
भारत में घटती औसत लंबाई चिंता का विषय बनी हुई है, जो सिर्फ फिजिकल आकृति से जुड़ा मसला नहीं है, बल्कि देश के व्यापक सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों का सूचक भी है। इस लेख में इस समस्या के कारणों, प्रभावों और संभावित समाधान पर एक व्यापक दृष्टि प्रस्तुत की जा रही है।
हमारी घटती लंबाई में छिपा राज | The Hidden Story of Shrinking Height
भारत के मशहूर फिल्मकार सत्यजित रे, जो लगभग सात फीट लंबे थे, ने एक बार कहा था कि कई लोग अपनी कमियों को अपनी कम लंबाई से जोड़ कर देखते हैं। सत्यजित रे की यह बात केवल व्यक्तिगत अनुभव नहीं, बल्कि उस बड़ी सामाजिक समस्या की ओर इशारा करती है जो आज हमारे देश में देखने को मिल रही है—लोगों की औसत लंबाई घटती जा रही है। लंबाई में कमी न केवल शारीरिक विकास की कमी दर्शाती है, बल्कि यह पोषण, स्वास्थ्य और समृद्धि की कमजोरी का दर्पण भी है।
भारत का ग्लोबल हंगर इंडेक्स में गिरना | India’s Decline in Global Hunger Index
ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) वह मापदंड है जो देशों में कुपोषण की गम्भीरता को दर्शाता है। हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत अब इस सूची में 111वें स्थान पर पहुंच गया है। यह हालात चिन्ताजनक हैं क्योंकि भारत से नीचे की रैंकिंग हासिल करने वाले अन्य देशों में नेपाल (76वां), बांग्लादेश (76वां) और पाकिस्तान (92वां) शामिल हैं। इस इंडेक्स में विस्तार से पता चलता है कि जिन देशों की रैंकिंग खराब है, वहां के बच्चे ज्यादा कुपोषित और कम लंबाई वाले पाए जा रहे हैं। इस स्पष्ट सम्बन्ध से यह संकेत मिलता है कि भारत में पोषण की कमी गंभीर समस्या बन चुकी है, जिसका असर लोगों की शारीरिक और मानसिक विकास क्षमता पर गहरा पड़ता है।
Read this also – किताबों का भविष्य/future of books
घटती लंबाई के आंकड़े और उनका मतलब | Statistics on Declining Height and Their Meaning
अध्ययनों के अनुसार, आज के 15 से 25 वर्ष के भारतीय युवा औसतन 1.10 सेंटीमीटर छोटे हैं उन लोगों की तुलना में जो 26 से 50 वर्ष की उम्र के बीच हैं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट से पता चलता है कि बीते दशक में औसत लंबाई में 0.86 सेंटीमीटर की कमी आई है। यह केवल संख्या नहीं, बल्कि हमारे देश की आने वाली पीढ़ियों के कमजोर स्वास्थ्य और विकास का दुखद संकेत है। नए बच्चों में पोषण की कमी उन्हें शारीरिक और मानसिक तौर पर दुर्बल बनाती है, जिसका प्रभाव उनके पूरे जीवनकाल पर पड़ता है।
वैश्विक तुलना में भारत की स्थिति | India’s Position in Global Comparison
दुनिया के अधिकांश विकसित और विकासशील देशों में सामान्य तौर पर औसत ऊँचाई या तो स्थिर बनी हुई है या बढ़ रही है। संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप और जापान जैसे देशों में बेहतर पोषण, स्वास्थ्य सुविधाओं और जीवनशैली की वजह से लंबाई में वृद्धि देखी जा रही है। ऐसे में भारत की लंबाई में गिरावट विशेष रूप से चिंताजनक प्रतीत होती है। यह स्पष्ट करता है कि लंबाई न केवल जीन पर निर्भर है, बल्कि जीवन के सामाजिक-आर्थिक पहलुओं, खासकर पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं पर गहराई से आधारित है।
बचपन का पोषण और लंबाई का संबंध | Childhood Nutrition and Height
