025, रविवार पौष, कृष्ण चतुर्थी
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व्रत की विधि और पूजन/PROCEDURE AND POOJA TO BE DONE IN THE FAST

संकष्टी चतुर्थी का व्रत सूर्योदय से शुरू होकर चंद्र दर्शन तक रखा जाता है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें। पूजा स्थल को साफ कर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। भगवान को दूर्वा, मोदक, फूल और दीप अर्पित करें। दिनभर व्रत रखें और शाम को चंद्र दर्शन के बाद पूजा सम्पन्न करें। इस दौरान भगवान गणेश के मंत्र और स्तुति का पाठ करें।

संकष्टी चतुर्थी का महत्व/SANKASHTI CHATURTI’S IMPORTANCE

संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश की कृपा पाने के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन की पूजा से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है, और घर में सुख-शांति का वातावरण बनता है। इस व्रत को रखने से न केवल संकटों से मुक्ति मिलती है, बल्कि यह व्यक्ति के जीवन को सुख, शांति और समृद्धि से भर देता है।

 

 

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– सारिका असाटी

 

                                   

 

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