Saturday, December 6, 2025
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विलुप्त होता थार रेगिस्तान

विलुप्त होता थार रेगिस्तान
विलुप्त होता थार रेगिस्तान

हालिया अध्ययन के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग के कारण वर्तमान मौसम के पैटर्न में परिवर्तन की संभावना है । जिससे मानसून पश्चिम की ओर सरक रहा है। ऐसा ही रहा तो मात्र एक सदी में विशाल थार रेगिस्तान पूरी तरह से गायब हो सकता है। विलुप्त होता थार रेगिस्तान।

  • ई सदियों से दक्षिण एशियाई मानसून ने भारत में जीवन को लयबद्ध किया है।
  • इसके प्रभाव से हमेशा से पूर्वी क्षेत्र हरा-भरा रहा है जबकि पश्चिम में स्थित विशाल थार रेगिस्तान सूखा रहा है।
  • इस जलवायु ने अनेकों सभ्यताओं और संस्कृतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

लेकिन अब इस जलवायु पर एक बड़ा खतरा मंडरा रहा है।

ग्लोबल वार्मिंग और मौसम के बदलते पैटर्न

  • हालिया अध्ययन के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग के कारण वर्तमान मौसम के पैटर्न में परिवर्तन की संभावना है।
  • जिससे मानसून पश्चिम की ओर सरक रहा है।
  • ऐसा ही चलता रहा तो मात्र एक सदी में विशाल थार रेगिस्तान पूरी तरह से गायब हो सकता है।

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परिवर्तन का प्रभाव

  • इस परिवर्तन से एक अरब से अधिक लोग प्रभावित हो सकते हैं।
  • स्क्रिप्स इंस्टीट्यूशन ऑफ ओशिएनोग्राफी के जलवायु वैज्ञानिक शांग-पिंग झी का विचार है कि
  • इस अध्ययन का निहितार्थ है कि थार रेगिस्तान में बाढ़ें आएंगी।
  • जो पिछले वर्ष पाकिस्तान में आई भयंकर बाढ़ जैसी हो सकती हैं।

जिसमें 80 लाख लोग बेघर हो गए थे और लगभग 15 अरब डॉलर की संपत्ति का नुकसान हुआ था।

आंकड़ों का अध्ययन

  • आम तौर पर ऐसा कहा जाता है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण रेगिस्तान फैलेंगे।
  • लेकिन इसके विपरीत थार रेगिस्तान के हरियाने संभावना है।
  • इस पैटर्न को समझने के लिए शोधकर्ताओं ने दक्षिण एशिया के आधी सदी के मौसमी आंकड़ों का अध्ययन किया।
  • एकत्रित डैटा में उन्होंने मानसूनी वर्षा को पश्चिम की ओर खिसकते पाया।
  • इससे कुछ शुष्क उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में वर्षा में 50 प्रतिशत तक वृद्धि हुई है।
  • जबकि आर्द्र पूर्वी क्षेत्र में वर्षा में कमी आई है।

जलवायु मॉडल का अनुमान

  • अर्थ्स फ्यूचर में प्रकाशित भूपेंद्र यादव व साथियों के इस जलवायु मॉडल का अनुमान है कि
  • मानसून पश्चिम की ओर 500 किलोमीटर से अधिक खिसकेगा।
  • जिसके कारण अगली सदी तक थार में लगभग दुगनी वर्षा होने लगेगी।

 

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  • इसका मुख्य कारण हिंद महासागर का असमान रूप से गर्म होना है।
  • जिससे कम दबाव के एक महत्वपूर्ण क्षेत्र पश्चिम की ओर खिसकने से बरसात में परिवर्तन होगा।
  • परिणामस्वरूप भारत में शुष्क मौसम का प्रतीक थार रेगिस्तान सदी के अंत तक हरा-भरा हो सकता है।
  • और तो और, यह वर्षा रिमझिम नहीं होगी बल्कि काफी तेज़ होगी जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ जाएगा।
  • अलबत्ता, इस बदलाव का सदुपयोग भी किया जा सकता है।
  • वर्षा जल का संचयन और भूजल भंडार रणनीतियों को मज़बूत करके थार के कृषि क्षेत्र को पुनर्जीवित किया जा सकता है।
  • यह उस काल जैसा हो सकता है जब 5000 वर्ष पूर्व सिंधु घाटी सभ्यता विकसित हुई थी।
  • साथ ही, भारी बारिश से जुड़े कई खतरे भी होंगे।

 

नोट – यह लेख सामान्य ज्ञान पर आधारित है। यदि आपको पसंद आए तो कृपया इसे अधिक से अधिक शेयर करें। अपने विचार और सुझाव कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। धन्यवाद

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