शारीरिक विकास की नींव बचपन में रखी जाती है। कुपोषण या पोषण की कमी होते हुए बचपन में मिलने वाला आहार हमारी हड्डियों, मांसपेशियों और समग्र शारीरिक विकास की क्षमता को प्रभावित करता है। यदि बचपन में पोषण की कमी होती है, तो यह विकास के सबसे संवेदनशील चरण—किशोरावस्था तक रीढ़ जैसी कमजोर दे देती है। इसके परिणामस्वरूप, बड़े होकर व्यक्ति की शारीरिक बनावट कमजोर रहती है और जीवन प्रत्याशा भी कम होती है। इसका मतलब यह है कि बचपन में मजबूत पोषण न मिलने पर न केवल लंबाई में कमी आती है, बल्कि संपूर्ण जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
सामाजिक-आर्थिक कारण जो लंबाई प्रभावित करते हैं | Socio-economic Factors Affecting Height
लंबाई में कमी के पीछे अनेक सामाजिक और आर्थिक कारण हैं। गरीबी, खराब स्वच्छता, अपूर्ण पोषण, सीमित स्वास्थ्य सेवाएं, और शिक्षा में कमी मुख्य कारण हैं। देश के गरीब और वंचित वर्ग के बच्चे स्वास्थ्य-अभियान और स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित हैं, जिससे उनका विकास बाधित होता है। अच्छी शिक्षा और जागरूकता की कमी भी पोषण और स्वास्थ्य पर असर डालती है, जिससे समस्या और बढ़ जाती है।
Read this also – गूगल ने बदली दुनिया/Google changed the world
संक्रमण और कोविड-19 का प्रभाव | Impact of Infections and COVID-19
कोविड-19 महामारी ने भारत के स्वास्थ्य ढांचे और पोषण पर भारी प्रभाव डाला है। खासकर कमजोर वर्ग के लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आई है, जो कुपोषण के कारण बनी कमजोर इम्युनिटी को और बढ़ाती है। इसने बच्चों के विकास और लंबाई दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। यह महामारी हमारी स्वास्थ्य प्रणाली की कमजोरियों को उजागर करने के साथ-साथ पोषण और स्वास्थ्य के बीच के गहरे संबंधों को भी दर्शाती है।
लंबाई घटने का भविष्य पर प्रभाव | Future Implications of Shrinking Height
औसत लंबाई में कमी का अर्थ सिर्फ शारीरिक बनावट तक सीमित नहीं है। यह देश की समग्र स्वास्थ्य, उत्पादकता और जीवन प्रत्याशा पर भी असर डालती है। कमजोर कद वाले व्यक्ति आमतौर पर कमजोर प्रतिरोधक क्षमता के साथ जीवन बिताते हैं, जिससे उनका कार्यक्षमता स्तर गिरता है। इससे न केवल व्यक्तिगत विकास प्रभावित होता है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक प्रगति में भी बाधा आती है।
लंबाई बढ़ाने के उपाय | Measures to Improve Height and Health
लंबाई बढ़ाने के लिए बचपन से ही पोषण पर जोर देना आवश्यक है।
- कुपोषण को रोकने के लिए संतुलित आहार और स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करनी होंगी।
- लोगों में पोषण खरीदने और उचित आहार लेने की जागरूकता बढ़ानी होगी।
- महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना जरूरी है क्योंकि गर्भावस्था के दौरान और बचपन में पोषण के अभाव का प्रभाव पीढ़ियों तक जाता है।
- स्वच्छता और सुदृढ़ स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास भी अनिवार्य है।
निष्कर्ष | Conclusion
भारत में घटती औसत लंबाई के पीछे की गहरी वजहें हमारे सामाजिक-आर्थिक ढांचे, पोषण, स्वास्थ्य सेवाओं और जीवनशैली से जुड़ी हैं। यह केवल विकास संबंधी माप नहीं, बल्कि राष्ट्र के स्वस्थ और समृद्ध भविष्य की एक चेतावनी भी है। यदि हम आने वाली पीढ़ियों को बेहतर स्वास्थ्य और उज्जवल भविष्य देना चाहते हैं, तो बचपन से ही पोषण व स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता देने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे। तभी हम इस समस्या से उबर सकते हैं और एक स्वस्थ, मजबूत भारत की नींव रख सकते हैं।
Read this also – बारिश में मोर का नृत्य/Peacock dance in the rain
यह लेख सामान्य जानकारी पर आधारित है लेख पसंद आये तो इसे ज़्यादा से ज्यादा शेयर करें। अपने विचार और सुझाव कमेंटबॉक्स में ज़रूर लिखे।


