Friday, September 12, 2025
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जीवन का विज्ञान है पादहस्तासन

 

योग जीवन और प्रकृति का विज्ञान है पादहस्ता
योग जीवन और प्रकृति का विज्ञान है पादहस्ता

योग में यम, नियम, आसन, प्राणायाम और संयम आदि विधियों से योगी के शरीर को स्वस्थ और सबल बनाया जाता है। इन नियमों में आहार और विहार की भूमिका पर भी व्यापक प्रकाश डाला गया है। हजारों सालों से भारतीय ऋषि-मुनि इन्हीं आसनों और प्राणायाम के जरिए विपरीत परिस्थितियों में भी खुद को स्वस्थ और सबल बनाते आए हैं। मनुष्य द्वारा किए गए भोजन के सही पाचन के लिए भी कई योगासन मुद्रा और प्राणायाम को करने की विधि बताई गई है।

पेट की चर्बी और मन के मैल मै से छुटकारा दिलाए पादहस्तासन अगर आपकी तोंद थुलथुल  होकर लटक रही है और किसी बात पर चिंतित होने के बाद भी मन स्थिर नहीं होता, कंसेंट्रेशन नहीं होता तो आपको पादहस्तासन करना चाहिए।

यह न सिर्फ बेली फैट यानी लटकती तोंद को दुरुस्त करता है बल्कि मन के ढीले तारों को भी कसता है ताकि किसी विषय पर सोचने-समझने के लिए जरूरी कंसेंट्ट्रेशन की क्षमता पैदा हो।

इस आसन के और भी कई फायदे हैं। यह हमारी आंतों  को स्वस्थ बनाता है।

अगर आंतें स्वस्थ होती हैं तो पेट की दर्जनों  समस्याओं से हमें मुत्ति मिल जाती है।

अगर रह- रहकर पेट दर्द होता हो,पेट फूलने का भी एहसास होता हो, तो यह आसन बहुत फायदेमंद है।

फूड एलज और कई तरह की पेट संबंधी गड़बड़ियों के लिए भी यह जबरदस्त आसन है।

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तीसरी विशिष्ट मुद्रा /Third Special Currency
योग जीवन और प्रकृति का विज्ञान है पादहस्ता

पादहस्तासन सूर्यनमर्स्कार में शामिल 12 योगों में से तीसरी विशिष्ट मुद्रा  है। पादहस्तासन शब्द तीन शब्दों का मेल है। पाद जिसका मतलब होता है पैर हस्त जिसका मतलब होता है हाथ, आसन यानी मुद्रा  पादहस्तासन योग में जांघ की मसल्स सही तरीके से स्ट्रैच होती है।

पादहस्तासन (Padahastasana) – पादहस्तासन को अंग्रेजी में Intense Forward-Bending Pose, Intense Stretch Pose, Standing Forward Bend, Standing Forward Fold Pose, Standing Head to Knees Pose या Hand To Foot Pose भी कहा जाता है। ये आसन पूरे शरीर को अच्छी स्ट्रेच देता है और दिमाग में ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ाने में भी मदद करता है।

पादहस्तासन करने की विधि (Step by Step Instructions)

1   योग मैट पर सीधे खड़े हो जाएं और दोनों हाथ हिप्स पर रख लें।

2   सांस को भीतर खींचते हुए घुटनों को मुलायम बनाएं।

3   कमर को मोड़ते हुए आगे की तरफ झुकें।

4   शरीर को संतुलित करने की कोशिश करें।

5 हिप्स और टेलबोन को हल्का सा पीछे की ओर ले जाएं।

6 धीरे-धीरे हिप्स को ऊपर की ओर उठाएं और दबाव ऊपरी जांघों पर आने लगेगा।

7 अपने हाथों को पैर के पंजे के नीचे दबा लें।

8 आपके पैर एक-दूसरे के समानांतर रहेंगे।

9 आपका सीना पैर के ऊपर छूता रहेगा।

1o सीने की हड्डियों और प्यूबिस के बीच चौड़ा स्पेस रहेगा।

11 जांघों को भीतर की तरफ दबाएं और शरीर को एड़ी के बल स्थिर बनाए रखें।

12 सिर को नीचे की तरफ झुकाएं और टांगों के बीच से झांककर देखते रहें।

13   इसी स्थिति में 15-30 सेकेंड तक स्थिर बने रहें।

14 जब आप इस स्थिति को छोड़ना चाहें तो पेट और नीचे के अंगों को सिकोड़ें।

15 सांस को भीतर की ओर खींचें और हाथों को हिप्स पर रखें।

16 धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठें और सामान्य होकर खड़े हो जाएं।

कोई भी आसन तभी सौ फीसदी फायदा देता है जब उसे सही तरीके से किया जाए।  इस आसन के साथ जबरदस्ती बिल्कुल नहीं चलती।

