Saturday, December 6, 2025
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महावीर जयंती का आध्यात्मिक संदेश

महावीर जयंती का सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व
महावीर जयंती का सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व

भगवान महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर थे। उनका जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को, जो इस वर्ष 10 अप्रैल 2025 को है, वैशाली के क्षत्रियकुंड (वर्तमान बिहार) में हुआ था। महावीर स्वामी ने अपने जीवन से मानव समाज को सत्य, अहिंसा, करुणा, संयम और विश्व बंधुत्व का संदेश दिया।

  • लगभग 30 वर्ष की आयु में उन्होंने राजसी वैभव और भौतिक सुख-सुविधाओं का त्याग कर सत्य की खोज में कठिन तपस्या का मार्ग अपनाया। उन्होंने 12 वर्षों तक कठोर तपस्या की और सभी इंद्रियों पर विजय प्राप्त की। उसके बाद वे दिगंबर स्वरूप में संसार को त्यागकर मोक्ष की साधना में लीन हो गए।
  • महावीर स्वामी का “जियो और जीने दो” का संदेश आज भी मानव समाज के लिए प्रेरणा स्रोत है। जब संसार में हिंसा और विषमता फैली हुई थी, तब उन्होंने अहिंसा को सर्वोच्च धर्म बताते हुए जीवन जीने की सही दिशा दिखाई।
 जैन धर्म का मूल संदेश प्रत्येक आत्मा में है परमात्मा बनने की शक्ति
  • भगवान महावीर स्वामी का विश्वास था कि हर आत्मा में परमात्मा बनने की असीम शक्ति है। जैन धर्म का मूल आधार यही है कि मनुष्य स्वयं के कर्म, सत्य और अहिंसा के पालन से मोक्ष पद को प्राप्त कर सकता है।
  • यह सिद्धांत केवल उपदेश नहीं बल्कि जीवन की व्यवहारिक शैली है।
  • उन्होंने यह भी सिखाया कि लोभ, मोह, क्रोध और हिंसा का त्याग कर मनुष्य अपने जीवन को सफल बना सकता है। जैन धर्म में मोक्ष को ही जीवन का अंतिम लक्ष्य माना गया है, जिसके लिए संयम, तपस्या और सच्चे धर्म के मार्ग पर चलना आवश्यक है।
  • आज के समय में जब मानव जीवन भौतिकता की दौड़ में व्यस्त है, भगवान महावीर के सिद्धांत हमें आत्मकल्याण और विश्व शांति का मार्ग दिखाते हैं।

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अहिंसा, करुणा और सत्य के संदेश को करें साझा

महावीर जयंती जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक पवित्र पर्व है। इस दिन जैन समाज मंदिरों में पूजा-अर्चना, रथयात्रा, उपदेश प्रवचन, भजन-कीर्तन और गरीबों की सेवा जैसे आयोजन करते हैं।

महावीर स्वामी के जन्म कल्याणक दिवस पर लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं और उनके उपदेशों को जीवन में अपनाने की प्रेरणा देते हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से आप भी इस पावन अवसर पर महावीर स्वामी के विचार और वॉलपेपर शेयर कर सकते हैं।

“भगवान महावीर का जीवन सत्य, करुणा और प्रेम का प्रतीक है।
उनका अहिंसा का मार्ग आज भी दुनिया को शांति और भाईचारे की सीख देता है।”

महावीर स्वामी के विचार –

अहिंसा परमो धर्म:- अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है, इंसानियत का परिचय दीजिए।

 जियो और जीने दो– लोगों को ये बात समझनी होगी, तभी वो स्वस्थ रहेंगे।

आत्मा स्वयं में भगवान है– आत्मा की शक्ति और आत्मज्ञान पर बल क्रोध आत्मा का शत्रु है इसलिए बचने का उपाय करें।

महावीर स्वामी के 5 सिद्धांत

भगवान महावीर ने जैन धर्म के लिए 5 सिद्धांत दिए जो समृद्ध जीवन और आंतरिक शांति की ओर ले जाते हैं। ये 5 सिद्धांत जैन धर्म के आधार माने जाते हैं। ये पांच सिद्धांत हैं अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह।

