लोहे की कमी से होता है एनीमिया
शरीर के लिए जरूरी है लोहा। इसकी मात्रा कम होने से रक्त कोशिकाएं पीली और कमजोर हो जाती हैं। इसे एनीमिया या रक्ताल्पता की स्थिति कहते हैं। एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में तीन से पांच ग्राम तक लोहा पाया जाता है।
- शरीर के लिए लौह तत्व जरूरी होता है।
- `लोहा’ नाम लेते ही एक ठोस धातु का चित्र उभरता है।
- इस लोह धातु का श्वास-प्रश्वास प्रक्रिया से संबंध असंभव लगता है, परन्तु यही सत्य है।
- हमारा रक्त छोटी-छोटी रक्त कोशिकाओं से बना है।
लाल रक्त कोशिकाएँ
- रक्त की पिन की नोक जितनी बड़ी बूंद में साधारणतः 50,00,000 लाल रक्त कोशिकाएं समाई होती हैं।
- चार माह उपरान्त रक्त कोशिकाएं स्वतः नष्ट होती हैं और नयी कोशिकाएं बनती हैं।
- यह कार्य इसी प्रकार चलता रहता है और हमें पता भी नहीं होता।
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शरीर में लौह तत्व
- शरीर के लिए आवश्यक तत्वों प्रोटीन, वसा, कार्बोज, विटामिन, खनिज लवण, जल आदि में लोहे का प्रमुख स्थान है।
- एक स्वस्थ वयस्क व्यक्ति के शरीर में तीन से पांच गरम तक लोहा पाया जाता है।
- यह लोहा हीमोग्लोबिन, अस्थिमज्जा, यकृत, गुर्दो, प्लीहा, मांसपेशियों के मायोग्लोबिन में व्याप्त होता है।
- रक्त के तरल भाग और कोशिकाओं के एन्जाइम में यह लोहा व्यापक तौर पर फैला रहता है।
- लाल रक्त कणों के हीमोग्लोबिन में उपस्थित लोहा मांसपेशियों की गति के लिए ऑक्सीजन संग्रहित करता है।
- कोशिका के एन्जाइमों में पाया जाने वाला लोहा अन्य पोषक तत्वों कार्बोज, प्रोटीन और वसा के उपापचय में सहायता देता है।
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एनीमिया
- शरीर में लोहे की कमी का सीधा संबंध रक्त की कमी से है।
- रक्त कोशिकाएं लोहे की कमी के कारण पीली और कमजोर हो जाती हैं।
- इसे एनीमिया या रक्ताल्पता की स्थिति कहते हैं।
- ऐसी कोशिकाएं शारीरिक क्रियाओं के फलस्वरूप उपजी कार्बन डाईआक्साइड को फेफड़ों तक पहुंचाकर शुद्ध आक्सीजन में नहीं बदल पाती।
- परिणामतः आक्सीजन की मात्रा घट जाने से शरीर की प्रक्रियाएं मन्द पड़ जाती हैं और कार्य क्षमता क्षीण हो जाती है।
लौह तत्व की कमी के लक्षण
- इसके लक्षण हैं जल्दी थक जाना, शिथिलता, थोड़े कार्य के बाद दम फूलना, लगातार थकान, चक्कर आना आदि।
- इनके अलावा धुंधला दिखाई देना, सिरदर्द, नींद न आना, दिल धड़कना भी इसके लक्षण हैं। भूख न लगना, खट्टी डकार के साथ अपच, पेट में गड़बड़ी आदि लौह तत्व की कमी के कारण हो सकते हैं।
- नाखूनों पर भी इसका प्रभाव दिखाई देता है। नाखून टूटने लगते हैं, लंबाई में गढ्ढे पड़ जाते हैं।
- उनका आकार चम्मच-सा हो जाता है।
क्यों होती है लोहे की कमी
- शरीर में लोहे की कमी प्रायः पर्याप्त आहार न लिए जाने से होती है।
- बच्चों तथा किशोरों में शरीर वृद्धि के समय उचित आहार न पाने की स्थिति में उत्पन्न होती है।
- मासिक धर्म के समय अधिक खून बहने से स्त्रियों में रक्त की कमी हो जाती है। दुर्घटना अथवा टी.बी., हड्डी का टयूमर जैसी असाध्य बीमारियों के कारण भी रक्त की कमी हो जाती है।
- हुकवर्म आदि परोजीवी कीटाणु भी रक्ताल्पता की स्थिति ला सकते हैं।
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रक्ताल्पता से बचना जरूरी
शरीर की श्वास-प्रश्वास प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए आवश्यक है कि रक्ताल्पता से बचा जाए।
कैसे बचें रक्ताल्पता से
- ऐसा करने के लिए आहार की दैनिक आदतों में थोड़ा परिवर्तन करना होगा।
- जिन परिवारों में खाना लोहे के बर्तनों में पकाया जाता है, उनमें लोहे की कमी होने की संभावना कम हो जाती है।
- चोकर सहित मोटे आटे की रोटी अधिक पोषक होती है।
- खाद्य-पदार्थों को पकाने अथवा खाने से पूर्व बहुत अधिक पानी से धोना, उनमें लोहे की मात्रा को कम करता है।
- तीन-चार महीने के बच्चे को दूध के अतिरिक्त फल और थोड़ा अनाज भी किसी रूप में खिलाना शुरू कर देना चाहिए।
- सोयाबीन, चना, मूंग जैसी साबुत दालों को अंकुरित करके खाने से लोहा बड़ी मात्रा में प्राप्त होता है।
- फलियां, गहरी हरी सब्जियां, बाजरा, साबुत अनाज जैसी वस्तुएं सस्ती भी होती हैं और लोहे के भंडार भी।
- इनके अतिरिक्त सूखे मेवों से भी लोहा प्राप्त होता है।
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जरूर लें डॉक्टर की सलाह
रक्त की कमी के लक्षण शरीर में उपस्थित होते ही डॉक्टर की सलाह ली जानी चाहिए। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली स्त्रियों की एक बड़ी संख्या रक्ताल्पता का शिकार होती है।
शरीर में लोहे का महत्व
- रक्त के माध्यम से हमारे शरीर की प्रत्येक कोशिका सांस लेती है।
- जीवन से जुड़ी सांसों और श्वासों से जुड़ी रक्तकोशिकाओं के स्वास्थ्य के लिए हमें लोहे का महत्त्व स्वीकार करना ही चाहिए।