
देशभर में शरद पूर्णिमा का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह दिन धन की देवी मां लक्ष्मी को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर मां लक्ष्मी की भक्ति भाव से पूजा की जा रही है। साथ ही संध्याकाल में चंद्र देव की उपासना की जाएगी। शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है।
धार्मिक मत है कि शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक के सुख और सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है। साथ ही आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। साधक श्रद्धा भाव से शरद पूर्णिमा के दिन स्नान-ध्यान कर देवी मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। इसके बाद आर्थिक स्थिति के अनुसार अन्न और धन का दान करते हैं।
शरद पूर्णिमा का महत्व/Significance of Sharad Purnima
सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा का खास महत्व है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि शरद पूर्णिमा के दिन देवी मां लक्ष्मी का अवतरण हुआ था। इसके साथ ही भगवान श्रीकृष्ण ने शरद पूर्णिमा की रात में रासलीला की थी। शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। ऐसा भी कहा जाता है कि देवी मां लक्ष्मी शरद पूर्णिमा की रात पृथ्वी लोक पर भ्रमण के लिए आती हैं। अतः शरद पूर्णिमा पर भक्ति भाव से मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
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क्यों रखी जाती है खीर?/Why is the pudding kept?
धन की देवी मां लक्ष्मी को चावल की खीर बेहद प्रिय है। इसके लिए पूजा के समय देवी मां लक्ष्मी को भोग में खीर चढ़ाया जाता है। वहीं, चंद्रमा का सफेद रंग से गहरा संबंध है। देवी मां लक्ष्मी को भी सफेद रंग प्रिय है। इसके लिए ज्योतिष सफेद रंग की चीजों का दान करने की सलाह देते हैं।
शरद पूर्णिमा की रात देवी मां लक्ष्मी पृथ्वी लोक पर भ्रमण करती हैं। इस दौरान मां व्यक्ति विशेष के कर्मों का अवलोकन करती हैं। कहते हैं कि सतकर्मों में लीन व्यक्ति पर देवी मां लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसती हैं। वहीं, चांद की रोशनी में खीर रखने से खीर अमृत तुल्य हो जाता है। इसे अगले दिन पूजा के समय भगवान विष्णु को अर्पित किया जाता है। इसके बाद सपरिवार खीर को प्रसाद रूप में ग्रहण किया जाता है।
कहते हैं कि शरद पूर्णिमा की रात चांद की रोशनी में खीर रखने और अगले दिन पूजा के बाद प्रसाद रूप में ग्रहण करने से व्यक्ति पर देवी मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है। वहीं, मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है। घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
शरद पूर्णिमा का व्रत कैसे रखें (Sharad Purnima Vrat Vidhi)
सूर्योदय से पहले किसी पवित्र नदी में स्नान करें या घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें और व्रत का संकल्प लें। सुबह और शाम में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि विधान पूजा करें। व्रत कथा सुनें और आरती करें। पूरे दिन व्रत रहें। इस व्रत में फलाहार का सेवन कर सकते हैं। रात में चांद की पूजा करें और अर्घ्य अर्पित करें। फिर चांद की रोशनी के नीचे रात भर के लिए खीर रखकर छोड़ दें और सुबह के समय इस खीर को ग्रहण कर अपना व्रत खोलें।
शरद पूर्णिमा पूजा विधि (Sharad Purnima Puja Vidhi)
- शरद पूर्णिमा के दिनमाता लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है।
- इस दिनमाता लक्ष्मी की पूजा से पूर्व उनकी तस्वीर या मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराया जाता है उसके बाद लाल कपड़े पर उनकी मूर्ति को स्थापित किया जाता है।
- इसके बाद धूप, दीप जलाकरविधि विधान माता की पूजा की जाती है और उन्हें फूल अर्पित किए जाते हैं।
- इस दिनमाता लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान विष्णु की पूजा भी जरूर करनी चाहिए।
- भगवान को भोग लगाएं और आरती करें।
- यदि आपने इस दिन रखा है तोचंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही उपवास खोलना चाहिये।
- इस दिनपवित्र नदियों में स्नान करना भी शुभ माना जाता है।
- रात में चांद की रोशनी के नीचे खीर जरूर रखें।
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खीर रखने की परंपरा/The tradition of keeping kheer
- शरद पूर्णिमा की रात को खीर बनाकर चांद की रोशनी में रखना सदियों से चली आ रही परंपरा है। मान्यता है कि दूध से बनी कोई भी खाने की चीज चंद्रमा की रोशनी में रखने पर अमृत बन जाती है। इस दिन खीर बनाने का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि मां लक्ष्मी को खीर अत्यंत प्रिय मानी जाती है। इसे भोग के रूप में चढ़ाने से घर में सुख-समृद्धि और धन की वृद्धि होती है।
- इस दिन की पूजा केवल पारंपरिक रस्म नहीं है। ये दिन मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और जीवन में संतुलन लाने का प्रतीक भी माना जाता है। चंद्रमा की पूर्ण रोशनी में खीर रखने, दान करने और लक्ष्मी पूजन करने से न केवल आर्थिक बल्कि मानसिक समृद्धि भी प्राप्त होती है।
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