Saturday, September 13, 2025
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श्राद्ध 2024/ SHRADH 2024

श्राद्ध 2024/ SHRADH 2024
श्राद्ध 2024/ SHRADH 2024

श्राद्ध, या पितृ पक्ष, सोलह दिनों की अवधि में मनाया जाता है जब पिंड दान जैसे शुभ अनुष्ठान किए जाते हैं

श्राद्ध क्या है? / WHAT IS SHRADH?

हिंदू चंद्र कैलेंडर में, श्राद्ध, जिसे पितृ पक्ष के रूप में भी जाना जाता है, 15 दिनों का समय होता है जब भक्त अपने मृत पूर्वजों का सम्मान करते हैं।

यह समय आमतौर पर भाद्रपद के चंद्र महीने में आता है।

यह पूर्णिमा के दिन शुरू होता है और अमावस्या के दिन समाप्त होता है।

हिंदू परंपरा में श्राद्ध एक महत्वपूर्ण समय होता है।

ऐसा माना जाता है कि इस समय हमारे पूर्वजों की आत्माएं अपने वंशजों से तर्पण प्राप्त करने के लिए धरती पर आती हैं।

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श्राद्ध: अनुष्ठान और महत्व/ SHRADH: RITUAL AND IMPORTANCE

श्राद्ध पर पूर्वजों को तर्पण दिया जाता है और कुछ शुभ समय जैसे रोहिणा मुहूर्त और कुटुप के दौरान अनुष्ठान किए जाते हैं।

तर्पण अनुष्ठान, जिसमें पूर्वजों को पानी देना शामिल है, श्राद्ध के समापन का प्रतीक है।

ऐसा माना जाता है कि इन परंपराओं का पालन करने से मृत आत्माओं को शांति मिलती है और वे निश्चित रूप से स्वर्ग में चले जाते हैं।

 

श्राद्ध 2024/ SHRADH 2024

पितृपक्ष की भ्रांतियों / MISCONCEPTIONS ABOUT PITRAPAKSH

 भ्रान्ति- पितृ पक्ष में पूजा पाठ घर में दीपक धूप आदि नहीं करना चाहिए।

उत्तर- आप अपने दैनिक जीवनचर्या में जो भी जप पाठ संध्या,ठाकुर जीलड्डू गोपाल जी/शिवलिंग आदि की सेवा उपासना भोग आरती, सायं कालीन धूप दीपक करते हैं वे सभी नित्य की ही भांति करते रहेंगे। अपितु प्रातः की पूजा पाठ जप उपासना आदि के बाद किए गए पिंडदान तर्पण आदि से पितृ गण को विशेष तृप्ति शांति प्राप्त होती है।

भ्रान्ति- जिनके घर विवाह आदि हुआ है वे तर्पण आदि नहीं करेंगे।

उत्तर- तर्पण तो वैसे भी बारहों मास किए जाने वाले संध्या उपासना पूजा पाठ का हिस्सा है।

अतः ऐसे घरों में तर्पण जरूरतमंदों सुपात्रों को किए जाने वाले दान उपदान आदि होने चाहिए। बस पिंडदान (पार्वण श्राद्ध/सामवत्सरिक श्राद्ध) एवं क्षौर कर्म (मुंडन) नहीं होगा।

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भ्रान्ति-पितृ पक्ष में खान पान से संबंधित कोई निषेध नहीं हैं।

उत्तर- जिस प्रकार श्रावण में श्री नारायण की पूजा उपासना पूरे महीने शुद्ध सात्विक रहते हुए। नवरात्रि में मां जगदंबा की विशेष सेवा अर्चना व्रत उपासना करते हैं।

वैसे ही पितृपक्ष में पूरे 16 दिन मसूर की दाल कुल्थी, लहसुन, प्याज मांस मदिरा गुटका तंबाकू अथवा किसी भी मादक द्रव्य का त्याग करें।

शुद्ध सात्विक आहार, ब्रह्मचर्य आदि संयम का पालन करते हुए पितृ रूप श्री नारायण की सेवा करते हुए स्वयं के कल्याण व पूर्वजों के सद्गति की प्रार्थना करनी चाहिए।

