Friday, September 12, 2025
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श्रीकृष्ण जन्म और रहस्य/birth and mystery of Shree Krishna

श्रीकृष्ण जन्म और रहस्य/birth and mystery of shri krishna
श्रीकृष्ण जन्म और रहस्य/birth and mystery of shri krishna

कृष्ण जी ने राक्षसों का संहार किया और लोगों की रक्षा की। उस समय कहर ढाने वाले राजा कंस जो कि वास्तव में कृष्ण जी के मामा थे, का संहार भी स्वयं श्री कृष्ण जी ने किया था। कृष्ण जी का नाम एक अन्य महत्वपूर्ण घटना के साथ आता है जो है महाभारत का युद्ध। यह युद्ध कौरवों और पांडवों के बीच हुआ था।

श्री कृष्ण जी ने युद्ब को रोकने का यथासम्भव प्रयत्न किया था लेकिन युद्ध नहीं टला और महाभारत के युद्ध के रूप में होकर रहा जिसमे पांडव विजयी हुए। युद्ध आरम्भ होने के पूर्व अर्जुन के सारथी बने कृष्ण ने जब अर्जुन का हृदय व मन अपने प्रियजनों के संहार की कल्पना से विचलित होते देखा तब गीता ज्ञान सुनाया, किन्तु वास्तव में कृष्ण ने गीता का ज्ञान नहीं दिया बल्कि ब्रह्म यानी ज्योतिनिरंजन ने उनके शरीर मे प्रविष्ट होकर दिया। इसे हम प्रमाण सहित जानेंगे।

श्री कृष्ण का जन्म किस समय हुआ था?/When was Shri Krishna born?

श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास में, कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को, रोहिणी नक्षत्र के दिन, रात्रि के 12 बजे हुआ था जिसके उपलक्ष्य में भारत में कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है।

श्री कृष्ण का जन्म कब हुआ?/When was Shri Krishna born?

कृष्ण जी का जन्म द्वापर युग में, मथुरा के कारागार में हुआ था। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म 3112 ईसा पूर्व के आसपास आधी रात को हुआ था। उस रात चंद्रमा का आठवां चरण था, जिसे अष्टमी तिथि के रूप में जाना जाता है। जन्माष्टमी का आयोजन इस दिन भगवान कृष्ण के जन्म के जश्न के रूप में भाद्रपद (अगस्त-सितंबर) महीने के अंधेरे पखवाड़े की अष्टमी के दिन किया जाता है।

क्या श्री कृष्ण का जन्म आधी रात को हुआ था?/Was Shri Krishna born at midnight?

पौराणिक कथाओं के अनुसार कृष्ण जी का जन्म अर्धरात्रि के समय हुआ था। जिसका कारण बताया जाता है कि उनके पूर्वज चंद्र वंशज थे चूंकि चंद्रमा रात्रि में दिखाई देता है, इसलिए उनकी उपस्थिति में कृष्ण जी ने रात्रि में जन्म लिया।

श्री कृष्ण का जन्म और मृत्यु कब हुई थी?/When was Shri Krishna born and died?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म 3112 ईसा पूर्व में हुआ था। कृष्ण जी का जन्म द्वापर युग में भादो मास के कृष्ण पक्ष के अष्टमी को मथुरा के कारागार में हुआ था। उनका बचपन गोकुल, वृंदावन, नंदगांव, बरसाना और द्वारिका आदि जगहों पर बीता था। महाभारत युद्ध के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने 36 वर्षों तक द्वारिका पर राज किया। इसके बाद उन्होंने 2987 ईसा पूर्व 125 वर्ष की आयु में अपनी देह त्याग दी। महाभारत के युद्ध उपरांत दुर्वासा ऋषि के श्राप की वजह से उनकी मृत्यु हुई थी। उनकी मृत्यु बालिया नाम के भील शिकारी के तीर लगने से हुई। सुग्रीव के भाई “बाली” वाली आत्मा जिसे त्रेता युग में श्री राम ने धोखे से मारा था, उनसे मरकर द्वापर में उन्हीं के अवतार श्री कृष्ण को बदला चुकाना पड़ा। इससे यह भी सिद्ध होता है कि श्री कृष्ण जी को भी अपने कर्म भोगने पड़े।

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कृष्णष्टमी क्यों मनाई जाती है?/Why is Krishnashtami celebrated?

भारत में कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार बहुत ही धूमधाम और श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार, देवकी नामक बहन ने अपने अत्याचारकर्ता भाई कंस के त्याग कर भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अपने आठवें पुत्र के रूप में श्रीकृष्ण को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने पृथ्वी को कंस के अत्याचार और आतंक से मुक्ति प्राप्त कराने के लिए इस अवतार को धारण किया था। इस कथा के आधार पर हर साल भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2 दिन क्यों मनाई जाती है?/Why is Shri Krishna Janmashtami celebrated for 2 days?

