
मिलाद उन नबी मुसलमानों के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह त्यौहार पूरी दुनिया में बहुत हर्ष और उत्साह के साथ मनाया जाता है। आइए जानते हैं इस त्योहार के उत्सव के कारण और इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में।
पैगंबर का जन्मदिन, या मिलाद उन नबी, जैसा कि आमतौर पर मुस्लिम संस्कृति में जाना जाता है, ज्यादातर मुस्लिम देशों और भारत में भी मनाया जाता है। पैगंबर मोहम्मद के जन्म के उपलक्ष्य में यह दिन धूमधाम से मनाया जाता है। यह इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे महीने में मनाया जाता है।
जबकि शिया लोग इसे महीने के 17 वें दिन मनाते हैं, सुन्नियों ने इस्लामी कैलेंडर के अनुसार महीने के 12 वें दिन मनाते हैं। इस त्यौहार की तारीख अंग्रेजी कैलेंडर में हर बार भिन्न ही होती है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, ईद-ए-मिलाद रबी अल-अव्वल के 12 वें दिन मनाया जाता है।
पैगंबर के जन्मदिन का जश्न 8 वीं शताब्दी में माना जाता है जब पैगंबर मुहम्मद के जन्म घर को अल-खयजुरान द्वारा प्रार्थना के घर में बदल दिया गया था। अल-खिजुरन एक ख़लीफ़ा, हारुन-अल-रशीद की माँ थी। मूल रूप से, त्योहार शियाओं द्वारा मनाया जाता था। सदियों पहले, इस दिन को पशु बलि और दिन के दौरान विशाल जुलूसों के साथ मनाया जाता था, जिसका समापन शासकों द्वारा एक भाषण द्वारा किया जाता था।
सत्ता में बैठे लोगों को उपहार भी दिए गए। इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग एक दूसरे को उपहार प्रदान करते हैं और दावत भी देते हैं, इस तरह यह पर्व भाईचारे का भी प्रतीक है।
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ईद-ए-मिलाद उन नबी सबसे प्रसिद्ध त्यौहारों में से एक
12वीं सताब्दी के आसपास मुस्लिम के सुन्नि समाज के लोगों ने भी इस त्योहार को अपनाया, हालांकि एक अलग तारीख के साथ। यद्यपि त्योहार का जश्न सुन्नियों में कुछ प्रतिरोधों के साथ मिला था। 15 वीं शताब्दी तक त्योहार बड़ी संख्या में अपनाया जाने लगा और 20 वीं शताब्दी की शुरुआत तक, इसे कई क्षेत्रों में राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाने लगा। दुनिया भर में यह सबसे प्रसिद्ध त्यौहारों में से एक है और कई देशों में इस दिन राष्ट्रीय अवकाश रहता है।
मिलाद उन नबी या मालवीद को दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। उदाहरण के लिए, पाकिस्तान में, यह राष्ट्रीय स्मारकों पर राष्ट्रीय ध्वज उठाने के बाद मनाया जाता है, जिसके बाद भोर में बंदूक की सलामी ली जाती है। दुनिया के कुछ अन्य हिस्सों में, त्योहार बड़े जुलूस और वातावरण जैसे एक कार्निवल के साथ मनाया जाता है। वहाँ एक माहौल है और लोगों को उपहारों का आदान-प्रदान करते हुए और गरीबों को भोजन वितरित करते हुए देखा जा सकता है। यह दिन हजारों मस्जिदों और मस्जिदों में रोशनी से नमाज अदा करने के साथ मनाया जाता है। यह अधिकांश मुस्लिम देशों में सार्वजनिक अवकाश है।
मिलाद उन नबी – भाईचारे का त्यौहार
मिलाद उन नबी का त्यौहार भाईचारे का त्यौहार है, समाज में एकता बनी रहे और समाज साथ मिलकर आगे बढ़े, यही है त्यौहार संदेश देता है। इस त्यौहार को लेकर कई कहानियां इतिहास में लिखी हुई है लेकिन एक कहानी जो सबसे अधिक प्रसिद्ध है वो यही है कि मिलाद उन नबी के त्यौहार पर अगर कोई व्यक्ति अच्छे काम करता है और गरीबों की मदद करता है तो इससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता है।
इस तरह की के कई उदाहरण हमारे सामने मौजूद है जब मिलाद उन नबी के दिन लोगों ने अपनी जायदाद का बहुत बड़ा हिस्सा गरीबों को दान किया है। लोगों को रोटी खिलाना, कपड़े दान करना यही इस त्यौहार का प्रमुख मकसद है, समाज में एकता बनी रहे और सभी मिलकर एक साथ आगे बढ़े यह त्यौहार भाईचारा सिखाता है और मिलकर रहने का संदेश देता है।
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मिलाद उन नबी – अल्लाह की इबादत करने से होती हैं जन्नत नसीब
मिलाद उन नबी एक बेहद महत्वपूर्ण त्यौहार है। इस दिन व्यक्ति अपनी बुराइयों को छोड़कर अच्छाइयों पर आगे बढ़ना शुरू करता है यदि किसी व्यक्ति के अंदर किसी तरीके की कोई बुराई है तो वह इस दिन उस बुराई से तौबा करके अल्लाह से माफी मांगे तो उसके सभी पाप माफ कर दिए जाते हैं।
यह दिन बेहद पवित्र दिन है इस दिन अल्लाह की इबादत करने से व्यक्ति को जन्नत नसीब होती है लेकिन धीमे-धीमे इस त्यौहार का असली अर्थ लोग भूलते जा रहे। समय आ गया है कि जब एक बार फिर से मिलाद उन नबी का सही और नेक अर्थ लोगों को समझाया जाए ताकि लोग नेकी के रास्ते पर चलते हुए अल्लाह को प्राप्त करें।
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