झारखंड के देवघर जिले में स्थित है द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा वैद्यनाथ धाम। यहाँ 22 जुलाई 2024 से सावन महीने की शुरुआत होगी। साथ ही शुरू होगा हर हर महादेव और बोल बम के जयकारे के साथ विश्वप्रसिद्ध राजकीय श्रावणी मेला।
श्रावणी मेले की तैयारी जोरों पर/ Preparations for Shravani fair in full swing
- झारखंड के देवघर जिले में स्थित है द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा वैद्यनाथ धाम।
- यहाँ 22 जुलाई 2024 से हर हर महादेव और बोल बम के जयकारे के साथ पवित्र सावन महीने की शुरुआत होगी।
- इसी के साथ ही शुरू होगा है विश्वप्रसिद्ध राजकीय श्रावणी मेला।
सिद्धपीठ बाबा वैद्यनाथ धाम/ Siddhapeeth Baba Vaidyanath Dham
- ज्ञात हो बाबा वैद्यनाथ धाम एक सिद्धपीठ है।
- इस कारण यहां स्थित लिंग को कामना लिंग भी कहा जाता हैं।
- हर साल सावन के महीने में लाखों श्रद्धालु सुल्तानगंज से पवित्र गंगा का जल लेकर यहाँ आते हैं।
- बोल-बम! बोल-बम! की टेर लगाते हुए करीब सौ किलोमीटर की अत्यन्त कठिन पैदल यात्रा करते हैं।
- यहाँ आकर भक्तजन बाबा भोलेनाथ के दर्शन करते हैं और उन पर गंगाजल चढ़ाते हैं।
- इस दौरान यहां पूरे सावन के माह में प्रसिद्ध श्रावणी मेला लगता है।
- देश-विदेश के लोग इस सांस्कृतिक मेले में घूमने के लिए आते हैं।
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श्रावणी मेला/ Shravani died
- बाबा बैद्यनाथ धाम में आयोजित होने वाला श्रावणी मेला धार्मिक पर्यटन का एक बड़ा उत्सव है।
- मेले को आकर्षक बनाने के लिए देवघर के शिवलोक परिसर में भव्य झांकियाँ बनाई जाती हैं।
- गत वर्ष की झांकी में माता सती से लेकर भगवान शिव का तांडव तक दिखाया गया था।
- कैलाश पर्वत पर भगवान शिव और रावण की वार्ता दिखाई गई थी।
- इस तरह शिवलिंग के वैद्यनाथ धाम में स्थापना की पूरी कहानी दिखाई गई थी।
- मेले की शुरुआत बेहद परम्परागत तरीके से पंडों के वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच होती है।
- यह सभी समुदाय या धर्म से जुड़े लोगों का मेला होता है।
- सभी धर्म के लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस मेले से जुड़े हुए होते ।
- व्यवस्थापक यह सुनिश्चित करते हैं कि यहां आये श्रद्धालुओं को कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए।
स्थानीय लोगों की जीवनरेखा/ lifeline of local people
- श्रावणी मेले से हज़ारों लोगों का रोजगार जुड़ा है।
- स्थानीय लोगों की कोशिश होती है कि श्रद्धालुओं से उनका बेहतर व्यवहार रहे।
- ताकि वे अच्छा संदेश लेकर अपने गाँव और शहर जाएं।
- जिला प्रसाशन की तरफ से महिला कांवड़ यात्रियों के लिए विशेष इंतजामात किये जाते हैं।
- कुछ महिलाएँ नवजात बच्चों को भी साथ लेकर चलती हैं या कुछ को सफर के दौरान माहवारी का सामना करना पड़ता है।
- मेले के सूचना केंद्र और स्वास्थ्य शिविर में फीडिंग रूम भी होते हैं।
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कांवड़ पथ/ kanwar path
- कांवड़िया पथ में जगह-जगह सूचना केंद्र और स्वास्थ्य शिविर स्थापित किए गए हैं।
- लेकिन सबसे ख़ास व्यवस्था होती है, गंगा की चिकनी रेत का बनाया गया कांवड़ पथ।
- रेत के इस पथ पर कांवड़ियों के पैरों को आराम मिलता है।
- झारखंड की सीमा में प्रवेश करते ही कांवड़ भक्तो के पैरों को रेशमी एहसास का अनुभव होता है।
- साथ ही पूरे कांवड़िया पथ में जगह-जगह फव्वारे लगाए जाते हैं, जिसे इंद्रवर्षा का नाम दिया गया है।
- श्रावणी मेला प्रत्येक वर्ष गुरु पूर्णिमा से शुरू होता है।
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