Monday, October 6, 2025
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शक्ति साधना पर्व दशहरा/Dussehra is the festival of Shakti Sadhana

शक्ति साधना पर्व दशहरा/Dussehra is the festival of Shakti Sadhana
शक्ति साधना पर्व दशहरा/Dussehra is the festival of Shakti Sadhana

दशहरा का त्योहार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन मनाया जाता है। असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाने वाले इस त्योहार के दिन सिर्फ रावण दहन ही नहीं किया जाता है। इस दिन से जुड़ी और भी कई परंपराएं हैं, जिसके लिए दशहरा का दिन जाना जाता है। इसमें शस्त्र या आयुध पूजा, अपराजिता पूजा शामिल हैं। आइए जानें इस दिन से जुड़ी इन परंपराओं के बारे में। इस बार 02 अक्टूबर 2025 को दशहरा का पर्व मनाया जाएगा।

दशहरा की तारीख और समय

हिंदू पंचांग के अनुसार, यह पर्व आश्विन महीने की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इसे साल के बड़े और प्रमुख त्योहारों में गिना जाता है। इस साल दशहरा 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस साल दशमी तिथि 1 अक्टूबर 2025 रात 07:01 बजे से शुरू होगी और 2 अक्टूबर 2025 रात 07:10 बजे तक रहेगी।

हिंदू धर्म में दशहरे के त्योहार का बहुत ही विशेष महत्व है। ये पर्व हर साल आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन मनाया जाता है। ये पर्व बुराई के ऊपर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। दशहरा का त्योहार को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है। दशहरे के दिन रावण दहन किया जाता है। इसी दिन भगवान राम ने रावण का वध करके लंका पर विजय प्राप्त किया था। इस त्योहार को पूरे देश में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

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दशहरा क्यों मनाया जाता है

दशहरा के दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था। जब भगवान राम 14 वर्षों का वनवास काट रह थे। उस दौरान माता सीता का हरण रावण ने कर लिया था। उसके बाद राम और लक्ष्मण जी ने मिलकर माता सीता की तलाश करना शुरू कर दिया था। सीता माता की तलाश करते समय उनकी मुलाकात हनुमान जी से हुई। हनुमान जी ने माता सीता का पता लगाया। उसके बाद राम और रावण के बीच भंयकर युद्ध हुआ। राम जी ने रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए नौ दिनों तक देवी की उपासना की और 10 वें दिन रावण से युद्ध करके उसका वध किया। उसके बाद से ही हर साल नवरात्रि के दशवें दिन दशहरा का पर्व मनाया जानें लगा। रावण का वध कर पृथ्वी को रावण के अत्याचारों से मुक्ति मिली। इस पर्व को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है।

शक्ति साधना पर्व दशहरा/Dussehra is the festival of Shakti Sadhana

दशहरा का महत्व

दशहरा का पर्व बुराई के ऊपर अच्छाई के जीत के रूप में मनाया जाता है। इस दिन रावण दहन किया जाता है। ये पर्व पूरे देश में बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। ये पर्व महिषासुर पर विजय प्राप्ति के रूप में भी मनाया जाता है। दशहरा के दिन अस्त्र और शस्त्र की भी पूजा की जाती है। इस दिन रावण दहन की लकड़ी घर में लाना शुभ माना जाता है। इस दिन राम जी की पूजा की जाती है। इस दिन शमी पेड़ की पूजा का भी विशेष महत्व है।

दशहरे के दिन की जाती हैं ये परंपराएं

शमी पूजा : दशहरे पर शमी के पेड़ की पूजा की जाती है और उसके पत्ते बांटे जाते हैं। रावण दहन के बाद एक दूसरे को शमी के पत्ते बांटने की प्रथा कहीं-कहीं देखने को मिलती है। माना जाता है कि प्रभु श्री राम ने रावण से युद्ध लड़ने से पहले शमी के वृक्ष की पूजा की थी। उन्होंने युद्ध में विजयी होने के बाद अयोध्यावासियों को सोना दान किया था। इसी के प्रतीक स्वरूप परंपरा शमी के पत्ते बांटे जाते हैं।

अपराजिता देवी की पूजा

अपराजिता पूजा को विजया दशमी का बहुत अहम हिस्सा माना जाता है। यह देवी अपराजिता देवी दुर्गा का ही स्वरूप हैं। इसी दिन असुर महिषासुर का वध करके माता कात्यायनी विजयी हुई थीं। नवमी के साथ दशमी तिथि मिलने पर कल्याण और विजय के लिए अपराजिता देवी की पूजा की जाती है। दशमी को उत्तर-पूर्व दिशा में दोपहर में इनकी पूजा की जाती है।

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दशहरा पर शस्त्र पूजा

शस्त्र पूजा विजय मुहूर्त में करते हैं। विजया दशमी के शुभ अवसर पर शक्ति रूपा दुर्गा, काली की आराधना के साथ-साथ शस्त्र पूजा की परंपरा है।

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– सारिका असाटी

 

 

 

 

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