Monday, October 6, 2025
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रामलीला गीतों की परंपरा/The tradition of Ramlila songs

रामलीला गीतों की परंपरा/The tradition of Ramlila songs
रामलीला गीतों की परंपरा/The tradition of Ramlila songs

श्रीरामचरितमानस – भक्ति, भाव और साधना का संगम

श्रीरामचरितमानस की एक-एक चौपाई भक्ति, भाव, साधना आदि विशेष गुणों से भरी हुई है। चौपाई के सभी अक्षर ब्रह्म हैं। एक-एक चौपाई पर कितने ही शोध लिखे जा सकते हैं, पृष्ठ भी कम पड़ सकते हैं। हरि अनंत हरि कथा अनंताका भाव मानस में भरा हुआ है। जब कोई व्यक्ति और व्यक्तित्व भगवान श्रीराम का हो जाता है तब ऐसी ही रचनाओं का जन्म होता है। भगवान श्रीराम इस चराचर जगत में सभी प्राणियों से मिलते हुए और उनका उद्धार करते हुए वन मार्ग में आगे बढ़ते चले गए।

सृष्टि के उद्धार के लिए राक्षसों का वध किया। गोस्वामी तुलसीदास ने मानस को इतनी सुंदर ढंग से लिखा है कि जब हम मानस को पढ़ते हैं तो मानस का गान और उसके दृश्य दोनों ही स्वयं प्रकट हो जाते हैं। भगवान स्वयं हमारे साथ उस भजन में शामिल हो जाते हैं, हमें आनंद, उत्सव, ज्ञान, भक्ति, शक्ति की सरिता में बहा ले जाते हैं।

रामलीला और गीतों की जीवंत परंपरा

रामायण को आधार बनाकर बहुत सारे काव्य, महाकाव्य आदि ग्रंथ लिखे गए हैं। श्रीराम चरित्र को लेकर नाटक लिखे गए हैं। भगवान श्रीराम के जीवन चरित्र का सबसे अद्भुत मंचन रामलीला में ही होता है। रामलीला में बहुत रूप हैं—संगीतमय रामलीला, संवाद के साथ रामलीला, गुटका रामायण आदि। देश-विदेश की भूमि पर रामलीला और रामकथा होती रहती हैं। भगवान श्रीराम को लेकर भजन भी बहुत सारे बनाए गए हैं। रामलीला में दृश्य के आधार पर भी बहुत सारे गीत बनाए गए। यह सभी अलग-अलग क्षेत्र और भाषा के आधार पर हैं और सभी की अपनी लोकप्रियता भी है। रामलीला के दस दिन उत्सव, उमंग, उत्साह, भक्ति, ज्ञान योग को जब हम बचपन से ही देख रहे हैं। रामलीला के दृश्यों के बीच-बीच में गीत आते हैं। बचपन में यह गीत समझ नहीं आते थे, जैसे ही बड़े हुए, गीत का महत्व और उन गीतों के भाव भी हमारे सामने आए।

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हम यहां पर कुछ दृश्य के साथ रामलीला में प्रस्तुत होने वाले गीतों की चर्चा कर रहे हैं। भगवान जब पृथ्वी पर मनुष्य रूप में अवतार के लिए आते हैं, वहां पर सभी देवता और पृथ्वी एक स्तुति गीत गाते हैं, “जय जय सुरनायक जय सुखदायक प्रनतपाल भगवंत। गौ द्विज हितकारी जय असुरारी सिंधु सुता प्रिय कंता।।” भगवान के प्रकट होने का गीत-भजन हम सभी ने सुना ही है, “भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौशल्या हितकारी।”

जनकपुर में पुष्प वाटिका में गिरिजा माता के पूजन के समय मां सीता द्वारा गाया गया गीत इस प्रकार है, “चलो मंदिर में माता के विनय अपनी सुनने को।” पुष्प वाटिका में ही मां सीता और भगवान श्रीराम की भेंट हो गई थी। विश्वामित्र का जनक के धनुष यज्ञ में राम को गीत द्वारा प्रेषित करना और आशीर्वाद देना, “उठो राम यह काम तुम ही करोगे। तुम्हीं शोक राजा की मन का हरोगे।।” लक्ष्मण का गीत अपने पिताजी राजा दशरथ के सामने जनकपुर से धनुष टूटने का वर्णन करते हुए, “जब धनुष जनक का तोड़ दिया, श्री रामचंद्र बलकारी ने। पहनाई गले में जयमाला जब सीता जनक दुलारी ने।”

वनवास को जाते समय माता के केकैई के सामने श्री राम का यह गीत, “हे माता संसार में, यूं तो पुत्र अनेक। सेवक जो मां-बाप का पुत्र वही बस एक।” इसी समय एक ओर लोकप्रिय गीत है, “राम वनों को जाता री माता, राम वनों को जाता।” भगवान श्रीराम का सीता को समझाते हुए और वन ना जाने की बात कहते हुए गीत, “घर बैठो ना वन को चलो तुम सिया। तेरे पैरों में चुभ जाएंगे कांटे सिया।” वनवास में जाते समय अवध के प्रजावासियों का यह गाना, “राम चले लक्ष्मण भी चले, और संग में सीता माता रे। हाय राम अयोध्या छोड़ चले।” वनवास के समय भारत मिलन और खड़ाऊ देते हुए भगवान श्रीराम का गाना, “मेरी लेजा चरण खड़ाऊं, भरत तू लौट अवध घर जा।”

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रामलीला में लोकगीत और क्षेत्रीय विविधता

भगवान की अनन्य भक्त शबरी का गीत, “रामा रामा रटते रटते बीती रे उमरिया रघुकुल नंदन कब आओगे भिलनी की डगरिया।” भगवान हनुमान द्वारा लंका दहन करने के बाद गीत, “रावण की हनुमान जला आए लंका। दुष्टों की हनुमान जल आए लंका।।” लक्ष्मण के मूर्छित होने पर भगवान श्रीराम का गीत, “अरे तेरे कहां लगा है बाण, बता दे लक्ष्मण भैया। बता दे लक्ष्मण भैया कैसे पार लगेगी नैया।” वनवास पूरा होने पर अयोध्या लौटने पर भारत का यह गीत, “कोई कहियो रे हरि आवन की। मोहे लगी है लगन हरी पावन की।”

इस दृष्टि से देखा जाए तो रामलीला में गीतों की एक लंबी परंपरा मिलती है। यहाँ विशेष गीतों को ही रखने का प्रयास किया गया है। इसके अलावा क्षेत्र विशेष की दृष्टि से लोकगीतों को भी रामलीला में जगह दी जाती है। यह परंपरा हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है और इसे समझने और निभाने से भक्ति, आनंद और ज्ञान की अनुभूति होती है।

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– सारिका असाटी

 

 

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