मन और तन से स्वस्थ बनाता है योग
योग उत्तम स्वास्थ्य की कुंजी है। योगासन व्यक्ति को संयमी और आहार-विहार में संतुलित मार्ग का अनुकरण करने वाला बनाता है। जिससे मन और शरीर को संपूर्ण तथा स्थाई स्वास्थ्य प्राप्त होता है।
योग शास्त्र के अनुसार मन पर शरीर के प्रभाव की अपेक्षा शरीर पर मन का प्रभाव कहीं अधिक व गहरा प्रभाव पड़ता है।
इसलिए मन का स्वस्थ और सुदृढ़ होना अति आवश्यक है, जो सिर्फ योग विधियों द्वारा ही संभव है।
योगासन व्यक्ति को संयमी और आहार-विहार में संतुलित मार्ग का अनुकरण करने वाला बनाता है।
जिससे मन और शरीर को संपूर्ण तथा स्थाई स्वास्थ्य प्राप्त होता है।
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योग और व्यायाम में अंतर
योग-विधियों तथा व्यायामों का तुलनात्मक अध्ययन भी किया गया है। इसमें यह बात स्पष्ट होती है कि
- योगासन शरीर की थकावट को दूर करते हैं और व्यायाम शरीर को थकाने वाले होते हैं।
- योगासनों से शरीर के अंगों पर जोर नहीं पड़ता और न ही शक्ति का अपव्यय होता है।
- जबकि व्यायामों से अंगों पर जोर भी पड़ता है तथा शक्ति का विसर्जन भी होता है।
- योगासनों में जहां किसी साधन-सामग्री, साथी व धन की आवश्यकता नहीं होती, वहीं व्यायाम के लिए इन सभी चीजों की आवश्यकता होती है,
- इसलिए यह बात प्रमाणित है कि योगविधि, व्यायाम से श्रेष्ठ तथा उपयोगी है।
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संपूर्ण विज्ञान है योग
- योग जीवन जीने की कला है, साधना है तथा पूर्ण विज्ञान है।
- योगसाधना से जीवन में परिपूर्णता प्राप्त की जा सकती है।
- इसके द्वारा मनुष्य का शारीरिक, मानसिक तथा बौद्धिक विकास पर्याप्त मात्रा में होता है।
- जिससे उसे किसी भी प्रकार के रोग-व्याधि नहीं सताते तथा वह अपना संपूर्ण जीवन निरोगी रहकर जीता है।
- योग द्वारा हमारी सुप्त चेतना का विकास होता है तथा आंतरिक शुद्धि होती है।
- सुप्त तन्तुओं का पुनर्जागरण होकर नये तंतुओं का व कोशिकाओं का निर्माण होता है।
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स्नायुतंत्र की चुस्ती
- नई शक्ति क्रियाओं द्वारा सूक्ष्म स्नायुतंत्र को चुस्त किया जाता है,
- जिससे रक्त संचार सुचारू ढंग से होता है।
- नई शक्ति का निर्माण होने लगता है तथा रोगों की निवृत्ति होती है।
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स्वस्थ धमनी-शिराएँ
- योग द्वारा रक्त को वहन करने वाली धमनियां एवं शिरायें स्वस्थ होती हैं।
- इससे हृदय रोग ठीक हो जाते हैं।
सुचारू अग्नाशय
- इससे अग्न्याशय सुचारू ढंग से कार्य करता है।
- इंसुलिन ठीक मात्रा में बनने लगता है।
- जिससे मधुमेह आदि रोग ठीक हो जाते हैं।
स्वस्थ पाचन तंत्र
- यौगिक द्वारा पाचन तंत्र पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाता है।
- इससे पेट के रोग आदि ठीक हो जाते हैं।
- यौगिक क्रियाओं से मेद का पाचन होकर शरीर स्वस्थ, सुडौल एवं सुंदर बनता है।
श्वसन तंत्र
- योग के द्वारा फेफड़ों में पूर्ण स्वस्थ व शुद्ध वायु का प्रवेश होकर फेफड़े स्वस्थ हो जाते हैं।
- फेफड़े संबंधित रोगों जैसे दमा, श्वास, एलर्जी आदि से सदैव के लिए मुक्ति पाई जा सकती है।
स्वस्थ कौन
- योग के अनुसार स्वस्थ वही है, जिसके त्रिदोष वात्, पित, कफ सम हों।
- जठराग्नि सम हो, शरीर को धारण करने वाली सप्त धातुएं रस, रक्त, मास, मज्जा, मेद तथा वीर्य उचित अनुपात में हों।
- मलमूत्र की क्रिया सम्यक् प्रकार से होती हो और दसों इन्दि्रयां नाक, आंख, त्वचा, रसना, गुदा, उपस्थ, हाथ, पैर, जिव्हा स्वस्थ हों।
- ऐसे व्यक्ति को ही पूर्ण स्वस्थ व्यक्ति माना जाता है। जो सिर्फ योग के द्वारा ही संभव है।
सूक्ष्म शरीर के लिए भी जरूरी
- स्थूल शरीर के स्वास्थ्य के साथ-साथ योग सूक्ष्म शरीर एवं मन के लिए भी अति अनिवार्य है।
- योग से इन्दि्रयों एवं मन का निग्रह होता है।
- यम-नियम आदि अष्टांग योग के अभ्यास से मनुष्य की कुंडलिनी जाग्रत होकर चक्रों का भेदन करती हुई ब्रह्मरन्ध्र में प्रवेश करती है।
- जिससे मनुष्य असत्, अविद्या के तमस से हटकर अपने दिव्य स्वरूप, ज्योतिर्मय, आनंदमय शन्तिमय को पाता है।
- वह परम चैतन्य, आत्मा तथा परमात्मा तक पहुंचने में सक्षम हो जाता है जो उसका असली तथा परम लक्ष्य है।
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