
जैसे शिव और विष्णु ने अलग-अलग अवतार लेकर दानवों से पृथ्वी की रक्षा की और धर्म की स्थापना की। ठीक इसी तरह गणेश जी ने भी समय-समय पर अवतार लेकर असुरों और राक्षसों का वध किया। इन असुरों में कामासुर, क्रोधासुर और अहम असुर प्रमुख हैं। श्रीगणेश ने इन्हें जिस तरह वध करके नियंत्रित किया, उससे जीवन में एक सीख भी मिलती है।
भगवान श्री गणेश बुद्धि के देवता Bhagwan Shri Ganesh God of intellectuality in Hindi

गणेश जी को बुद्धि और चातुर्य का देवता कहा जाता है। इसके अलावा वे विघ्नहर्ता भी कहे जाते हैं। जैसे समय-समय पर भगवान शिव और भगवान विष्णु ने अलग-अलग अवतार लेकर दैत्यों-दानवों से पृथ्वी की रक्षा की और धर्म की स्थापना की। ठीक इसी तरह गणेश जी ने भी समय-समय पर अवतार लेकर असुरों और राक्षसों का वध किया है।
- असुरों के संहार से मिलती है जीवन की सीख
- इन असुरों में कामासुर, क्रोधासुर और अहम असुर प्रमुख हैं।
- श्रीगणेश ने इन्हें जिस तरह वध करके नियंत्रित करता है, वह जीवन में एक सीख भी देता है।
Read this also – जन्माष्टमी श्रीकृष्ण-जन्म का उत्सव
आइए जानते हैं पुराणों के अनुसार इनकी कहानी –
क्रोधासुर को किया नियंत्रित
- समुद्रमंथन के समय भगवान विष्णु ने जब मोहिनी रूप धरा तो शिव उन पर काम मोहित हो गए।
- उनका शुक्र स्खलित हुआ, जिससे एक काले रंग के दैत्य की उत्पत्ति हुई।
- इस दैत्य का नाम क्रोधासुर था।
- क्रोधासुर ने सूर्य की उपासना करके उनसे ब्रह्मांड विजय का वरदान ले लिया।
- सारे देवता क्रोधासुर के इस वरदान के कारण भयभीत हो गए।
- वरदान मिलते ही युद्ध करने निकल पड़ा।
- तब गणपति ने लंबोदर रूप धरकर उसे रोक लिया।
- क्रोधासुर को गणपति ने समझाया और उसे ये आभास दिलाया कि वो संसार में कभी अजेय योद्धा नहीं हो सकता।
- इस पर क्रोधासुर ने अपना विजयी अभियान रोक दिया और सब छोड़कर पाताल लोक में चला गया।
Read this also – मर्यादा पुरुषोत्तम राम
कामासुर का वध
- भगवान विष्णु ने जलंधर के विनाश के लिए उसकी पत्नी वृंदा का सतीत्व भंग किया।
- उससे एक दैत्य उत्पन्न हुआ, उसका नाम था कामासुर।
- कामासुर ने शिव की आराधना करके त्रिलोक विजय का वरदान पा लिया।
- इसके बाद उसने अन्य दैत्यों की तरह ही देवताओं पर अत्याचार करने शुरू कर दिए।
- तब सारे देवताओं ने भगवान गणेश का ध्यान किया।
- इसके फलस्वरूप भगवान गणपति ने विकट रूप में अवतार लिया।
- विकट रूप में भगवान मोर पर विराजित होकर अवतरित हुए।
- उन्होंने देवताओं को अभय वरदान देकर कामासुर को पराजित किया।
Read this also – बहन और भाई का पवित्र पर्व रक्षाबंधन
अहम का अंत
- एक बार भगवान ब्रह्मा ने सूर्यदेव को कर्म राज्य का स्वामी नियुक्त कर दिया।
- राजा बनते ही सूर्य को अभिमान हो गया।
- उन्हें एक बार छींक आ गई और उस छींक से एक दैत्य की उत्पत्ति हुई।
- उसका नाम था अहम।
- वो शुक्राचार्य के समीप गया और उन्हें गुरु बना लिया।
- अब वह अहम से अहंतासुर हो गया।
- उसने खुद का एक राज्य बसा लिया और भगवान गणेश को तप से प्रसन्न करके वरदान प्राप्त कर लिए।
- उसने भी बहुत अत्याचार और अनाचार फैलाया।
- तब गणेश ने धूम्रवर्ण के रूप में अवतार लिया।
- उनका वर्ण धुएँ जैसा था। वे विकराल थे।
- उनके हाथ में भीषण पाश था जिससे बहुत ज्वालाएं निकलती थीं।
- धूम्रवर्ण ने अहंतासुर का पराभाव किया। उसे युद्ध में हराकर अपनी भक्ति प्रदान की।
Read this also – श्रीगणेश पूजा चीन और जापान में (हिन्दी में)
प्रस्तुत लेख सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। assanhain इसकी तथ्यात्मक पुष्टि नहीं करता है।
यदि यह लेख पसंद आता है तो इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करें। अपने सुझाव और विचार कमेंट बॉक्स में लिखें।