वैष्णव सम्प्रदाय और स्मार्त सम्प्रदाय विशेष रूप से दो सम्प्रदाय हैं। जन्माष्टमी मूल रूप से इन दोनों संप्रदायों के अनुसार लगातार दो दिनों में आती है। जब जन्माष्टमी तिथि सामान्य होती है, तो वैष्णव संप्रदाय और स्मार्त संप्रदाय दोनों एक समान तिथि का पालन करते हैं और एक ही दिन मनाते हैं। लेकिन अगर तारीखें अलग हैं तो स्मार्त संप्रदाय पहली तारीख को मनाता है और वैष्णव संप्रदाय बाद की तारीख को मनाता है। वैष्णव संस्कृति अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के लिए प्रतिबद्ध है और वे उसी के अनुसार त्योहार मनाते हैं। वैष्णव अनुयायियों के अनुसार, कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार हिंदू कैलेंडर की नवमी और अष्टमी तिथि को आता है। जबकि स्मार्त संस्कृति सप्तमी तिथि को पसंद करती है।

जन्माष्टमी के पीछे क्या कहानी है/What is the story behind Janmashtami

पौराणिक कथाओं के अनुसार कृष्ण जी का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था। देवता होने के कारण उनमें प्रबल शक्ति थी। राक्षस कंस को यह आकाशवाणी के माध्यम से ज्ञात हो चुका था कि देवकी की आठवीं संतान उसकी मृत्यु का कारण बनेगी। इस कारण कंस ने अनेक नवजात बच्चों की हत्या कराई।

किन्तु जिसका विनाश निश्चित है, उसे नहीं रोका जा सकता। भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी को श्रीकृष्ण का जन्म मध्य रात्रि को हुआ और उसी रात उनके पिता वासुदेव ने उन्हें यशोदा के पास पहुंचाया। श्रीकृष्ण का लालन पालन माता यशोदा ने किया जबकि उनकी जन्मदात्री देवकी थीं। भक्तों की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने कृष्ण का अवतार लिया। जगत की रीत है जब कोई ऐतिहासिक कार्य होता है तो वे प्रतिवर्ष उसे महोत्सव रूप में मनाने लगते हैं।

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कृष्ण जन्माष्टमी का नैतिक उद्देश्य क्या है?/What is the moral objective of Krishna Janmashtami?

कृष्ण जन्माष्टमी के विभिन्न नैतिक उद्देश्य है जिसमें से मुख्य है – बुरे विचारों का त्याग, धार्मिक सिद्धांतों का पालन तथा निस्वार्थ कर्म करना। जब जब धरती पर पाप और अधर्म हद से ज्यादा बढ़ जाता है, भगवान धरती पर अवतार लेते हैं। भगवान विष्णु किसी न किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए धरती पर अवतरित होते है। श्रीकृष्ण जी विष्णु जी के एक अवतार हैं।

 भगवान कृष्ण की भक्ति कितनी सफल?/How successful is the devotion to Lord Krishna?

कृष्ण जी जो कि त्रिदेवों में से एक विष्णु जी के अवतार हैं, इनकी भक्ति करने से न तो पाप कटेंगे और न ही मुक्ति हो सकती है। स्वयं कृष्ण जी भी अपने कर्मो का फल भोगने के लिए बाध्य हैं।  सुग्रीव के भाई बाली को पेड़ की ओट से मारा था।

द्वापरयुग में वही बाली वाली आत्मा ने शिकारी रूप में कृष्ण जी को विकाल ब्रह्म वास्तव में ब्रह्मा, विष्णु, महेश के पिता व माता प्रकृति यानी आदिशक्ति का पति है जो वास्तव में किसी के सामने नहीं आता और निराकार प्रभु के रूप में माना जाता है। उसने अपनी योगमाया से स्वयं को छुपाया हुआ है।

इसलिए उसने अध्याय 11 के श्लोक 47 में कहा कि अर्जुन के अतिरिक्त किसी ने यह रूप पहले कभी नहीं देखा है। अन्य प्रमाण है कि कृष्ण जी विष्णु अवतार थे जिनकी केवल चार भुजाएं हैं फिर उस विराट रूप की हजार भुजाएं कैसे? विष्णु, ब्रह्मा और शिव की मात्र चार भुजाएं हैं, इनकी माता यानी आदिशक्ति की आठ भुजाएं हैं जिसके कारण इन्हें अष्टांगी भी कहा जाता है और दुर्गा के पति क्षर पुरुष, ज्योतिनिरंजन या काल ब्रह्म की हजार भुजाएं हैं, जो अव्यक्त रूप में रहता है।षाक्त तीर मारा।

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– सारिका असाटी

 

 

 

 

 

 

 

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