Friday, September 12, 2025
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श्रीगणेश पूजा चीन और जापान में (हिन्दी में)

क्या आप जानते हैं कि जापान और चीन में गणेश जी की अलग तरह से पूजा की जाती है। इनके वहां नाम हैं- कांगिटेन (दोहरा शरीर, dual body), बिनायक, गनाबछी, गनाहट्टी, नंदेई आदि।  गणेश की प्रिय मिठाई मोदक भी वहां काफी प्रचलित है।

चीन और जापान में होती है नर और मादा हाथी रूप में गणेश पूजा

 

भगवान गणेश हिन्दुओं के प्रथमपूज्य आराध्य देव हैं। कोई भी पूजा इनकी प्रथम पूजा के बिना अधूरी है। मान्यता है कि विघ्नहर्ता गणेश सभी बाधाओं को झट से हर लेते हैं। हममें से कम ही लोग जानते होंगे कि जापान और चीन में गणेश जी की अलग तरह से पूजा की जाती है। वहां इनके नाम हिन्दी नाम से काफी मिलते जुलते हैं।

  • इनके वहां नाम हैं- कांगिटेन (दोहरा शरीर, dual body), बिनायक, गनाबछी, गनाहट्टी, नंदेई आदि।
  • गणेश की प्रिय मिठाई मोदक भी वहां काफी प्रचलित है।
  • इसे ब्लिस बम कहा जाता है यानी आनंद का पुलिंदा।
  • कई घरों में इस मिठाई को खुशियों के प्रतीक के तौर पर पूजास्थल पर रखा जाता है।
  • यहां गणेश बाधा टालने और बाधा डालने वाले दोनों के ही देवता माने जाते हैं।
    भारत में हर बाधा को हरने वाले गणेश चीन में थोड़े से अलग हैं।
  • माना जाता है कि अगर गनाबछी नाराज हुए तो हर काम में रुकावट पहुंचाएंगे, लेकिन खुश हुए तो बाधा को तिनके की तरह उड़ा देंगे।
  • इन्हें राक्षसों का देवता और रहस्यमयी देवता भी माना जाता है।
  • इसलिए चीन के किसी भी पूजास्थल में यह खुलेआम नहीं बल्कि छिपाकर रखे जाते हैं।

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चीन में गणेश के दो रूपों की पूजा

  • यहाँ श्रीगणेश के नर और मादा रूपों की पूजा की जाती है।
  • अर्थात केवल एक मूर्ति नहीं बल्कि मादा हाथी और नर हाथी दोनों के प्रतीक की पूजा की जाती है।
  • मादा हाथी के सिर पर मुकुट होता है जबकि नर हाथी काले कपड़े में नजर आता है।
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प्रसिद्ध आख्यान

 

  • जापान और चीन में एक कहानी प्रसिद्ध है।
  • मराकेरा नाम के राज्य का एक राजा था कांगिटेन।
  • वह सुअर का मांस और मूली खाता था, लेकिन जब यह दोनों कम होने लगे तो कंगिटेन शवों को खाने लगा।
  • यह भी घटने लगे तो फिर जिंदा लोगों को उसने अपना आहार बनाया।
  • फिर क्या था, लोगों में उसका आतंक छा गया। राज्य में महामारी आ गई।
  • यह सब उस राजा की वजह से था, तो लोगों ने भगवान से प्रार्थना की।
  • तब एकादसमुख यानी 11 सिर वाले एक देवता ने मादा हाथी का अवतार लिया और चीन के गणेश अवतार कंगिटेन का आह्वान किया।
  • दोनों के मिलन के बाद कांगिटेन ने अपना स्वभाव बदला।
  • राक्षसों के देवता कांगिटेन अब बाधाओं को हरने भी लगे।
  • इसीलिए चीन और जापान में उन्हें अच्छाई और बुराई दोनों का देवता कहा जाता है।

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प्रसाद में मोदक और मूली

  • चीन और जापान में भी गणेश के अवतार को शाकाहारी प्रसाद ही ऑफर किया जाता है, विशेषकर मूली और मोदक।
  • यहाँ मोदक को ब्लिस बन भी कहते हैं।
  • मूली का आकार गणेश के आकार और प्रतीक के रूप में भी यहां पूजनीय है।
  • इन दोनों का ही भोग गणेश के जापानी और चाइनीज अवतार को लगाया जाता है।
  • भारत से चीन कैसे पहुंचे गणेश
    माना जाता धर्म प्रचार के लिए पूरी दुनिया में भ्रमण करने वाले बौद्ध समुदाय के लोग इन्हें भारत से चीन लेकर आए।
  • चीन में गणेश की मूर्ति 531 ई.पू मिलती हैं जबकि जापान में 806 ई.पू. मिलती हैं।

यह लेख मान्यताओं और सामान्य जानकारी पर आधारित है। assanhain इसकी तथ्यात्मक पुष्टि नहीं करता है।

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