
स्तन महिलाओं के सौन्दर्य एवं व्यक्तित्व को निखारते ही नहीं बल्कि उनके माध्यम से शिशुओं को दुग्ध भी प्रदान होता है जो माता और शिशु के बीच की पारस्परिक प्रेम भावनाओं को बांधे रखता है। स्तनों के प्रति प्रारंभ से ही जानकारियां न रहने के कारणों से स्तनों के प्रति अक्सर महिलाएं भ्रांतियों का शिकार बन जाती हैं। फलस्वरूप उन्हें अपने जीवन में अनेक बीमारियों का सामना करना पड़ जाता है।
स्तनों संबंधी अनेक भ्रांतियां/Many Breast Myths
- स्तनों के उभारों के उभरने के साथ-साथ उसके प्रति का सजग रहना आवश्यक होता है ताकि महिलाओं का यह प्रत्यक्षदर्शी अंग निरोग बना रहकर उनके रूप को आकर्षक बनाने वाला हो।
- प्रायः यह धारणा बनी होती है कि स्तनों की त्वचा अत्यन्त संवेदनशील होती है परन्तु ऐसा है नहीं । स्तनों की त्वचा भी हमारे शरीर की अन्य त्वचा के समान ही होती है।
- जब तक त्वचा क्रीम, लोशन, माश्चराइजर और हेयर रिमूवर से एलर्ज नहीं होती तब तक त्वचा सही होती है।
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स्तन किससे बने होते हैं /What are breasts made of
- यदि जन्म के समय आपका नाम महिला था, तो आपके स्तनों में विभिन्न प्रकार के ऊतक होते हैं ग्रंथि ऊतक, जिसमें स्तन लोब और स्तन नलिकाएं शामिल हैं रेशेदार, या सहायक या संयोजी ऊतक, जो वही ऊतक है जिससे स्नायुबंधन और निशान ऊतक बने होते हैं वसायुक्त ऊतक ग्रंथि और रेशेदार ऊतक के बीच की जगह को भरता है और काफी हद तक आपके स्तन के आकार को निर्धारित करता है डॉक्टर सभी गैर-वसायुक्त ऊतकों को फाइब्रोग्लैंडुलर ऊतक कहते हैं।
- सहायक, लचीले संयोजी ऊतक के बैंड भी होते हैं जिन्हें लिगामेंट्स कहा जाता है, जो त्वचा से छाती की दीवार तक फैलकर स्तन ऊतक को अपनी जगह पर बनाए रखते हैं। मांसपेशियां भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- पेक्टोरल मांसपेशी दोनों स्तनों के नीचे छाती की दीवार के खिलाफ स्थित होती है, जो उन्हें सहारा देती है।
- रक्त वाहिकाएं स्तन ऊतक को ऑक्सीजन प्रदान करती हैं और अपशिष्ट को बाहर निकालती हैं।
ब्रालेस /Braless
- क्या बिना ब्रॉ पहने जागिंग करने से स्तनों को किसी प्रकार का नुकसान पहुंचता है हां , ब्रॉ पहने बिना जागिंग नहीं करनी चाहिए।
- क्योंकि इससे स्तनों से जुड़े तंतुओं पर दबाव पड़ सकता है और स्तनों में दर्द भी हो सकता है।
- स्तनों का आकार बड़ा होतो पीठ दर्द की शिकायत भी हो सकती है। सही आकार की ब्रा पहन कर पीठ दर्द एवं स्तनों के दर्द को नियंत्रित किया जा सकता है किंतु यह भी नहीं है कि बिना ब्रॉ के स्तनों में कोई चिकित्सकीय बीमारी हो ही जाए या स्तन लटक जाएं।
- कई महिलाएं यह भी सोचती हैं कि स्तनों के छोटे होने से बच्चों को स्तनपान कराने में कठिनाई होती है।
- ऐसा सोचना अज्ञानता है। छोटे स्तनों में भी बड़े स्तनों के बराबर ही दूध दूवाहिनियां होती हैं। स्तनों के आकार से स्तनों में दूध के बनने से कोई संबंध नहीं होता।
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ऐसे चुने ब्रा/Choose bra like this
स्तनों की सुडौलता और खूबसूरती के लिए ऐसे चुने ब्रा/डेमी कप ब्रा
- महिलाओं को व्यथित करती रहती हैं। प्रायः सभी महिलाओं के दोनों स्तनों के आकार में कुछ न कुछ अंतर अवश्य होता है।
- बाएं की अपेक्षा दायां स्तन कुछ बड़ा होता है। कुछ ऐसे भी अपवाद होते हैं
- जिनके एक स्तन का आकार `ए` कप होता है तो दूसरे का आकार `बी ` कप। इस स्थिति में कॉस्मेटिक सर्जरी द्वारा समस्या का समाधान किया जा सकता है।
