Thursday, September 19, 2024
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भारत को जोड़ती है हिन्दी Hindi connects India

भारत को एक सूत्र में पिरोती है हिन्दी Hindi binds the Bharat together

पूरब में अरुणाचल प्रदेश के सुदूर पूर्ववर्ती बिंदु से पश्चिम में गुजरात के सुदूर पश्चिमवर्ती बिंदु तक विस्तारित है भारत। उत्तर में कश्मीर के उत्तरतम बिंदु से दक्षिण में तमिलनाडु के दक्षिणतम बिंदु के बीच भूसांस्कृतिक विविधता से भरपूर विशाल देश है हमारा भारत देश। इन चारों बिंदुओं पर अलग-अलग भाषाएँ बोली जाती हैं। भारत को जोड़ती है हिन्दी भाषा।

साथ ही, देश की सीमाओं के परे भारत, भारतीयता, भारतीय परंपरा, भारतीय संस्कृति और भारत की पहचान को निरूपित करती है हिन्दी। तमाम अलग-अलग रूपों-स्वरूपों, विशिष्टताओं-विलक्षणताओं और क्षेत्रीय व वैश्विक प्रभावों के बिलकुल भिन्न परिदृश्यों के बीच एक सार्वभौमिक स्वीकार्यता के साथ विश्व पटल पर हिन्दी का दर्शन होता है।

हिन्दी के विविध रूप/ various forms of hindi

  • अनुमानतः संसार के कुल जमा 120 देशों में भारतीय मूल के लोग निवास करते हैं।
  • इनमें से बहुत बड़ी संख्या अपनी मूल भाषा हिन्दी को भूल चुकी है,
  • पर इसका मतलब यह कतई नहीं कि वे हिन्दी जान नहीं रहे हैं।
  • भूमंडलीय विस्तार के साथ संस्कृति के तत्व के रूप में विस्तार पाती हिन्दी अपने कई रूप दिखला रही है।
  • यह कहना कठिन है कि किस देश में हिन्दी के किस रूप का परिचय प्राप्त होगा।
  • भारत की भौगोलिक सीमाओं के बीच जैसे मुम्बई की हिन्दी, कोलकाता की हिन्दी, चेन्नई की हिन्दी अलग है।
  • लखनवी हिन्दी, हैदराबादी हिन्दी आदि-इत्यादि की अलग-अलग छटाओं से जिस प्रकार हम परिचित हैं,
  • हिन्दी का वैसा ही बहुरंगी विस्तार दुनिया भर में निवास करने वाले मूल भारतवंशियों की संस्कृतियों के रूप में परिलक्षित होता है।

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सम्पर्क की भाषा हिन्दी/ Contact language Hindi

  • परंपरागत रूप से हिन्दी की मूल प्रकृति जनतांत्रिक तथा संवेदना के स्तर पर संबंध निर्मित करने की रही है
  • हिन्दी पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, फिजी, मॉरीशस, गुयाना, त्रिनिदाद तथा सुरीनाम जैसे देशों की सम्पर्क भाषा तो है ही,
  • भारतीय उपमहाद्वीप के लोगों के बीच खाड़ी देशों, मध्य एशियाई देशों, रूस, समूचे यूरोप से सांस्कृतिक भाषाई जुड़ाव रखती है।
  • हिन्दी कनाडा, अमेरिका तथा मैक्सिको जैसे प्रभावशाली देशों में संस्कृतिक जुड़ाव तथा विचार-विनिमय का सबल माध्यम रही है।
  • परिवर्तन प्रगति का परिचायक होता है।

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संस्कृति की प्रसारक हिन्दी/ Disseminator of culture Hindi

  • आज जब 21वीं सदी में वैश्वीकरण के दबावों में विश्व की तमाम संस्कृतियां अपनी भाषाओं के साथ आदान-प्रदान व संश्लेषण की प्रक्रिया से गुजर रही हैं
  • तो हिन्दी की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है,
  • क्योंकि उसके पास पहले से ही बहु-सांस्कृतिक परिवेश में सक्रिय रहने का अनुभव है।
  • संस्कृति के सबसे बड़े प्रसारक के रूप में  हिन्दी सिनेमा ने सदा-सर्वदा से विश्वमन को जोड़ा है।
  • भारत की समृद्ध विरासत व अमूल्य ज्ञान से जुड़ी भाषा हिन्दी योग, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा और भारतीय दर्शन की भाषा के रूप में विख्यात है।
  • दुनिया भर के देशों में सांस्कृतिक दूत के रूप में हिन्दी की एक नितांत अलग तरह की भूमिका दिख रही है।