अगर सीधे खड़े होने पर बार बार पैर  मुड़ जाता है और पैर  के जोड़ों से खटाक खटाक की आवाज आती है, तो आसन को तुरंत बंद कर दें वरना पैरों के जोड़ों में चोट लग सकती है।

शुरुआत में यह आसन महज 2 से 3 सेकंड ही करें, फिर जैसे -जैसे आपके शरीर में लय बनती है, वैसे -वैसे आसनों की संख्या बढ़ाते रहें।

कम से कम छह बार दोहराकर फिर धीरे धीरे पहली मुद्रा  में लौटें। इसके लिए सांसों को अंदर  की तरफ खींचे और कमर को आहिस्ता आहिस्ता सीधा करें।

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इस आसन के फायदे/ Benefits Of This Asana
योग जीवन और प्रकृति का विज्ञान है पादहस्ता
  • यह पेट के इर्दगिर्द जमा होने वाली चर्बी को दूर करने का सबसे सटीक आसन है।
  • लेकिन यह तो सिर्फ इसका एक फायदा है। इसके और बहुत फायदे हैं।
  • यह कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए रामबाण आसन है।
  • अगर किसी महिला को लगातार माइग्रेन की शिकायत होती हो, तो नियमित रूप से पादहस्तासन करने से छह महीने के अंदर माइग्रेन से छुटकारा मिल जाता है।
  • लेकिन इसकी एक सीमा है।
  • बहुत पुराना माइग्रेन जब बहुत ज्यादा दर्द होता है उससे यह छुटकारा नहीं दिला पाता।
  • पादहस्तासन शरीर के तनाव को कम करने और पारंपरिक माइग्रेन से छुटकारा दिलाने में रामबाण की तरह है।
  • यह सिर्फ पेट से लटकती थुलथुल चर्बी को ही खत्म नहीं करता बल्कि यह पेट के इर्द-गिर्द के ढांचे को भी बिल्कुल सांचे में ढालता है और महिलाओं को पेट से नीचे साड़ी बांधने के लिए उकसाता है।
  • क्योंकि इसे नियमित करने से पेट बहुत ही सुडौल हो जाता है। यह पेट को सिर्फ बाहरी तरीके से ही नहीं पेट को आंतरिक तरीके से भी बहुत फायदा पहुंचाता है।
कब करें/When To Do

ज्यादातर आसन सुबह  के शुद्ध वातावरण में करना उपयुत्त होता है, लेकिन बहुत से लोगों को सुबह समय नहीं मिलता, इसलिए उन्हें अगर शाम को समय मिलता है तो तब भी यह आसन करने में कोई दिक्कत नहीं।

यह रिलैक्सेशन को बेहतर बनाता है/ It Improves Relaxation

रिलैक्लैस करना यानी आराम करना भी एक आर्ट है। जरूरी नहीं है कि आप आराम करने की मुद्रा  करके आनंद पा ही जाएं।

लेकिन पादहस्तासन करने से शांत रहने में मदद मिलती है और रिलैक्स होने का बेहतर एहसास होता है जब शरीर आराम करने की कला जान जाता है तो हर तरह की परेशानियों में संतुलन भी अच्छी तरह से साध लेता है।

पादहस्तासन करने से पहले ध्यान रखने वाली बातें/BEFORE DOING PADHASTASAN KEEP THESE THINGS IN NOTE
  • पादहस्तासन का अभ्यास सुबह के वक्त ही किया जाना चाहिए।
  • आसन के समय से कम से कम 4 से 6 घंटे पहले भोजन कर लें।
  • आसन करने से पहले आपने शौच कर लिया हो और पेट एकदम खाली हो।

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 निष्कर्ष (Conclusion)

पादहस्तासन, योग विज्ञान का बहुत अच्छा आसन है। पादहस्तासन का अभ्यास करने के लिए आपके पैर और क्वा​ड्रीसेप्स इतने मजबूत होने चाहिए कि पूरे शरीर का वजन उठा सकें।

लेकिन सबसे पहले आपको अपने मन के डर पर जीत हासिल करनी होगी कि, कहीं आप अभ्यास करते हुए गिर न पड़ें।

अगर गिर भी जाएं तो गहरी सांस लें और कोशिश के लिए अपनी तारीफ करें और दोबारा अभ्यास करें। शुरुआती दौर में इस आसन को करने के लिए किसी योग्य योग शिक्षक से मार्गदर्शन जरूर लें।

यह लेख एक सामान्य जानकारी पर आधारित है लेख पसंद आए तो इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।अपने विचार और सुझाव कमेंटबॉक्स में जरूर लिखें।

सारिका असाटी

 

                                                   

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