वर्ष 2023 का भौतिकी नोबेल पुरस्कार उन प्रायोगिक विधियों के लिए दिया गया है जिनकी मदद से प्रकाश की अत्यंत अल्प अवधि (एटोसेकंड) चमक पैदा करके पदार्थ में इलेक्ट्रॉन की गतियों का अध्ययन किया जा सकता है। पुरस्कार ओहायो विश्वविद्यालय के पियरे एगोस्टिनी, मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ क्वांटम ऑप्टिक्स के फेरेंक क्राउज़, तथा लुंड विश्वविद्यालय के एन एलहुइलियर को संयुक्त रूप से दिया गया है।
- वर्ष 2023 का भौतिकी नोबेल पुरस्कार उन प्रायोगिक विधियों के लिए दिया गया है
- जिनकी मदद से प्रकाश की अत्यंत अल्प अवधि (एटोसेकंड) चमक पैदा करके पदार्थ में इलेक्ट्रॉन की गतियों का अध्ययन किया जा सकता है।
- पुरस्कार ओहायो विश्वविद्यालय के पियरे एगोस्टिनी, मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ क्वांटम ऑप्टिक्स के फेरेंक क्राउज़, तथा लुंड विश्वविद्यालय के एन एलहुइलियर को संयुक्त रूप से दिया गया है।
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वैज्ञानिकों के कार्य
- इन तीन भौतिक शास्त्रियों ने वैज्ञानिकों को ऐसे औज़ार उपलब्ध कराए हैं
- जिनकी मदद से परमाणुओं और अणुओं के अंदर इलेक्ट्रॉन्स का बेहतर अध्ययन संभव हो जाएगा।
- दरअसल, अणु-परमाणु में इलेक्ट्रॉन्स की गतियां बहुत तेज़ रफ्तार से होती हैं
- और उनकी गति या ऊर्जा में परिवर्तन का अध्ययन करने के लिए वैसे ही त्वरित अवलोकन साधन की ज़रूरत होती है।
इलेक्ट्रॉन की गति को मापना कठिन
- आम तौर पर इतनी तेज़ रफ्तार टनाएं एक-दूसरे पर इस कदर व्याप्त हो जाती हैं कि उन्हें अलग-अलग देखना मुश्किल होता है।
- उदाहरण के लिए, जब हम कोई फिल्म देखते हैं तो उनकी अलग-अलग तस्वीरें ऐसे घुल-मिल जाती हैं कि हमें एक निरंतर चलती तस्वीर का आभास होता है।
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क्या है एटोसेकंड
- इलेक्ट्रॉन के स्तर पर तो सब कुछ इतनी तेज़ी से होता है कि प्रत्येक परिघटना 1 एटोसेकंड के दसवें भाग में सम्पन्न हो जाती है।
- कहते हैं कि एक एटोसेकंड इतना छोटा होता है कि एक सेकंड में उतने ही एटोसेकंड होते हैं
- जितने सेकंड ब्रह्मांड की उत्पत्ति से लेकर अब तक बीते हैं।
- इस वर्ष के नोबेल विजेता प्रकाश का ऐसा पल्स पैदा करने में सफल रहे हैं जो एक एटोसेकंड को नाप सकता है।
- इसकी मदद से हम अणु-परमाणु के अंदर चल रही प्रक्रियाओं की तस्वीरें प्राप्त कर सकते हैं।
- बहरहाल उनके इस काम को वैज्ञानिक स्तर पर समझना काफी मुश्किल होगा
- और हमें इन्तज़ार करना होगा कि कोई भौतिक शास्त्री उसे हमारे स्तर पर समझाए।
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