पहला सिद्धांत है अहिंसा- इस सिद्धांत में भगवान महावीर ने जैन समुदाय के लोगों को हर परिस्थिति में हिंसा से दूर रहने का संदेश दिया है। उन्होंने अहिंसा पर कहा है कि इस लोक में जितने भी जीव है उनकी हिंसा मत करो। उनके प्रति अपने मन में दया का भाव रखो।

दूसरा सिद्धांत हैं सत्य- महावीर स्वामी ने सत्य पर कहा है- हे पुरुष! तू सत्य को ही सच्चा तत्व समझ। जो बुद्धिमान सत्य की ही आज्ञा में रहता है, वह मृत्यु को तैरकर पार कर जाता है। यही कारण है कि महावीर स्वामी जी ने अपने जीवन काल में लोगों को हमेशा सत्य बोलने के लिए ही प्रेरित किया।

तीसरा सिद्धांत है अस्तेय- महावीर स्वामी जी का कहना था कि अस्तेय का पालन करने वाले किसी भी रूप में अपने मन के मुताबिक वस्तु ग्रहण नहीं करते हैं। ऐसे लोग अपने जीवन में हमेशा संयम से रहते हैं। ये लोग सिर्फ उसी वस्तु को लेते हैं जो उन्हे दी जाती है। महावीर स्वामी जी के अनुसार अगर किसी के दिए बिना कोई वस्तु ग्रहण किया जाए तो वह चोरी है।

चौथा सिद्धांत है ब्रह्मचर्य- ब्रह्मचर्य का अर्थ है अपनी आत्मा में लीन हो जाना या सरल शब्दों में कहें तो अपने अंदर छिपे ब्रह्म को पहचानना ही ब्रह्मचर्य है। महावीर स्वामी जी के अनुसार ब्रह्मचर्य उत्तम तपस्या, नियम, ज्ञान, दर्शन, चारित्र, संयम और विनय की जड़ है। जो पुरुष स्त्रियों से संबंध नहीं रखते, वे मोक्ष के मार्ग की ओर बढ़ते हैं।

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पांचवां सिद्धांत है अपरिग्रह- महावीर स्वामी जी की पांचवी शिक्षा सभी पिछले सिद्धांतों को जोड़ती है। माना जाता है कि अपरिग्रह का पालन करने से जैनों की चेतना जागती है और वह सांसारिक वस्तुओं का त्याग कर देते हैं।

  • अहिंसा को सबसे बड़ा धर्म मानने वाले भगवान महावीर के विचार आज भी लोगों को को प्रेरणा देते हैंऔर जीवन पथ पर आगे बढ़ने में मदद करते हैं। महावीर भगवान को ‘वर्धमान’, वीर’, ‘अतिवीर’ और सन्मति’ कहकर भी पुकारा जाता है। धैर्य सबसे बड़ी शक्ति है, रखें भावनाओं पर काबू आधी बातों का समाधान पहले ही हो जाएगा।
  • स्वयं पर विजय प्राप्त करो तभी आनंद में रहोगे। जैन धर्म के पांच सिद्धांत हर किसी का जीवन बदल सकते हैं अंहिसा: इसका अर्थ केवल शारीरिक हिंसा से बचना नहीं, बल्कि मन, वचन और कर्म से किसी भी जीव को क्षति न पहुँचाना है।
  • सत्य: सत्य का पालन जीवन का अभिन्न अंग है। झूठ बोलना, छल-कपट करना या किसी को भ्रम में डालना जैन धर्म में पाप माना गया है। अचौर्य : बिना अनुमति किसी वस्तु का लेना या किसी भी प्रकार की चोरी करना जैन धर्म में वर्जित है। ब्रह्मचर्य: सांसारिक इच्छाओं पर संयम आवश्यक है। गृहस्थों के लिए संयमित जीवन और साधुओं के लिए पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन आवश्यक है।
  • अपरिग्रह : जैन धर्म में भौतिक वस्तुओं के प्रति आसक्ति को त्याज्य माना गया है। महावीर जयंती 2025 के अवसर पर आइए हम सभी भगवान महावीर के उपदेशों को अपनाएं और अपने जीवन को सार्थक बनाएं।

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– सारिका असाटी
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