हिन्दी के प्रसार में तकनीक की भूमिका/ Role of technology in spreading Hindi

  • देश के सांस्कृतिक विस्तार के घटक के रूप में हिन्दी की बढ़ती हुई भूमिका के पीछे सोशल नेटवर्किंग साइटों और तकनीकी का अहम योगदान है।
  • हिन्दी का जादू अब यू-ट्यूब और सोशल मीडिया एक्स के रास्तों से परवान चढ़ रहा है।
  • गूगल ट्रांसलेट और ऐसे ही नाना मोबाइल एप्लिकेशनों के माध्यम से दुनिया हिन्दी में वार्तालाप (चैटिंग) कर रही है।
  • दुनिया के सुदूर देशों को हिन्दी की संस्कृति से जोड़ने में सभ्यता के इन यंत्रों का अहम योगदान है।

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अद्यतित हिन्दी/ updated hindi

  • भारत के बाहर जिस तरह भारतीय संस्कृति के मूल तत्वों के प्रसारक के रूप में हिन्दी ने समय के साथ अनेक रूपों में अपनी भूमिका को अद्यतित किया है
  • व वर्तमान राजनैतिक व सामाजिक परिदृष्य में जिस प्रकार से  हिन्दी का उत्थान हो रहा है,
  • संभवतः वह निश्चित तौर पर संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा के रूप में एक अलग रूप में वैश्विक कार्य-संस्कृति का अंग बनने की तैयारी में है।
  • दुनिया को मसालों के उत्पादक देश के रूप में अपनी पहचान बताने वाले भारत ने धर्मगुरू के रूप में दुनिया के देशों को तमाम दर्शन जिस प्रकार प्रदान किए,
  • आज सूचना प्रौद्योगिकी के रथ पर सवार भारत के तकनीकी- वेत्ता दुनिया भर में अपनी सेवाओं के साथ ही हिन्दी के अग्रदूत के रूप में एक प्रखर चेतना का विस्तार कर रहे हैं।
  • वह समय अत्यंत निकट है जब लिंगुआ इंडिका लिंगुआ फ्रेंका के रूप में विश्व पटल पर भारतीय संस्कृति की सार्वभौमिकता का माध्यम बनेगी।

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हिन्दी और डिजीटल तकनीक/ Hindi and digital technology

  • भारत एक विशाल और विविधतापूर्ण देश है।
  • हमारे यहां मौजूद विभिन्न प्रकार की आर्थिक, सामाजिक, ढांचागत असमानताएं सर्वस्व नजर आती हैं,
  • फिर भी हम व्यक्तिगत, पेशेवर, संस्थागत, सामाजिक और राष्ट्रीय स्तर पर पर्याप्त डिजिटल साक्षरता सुनिश्चित करने की दिशा में आगे बढ़ते रहे हैं।
  • आज का युग डिजिटल तकनीक का है।
  • डिजिटल रूप से साक्षर व्यक्ति कंप्यूटर, लैपटाप, टैबलेट, स्मार्टफोन आदि संचालित करने में सक्षम है।
  • डिजिटल साक्षरता वह क्षमता है जिसका प्रयोग करते हुए हम डिजिटल तकनीकों को समझ सकें और सार्थक कामों के लिए उनका प्रयोग कर सकें।
  • आज का दौर नित नवीन परिवेश की झलक दिखलाता रहता है।
  • कल की बात और थी जब हम नई तकनीक के साथ हिन्दी के प्रयोग को लेकर झिझकते थे।
  • अब हम गर्व से इसका प्रयोग अपने मोबाइल, टैब, लैपटाप, कंप्यूटर आदि के साथ कर रहे हैं।
  • वास्तविक रूप में हमने `कर लो दुनिया मुट्ठी में’ को हिन्दी के संदर्भ में भी चरितार्थ कर दिया है।

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सरलीकृत प्रक्रिया/ simplified process

  • ना फॉन्ट की समस्या, ना हिन्दी सॉफ्टवेयर का इंतजार।
  • खुद ही मुफ्त में गूगल प्ले स्टोर से इंस्टाल करो और अपना काम तुरंत निबटाओ।
  • हिन्दी के यूनिकोड फॉन्ट्स, फॉन्ट्स के प्रकार और परिवार, संयुक्ताक्षरों के सही प्रयोग की अद्भुत दुनिया हमारे सामने है।
  • कवि रविंद्रनाथ ठाकुर जी का सपना था कि `यदि विज्ञान को जन सुलभ बनाना है तो मातृभाषा के माध्यम से विज्ञान की शिक्षा दी जानी चाहिए।’
  • इसे साकार होने में संदेह की अब कम ही गुंजाइश बची है।
  • क्योंकि भारत सरकार दिन-प्रतिदिन नित नए कदम उठाते हुए इस ज्वलंत समस्या का निदान करने हेतु निरंतर प्रयासरत है।
  • देश में विभिन्न विश्वविद्यालयों में तकनीकी शिक्षा का माध्यम हिन्दी बनने जा रहा है।
  • भारत के महान कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य ने सदियों पहले कहा था कि जब सही समय पर सही कार्य नहीं किया जाता, तो समय ही उस कार्य की सफलता को समाप्त कर देता है।
  • इसलिए जब जागे तभी सवेरा और आज से ही नई तकनीक से जुड़कर हमें अपना काम जन-जन की भाषा हिन्दी में करना शुरू कर देना चाहिए।

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