इसके अतिरिक्त पितृ पक्ष में किसी नए कार्य का आरंभ अथवा नई खरीददारी आदि नहीं करना चाहिए।

पितृ पक्ष में न करें ये काम/ DO NOT DO THESE THINGS DURING PITRAPAKSHA

  • मान्यता है कि पितृ पक्ष में किए गए तर्पण और श्राद्ध से पितरों को मुक्ति मिलती है इसलिए पितृ पक्ष में तर्पण और श्राद्ध का कार्य विधि पूर्वक और श्रध्दा के साथ करना चाहिए।
  • अगर आपको अपने पूर्वज की मृत्यु की तिथि याद नहीं है तो भी पितृ पक्ष के आखिरी दिन तर्पण कर सकते हैं और ब्राह्मणों को भोजन करा सकते हैं।
  • पितृ पक्ष के समय अपने द्वार पर किसी का भी अनादर नहीं करना चाहिए।
  • ऐसा माना जाता है कि हमारे पूर्वज किसी भी रूप में हमारे द्वार पर खड़े हो सकते हैं।
  • पितृ पक्ष के समय कोई भी नया सामान नहीं खरीदना चाहिए।
  • ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष का समय अपने पूर्वजों को याद करने का और उनके प्रति शोक दिखाने का होता है।
  • पितृ पक्ष में तर्पण करने वाले आदमी को अपने दाढ़ी और बाल नहीं बनवाने चाहिए. ऐसा करने पर पूर्वज नाराज हो सकते हैं।
  • ऐसा भी माना जाता है कि पितरों को लोहे के पात्र में जल नहीं देना चाहिए ऐसा करने से पितर नाराज हो जाते हैं।
  • इसलिए उन्हें पीतल, फूल या तांबे के बर्तनों में जल दिया जाता है।
  • ऐसी भी मान्यता है कि जो लोग अपने पितरों को जल देते हैं उन्हें इन दिनों किसी दूसरे के घर भोजन नहीं करना चाहिए।
  • दूसरे के घर भोजन करने से भी पितर नाराज हो सकते हैं।
  • पितृ पक्ष के दौरान मांस और मदिरा का भी सेवन नहीं करना चाहिए।

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श्राद्ध के नियम / Shradh Rituals

  • धार्मिक मान्यता के अनुसार पिता के लिए अष्टमी तो माता के लिये नवमी की तिथि श्राद्ध करने के लिये उपयुक्त मानी जाती है।
  • श्राद्ध में ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिए। शास्त्रों में इसका महत्व बताया गया है।
  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितर लोक दक्षिण दिशा में होता है।
  • इस वजह से पूरा श्राद्ध कर्म करते समय आपका मुख दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए।
  • पितर की तिथि के दिन सुबह या शाम में श्राद्ध न करें, यह शास्त्रों में वर्जित है. श्राद्ध कर्म हमेशा दोपहर में करना चाहिए।
  • पितरों को तर्पण करने के समय जल में काले तिल को जरूर मिला लें।
  • श्राद्ध कर्म के पूर्व स्नान आदि से निवृत्त होकर व्यक्ति को सफेद वस्त्र धारण करना चाहिए।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें, मांस-मदिरा का सेवन न करें। मन को शांत रखें।
  • पितृ पक्ष में चना, मसूर, बैंगन, हींग, शलजम, मांस, लहसुन, प्‍याज और काला नमक भी नहीं खाया जाता है।
  • पितरों को जो भी भोजन दें, उसके लिए केले के पत्ते या मिट्टी के बर्तन का इस्तेमाल करें।
  • जिन पितरों के मरने की तिथि याद न हो या पता न हो तो अमावस्‍या के दिन श्राद्ध करना चाहिए।
  • अगर किसी सुहागिन महिला की मृत्‍यु हुई हो तो उसका श्राद्ध नवमी को करना चाहिए।
  • पितृ पक्ष के दौरान कई लोग नए वस्‍त्र, नया भवन, गहने या अन्‍य कीमती सामान नहीं खरीदते हैं।

 

यह लेख एक सामान्य जानकारी पर आधारित है लेख पसंद आए तो इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।अपने विचार और सुझाव कमेंटबॉक्स में जरूर लिखें।

 

सारिका असाटी

 

 

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