- स्तनों के आस-पास कुछ बाल भी हो सकते हैं। इनसे परेशान होने की आवश्यकता नहीं । ये बाल किशोरावस्था के दौरान हारमोन असंतुलन के कारण भी हो जाते हैं।
- अगर बाल आ गए हों तो उन्हें उसी प्रकार हटाया जा सकता है, जैसे अन्य स्थानों के बालों को हटाया जाता है।
- मासिक धर्म के दौरान स्तनों का आकार सामान्य से कुछ अलग हो जाता है। इस दौरान स्तनों में कुछ सूजन आ जाती है और वे नाजुक व मुलायम हो जाते हैं।
- इसको दूर करने के लिए कुछ महिलाएं औषधियों का प्रयोग करती हैं जो हानिकारक भी हो सकती हैं।
- मासिक के समय भोजन में नमक की मात्र कुछ कम कर देने से स्तनों के दर्द व सूजन में आराम हो जाता है।
- मासिक के समय दर्द न हो , इसके लिए मासिक होने के चार दिन पहले से और मासिक की अवधि तक नमक को छोड़ देना लाभदायक होता है।
- मासिक के दौरान बिना ब्रॉ पहने नहीं रहना चाहिए क्योंकि इस दौरान स्तनों के वजन में कुछ वृद्धि हो जाती है और स्तनों के लटके रहने से उनके कोमल ऊतकों पर दबाव पड़ता है, जिससे स्तन लटक भी सकते हैं और ऊतक घायल भी हो सकते हैं। इस दौरान अच्छे आधार वाली सूती ब्रॉ पहननी चाहिए।
- जब स्तनों में उभार प्रारंभ हो , उसी समय से स्तनों की मसाज (मालिश) करते रहना चाहिए ताकि उनके ऊतक सबल व पुषट हों।
- कुछ महिलाओं में यह भी भ्रम बना होता है कि बड़े स्तनों में स्तन कैंसर होने की संभावना अधिक होती है। यह भ्रम मात्र है। स्तन कैंसर का आकार से कोई ताल्लुक नहीं होता।
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ब्रा पहनने और ना पहनने के फायदे व नुकसान/ Wearing Bra pros and cons
- भविष्य में अनेक बीमारियों से बचे रहने की क्षमता को प्राप्त कर लें।
- सरसों तेल , नारियल तेल ,जैतून के तेल आदि को हाथों में लगा कर स्तन के वृत्तों की हल्के हाथों से आधे घंटे तक मालिश अवश्य करनी चाहिए। यह प्रक्रिया अनवरत चालू रखी जा सकती है।
- स्तनों की मसाज न होने से वहां की त्वचा में सिकुड़न आ जाती है जिसे किसी भी उपाय से पूरी तरह मिटाया नहीं जा सकता है।
- आजकल लेजर तकनीक द्वारा इन निशानों को हल्का किया जा सकता है। कभी -कभी स्तनों के आस-पास छोटे-छोटे दाने भी हो जाया करते हैं जो मुंहासों की तरह दिखाई देते हैं।
- ये दाने छाती में स्थित तैलीय गंथियों के कारण हो जाते हैं। मुंहासों के उपचार द्वारा इन्हें भी ठीक किया जा सकता है।
- स्तन मालिश के अभाव में भी यह हो जाता है अतः इनसे बचने के लिए अपने स्तनों की मालिश नियमित करनी चाहिए।
- कुछ महिलाओं में स्तनों के निप्पल उल्टे हो जाते हैं जिसका उपचार सिर्फ प्लास्टिक सर्जरी के द्वारा ही संभव होता है।
- उम्र के साथ-साथ स्तनों में भी ढीला पन आने लगता है और वे लटक जाते हैं।
- शरीर के वजन का भी इन पर प्रभाव पड़ता है। इसके लिये नियमित कसरत करना आवश्यक होता है। ब्रा हमेशा अपने स्तनों के नाप की ही खरीदनी चाहिए।
- यह अनुमान लगा लेती हैं कि 18 वर्ष की उस युवती की ब्रॉ का नाप 34 इंच था तो उसी उम्र में मेरी ब्रा भी उसी माप की होगी । यह गलत है।
- स्तनों का आकार शारीरिक स्थितियों के अनुसार होता है और उसी अनुरूप घटता-बढ़ता रहता है। अतः ब्रा खरीदने से पहले अपना सही नाप अवश्य ले लें।
- इस धारणा को भी मिटा दें कि स्तनपान कराने से स्तन लटक जाते हैं या उन पर झुर्रियां पड़ जाती हैं बल्कि स्तनपान से स्तन के ऊतकों की प्राकृतिक मालिश होती रहती है और उनका सौन्दर्य निखरता है।
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